पवित्र हृदय से परमात्मा का भजन करने से ही जीव का कल्याण होता है
पवित्र हृदय से परमात्मा का भजन करने से ही जीव का कल्याण होता है
असरगंज. नागा बाबा कहते थे कि परमात्मा सभी जीवों के भीतर विराजमान हैं. शुद्ध पवित्र हृदय से परमात्मा का भजन करने से ही जीव का कल्याण होता है. तीर्थ और मंदिरों में भटकने से कुछ लाभ नहीं होता है. चलते-फिरते, हंसते-बोलते सचेतन प्राणियों की सेवा करने से सच्चा पुण्य प्राप्त होता है. उक्त बातें स्वामी सुबोधानंद जी महाराज ने रविवार को नगर पंचायत के बस स्टैंड स्थित संत नगर निरंकारी पथिक आश्रम में नागा बाबा की प्राणप्रतिष्ठा के अवसर पर आयोजित तीन दिवसीय प्रवचन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही. स्वामी जी ने कहा कि सभी जगह पत्थर और पानी है, मैंने सभी तीर्थ में भ्रमण करके देख लिया है. बिना ईश्वर का भजन किये बाहरी पूजा-पाठ, ब्राह्मण भोजन, तीर्थ यात्रा से हृदय पवित्र नहीं होता है और जीव की मुक्ति भी नहीं होती है. उन्होंने बताया कि नागा निरंकारी महाराज का जन्म मुगल शासन काल में पंजाब प्रांत में रावी नदी के पश्चिम में स्थित अठिलपुर नगर के राजघराने में हुआ था. 5 वर्ष की बाल्यावस्था में ही इनके पिता युद्ध में शहीद हो गए और माताजी सती हो गई. तब वे घर से निकलकर योगी रूप में विचरण करने लगे. दिगंबर रहने के कारण वे नागा बाबा नाम से प्रचलित हो गए. वह पहुंचे हुए सिद्ध संत थे. नागा बाबा सर्वप्रथम 1910 ई. 1912 ई. और आखरी बार 1929 ई. में असरगंज पधारे थे. तब पूज्य पथिक जी महाराज को साथ लेकर आए थे. 1936 ई. में कानपुर के पाली धाम में कार्तिक पूर्णिमा को उन्होंने समाधि ली. प्रत्येक वर्ष इस अवसर पर विशाल धार्मिक संत सम्मेलन, वस्त्र वितरण एवं भंडारा का आयोजन होता है.
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