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ग्रामीण क्षेत्र के स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सक व कर्मी बना रहे एडवांस हाजिरी, चिकित्सक से स्पष्टीकरण

धरहरा प्रखंड के अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र बंगलवा में एक महिला चिकित्सक 18 अक्तूबर के साथ ही अगले दिन 19 अक्तूबर का एडवांस हाजिरी बना रखी

धरहरा. स्वास्थ्य विभाग मुंगेर में चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी एडवांस हाजिरी बना रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्र के स्वास्थ्य केंद्रों में तो यह खेल हर दिन चल रहा है. तभी तो धरहरा प्रखंड के अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र बंगलवा में एक महिला चिकित्सक 18 अक्तूबर के साथ ही अगले दिन 19 अक्तूबर का एडवांस हाजिरी बना रखी है. क्योंकि जिम्मेदारों द्वारा इसकी नियमित मॉनीटरिंग नहीं होती है. मामला उजागर होने पर सीएस द्वारा प्रखंड के चिकित्सा पदाधिकारी सहित संबंधित चिकित्सक से स्पष्टीकरण पूछा गया है. नक्सल प्रभावित बंगलवा में अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित है. जहां चिकित्सक से लेकर एएनएम, डाटा इंट्री ऑपरेटर व सुरक्षा गार्ड तक तैनात है. ताकि वहां के भोले-भाले आदिवासियों के साथ ही आम लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिल सके, लेकिन वहां तैनात चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी नियमानुसार नहीं बल्कि खुद से बनाये गये नियम के अनुसार स्वास्थ्य केंद्र को संचालित करते हैं. ग्रामीणों की सूचना पर प्रभात खबर की टीम शुक्रवार को अपराह्न 2:30 बजे जब स्वास्थ्य केंद्र बंगलवा पहुंचे तो वहां न तो चिकित्सक थे और न ही एएनएम थी. सिर्फ सुरक्षा गार्ड रूद्र दीपनारायण व डाटा ऑपरेटर विवेक कुमार मौजूद मिले. हद तो यह थी कि स्वास्थ्य कर्मियों कि उपस्थिति रजिस्टर पंजी में वहां पदस्थापित महिला चिकित्सक डॉ पूनम लता की हाजिरी शुक्रवार के साथ ही शनिवार को बनी हुई थी. जिससे स्पष्ट होता है कि इस स्वास्थ्य केंद्र में एडवांस हाजिरी बनाने की छूट है. किस एएनएम की लगी है ड्यूटी, पीएचसी प्रभारी को नहीं है पता प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अविनाश कुमार को भी पता नहीं था कि किस एएनएम की ड्यूटी आरआइ में है तथा किस एएनएम की ड्यूटी स्वास्थ्य केंद्र पर है. सीएचसी प्रभारी ने बताया कि मीटिंग में रहने के कारण उन्हें पता नहीं है कि बंगलवा स्वास्थ्य केंद्र पर किसकी ड्यूटी है तथा आरआइ में किस एएनएम की ड्यूटी है. झोला छाप के भरोसे ग्रामीणों का इलाज बंगलवा के ग्रामीण परमानंद पासवान, गुलो पंडित ने कहा कि बंगलवा के स्वास्थ्य कर्मी कब आते हैं और चले जाते हैं पता भी नही चल पाता है. कोई व्यक्ति थोड़ा चोटिल भी हो जाते है तो समय पर स्वास्थ्य केंद्र पर चिकित्सक व एएनएम नही मिलते है. इस कारण इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र धरहरा 12 किलोमीटर दूरी तय कर जाना पड़ता है. यहीं कारण है कि यहां के लोग झोला छाप डाक्टर के चंगुल में फंसकर जान गंवा रहे है. कहते हैं सीएस सीएस डॉ विनोद कुमार सिन्हा ने बताया कि मामले की जानकारी मिली है. संबंधित प्रखंड के चिकित्सा पदाधिकारी सहित संबंधित चिकित्सक और कर्मियों से स्पष्टीकरण पूछा गया है. संतोष जनक जवाब नहीं मिलने के उपरांत संबंधित चिकित्सक व कर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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