बदहाल व्यवस्था : सदर अस्पताल में स्वास्थ्यकर्मी कर रहे इलाज, बिना मरीज देखे चिकित्सक कर रहे रेफर

धरहरा से रेफर होकर आया प्वाइजनिंग मामले में युवक को देखे बिना ही पर्ची पर लिख दिया रेफर टू जेएलएनएमसीएच

By Prabhat Khabar News Desk | July 8, 2024 7:16 PM

धरहरा से रेफर होकर आया प्वाइजनिंग मामले में युवक को देखे बिना ही पर्ची पर लिख दिया रेफर टू जेएलएनएमसीएच. प्रतिनिधि, मुंगेर. सदर अस्पताल में एक ओर जहां बिना चिकित्सक के प्रिसक्रिप्सन के ही स्वास्थ्यकर्मी मरीजों का इलाज कर रहे हैं. वहीं चिकित्सक भी बिना मरीज को देखे ही हायर सेंटर रेफर कर रहे हैं. कुछ ऐसा ही हाल सोमवार को सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में देखने को मिला. जहां धरहरा से रेफर होकर जहर खाया आये एक युवक काे इमरजेंसी हालत में स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा इलाज तो कर दिया गया, लेकिन इलाज के बाद स्वास्थ्यकर्मी ही मरीज का पर्ची लेकर चिकित्सक के पास गये. जिसपर चिकित्सक द्वारा भी बिना मरीज को देखे रेफर टू जेएलएमएनसीएच लिख दिया गया. अब ऐसे में जब सरकार लगातार रेफर मामले को कम करने का प्रयास कर रही है. वहीं सदर अस्पताल में मरीजों को चिकित्सक द्वारा बिना देखे ही रेफर किया जा रहा है. दरअसल, सोमवार को अपराह्न 12.10 बजे धरहरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से स्व रामप्रवेश यादव का 17 वर्षीय पुत्र बादल कुमार को जहर खाने की स्थिति में सदर अस्पताल रेफर कर लाया गया. युवक द्वारा खेतों में डाले जाने वाला कीटनाशक दवा खा लिया गया था. सदर अस्पताल भेजने के पूर्व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र धरहरा में युवक को केवल दवा दी गयी, जबकि जहर खाने की स्थिति में सबसे पहले प्राथमिक उपचार विषाक्त पदार्थ को निकालने के लिए गेस्टिक लवाज (पेट साफ करने की विधि) तक नहीं की गयी. हालांकि, सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में लाने के बाद युवक का स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा गेस्टिक लवाज किया गया, लेकिन इस दौरान चिकित्सक डॉ अजय कुमार इंज्यूरी रूम में इंज्यूरी लिखने में व्यस्त रहे, लेकिन गेस्टिक लवाज के बाद इमरजेंसी वार्ड का कर्मी ही मरीज का पर्ची लेकर चिकित्सक के पास चले गये. जिसपर चिकित्सक द्वारा भी बिना मरीज को देखे ही रेफर टू हायर सेंटर लिख दिया गया. हालांकि, बाद में परिजनों द्वारा रेफर नहीं किये जाने के अनुरोध पर चिकित्सक ने इमरजेंसी वार्ड पहुंचकर मरीज की जांच की और उसे पुरुष वार्ड में भर्ती कराया गया.

कहते हैं अस्पताल उपाधीक्षक

सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ रमन कुमार ने बताया कि जहर खाने वाले मरीज यदि अधिक विषैला पदार्थ खा लेता है तो उसे पैम व डैम नामक इंजेक्शन दिया जाता है. इसकी सप्लाई सालों से सदर अस्पताल में नहीं है. हालांकि, इसकी जगह एट्रोपिन इंजेक्शन दिया जाता है. जो सदर अस्पताल में उपलब्ध है. उन्होंने बताया कि चिकित्सकों को इस संबंध में निर्देश दिया जायेगा, जबकि वार्ड में यदि कोई बाहरी व्यक्ति कार्य कर रहा है तो इसकी जांच की जायेगी. साथ ही उसके विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी.

इमरजेंसी वार्ड में लगातार हावी हो रहे दलाल

मुंगेर. सदर अस्पताल में लगातार दलालों का जमावाड़ा मरीजों के साथ खुद अस्पताल प्रबंधन के लिये मुसीबत बनता जा रहा है. एक ओर जहां स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत के आदेश के बावजूद सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में दोपहर और रात के शिफ्ट में कई बाहरी लोग खुद को पारामेडिकल बताकर काम कर हैं. वहीं स्वास्थ्यकर्मियों की लापरवाही के कारण इमरजेंसी वार्ड में सक्रिय दलाल लगातार मरीजों को भ्रमित कर शहर के निजी नर्सिंंग होम में भेज रहे है. मई माह में भी सदर अस्पताल में एक मरीज को निजी नर्सिंग होम भेजे जाने का मामला सामने आया था. इसे लेकर अस्पताल प्रबंधन द्वारा केवल जांच कमेटी बनाकर खानापूर्ति कर दी गयी थी.

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