प्रतिनिधि, मुंगेर. मुंगेर विश्वविद्यालय में कुलपति प्रो. श्यामा राय का कार्यकाल समाप्त होने के बाद एलएनएमयू, दरभंगा के कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी सोमवार को प्रभारी कुलपति के रूप में अपना योगदान भी दे चुके हैं लेकिन एक ओर जहां अबतक एमयू प्रशासन विश्वविद्यालय से गायब मोबाइल और लैपटॉप मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर पायी है, वहीं जिस स्टोर प्रभारी के कार्यकाल में यह मामला हुआ, उसके पास ही अबतक स्टोर का प्रभार है. हद तो यह है कि उक्त स्टोर प्रभारी सह तत्कालीन स्थापना शाखा कर्मी के विरुद्ध राजभवन से भी शिकायत पत्र आ चुका है. बता दें कि एमयू में लगभग 9 माह पूर्व कुलसचिव कर्नल विजय कुमार ठाकुर द्वारा मोबाइल और लैपटॉप गायब होने का मामला सामने लाया गया था, हालांकि मामले में विश्वविद्यालय द्वारा केवल खानापूर्ति कर जांच कमेटी बना दी गयी, लेकिन अबतक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गयी. एमयू 9 माह बाद भी अपना एक एप्पल का मोबाइल वापस नहीं ले पाया है. इतना ही नहीं 9 माह बाद भी अबतक एमयू के स्टोर का प्रभारी संबंधित कर्मी के पास ही है, क्योंकि एमयू के स्टोर में फैली अनियमितता के कारण दूसरे कर्मी स्टोर का प्रभार नहीं लेना चाहते. विश्वविद्यालय द्वारा बीते दिनों संकल्प 10 हजार के तहत नियुक्त कर्मी को स्टोर का प्रभार दिया गया, लेकिन वहां फैले अनियमितता के कारण उक्त कर्मी द्वारा भी स्टोर का प्रभार नहीं लिया गया.
स्टोर प्रभारी के विरुद्ध पूर्व में ही राजभवन से की गयी है शिकायत
एमयू को मार्च 2024 में ही राजभवन से एक शिकायत पत्र प्राप्त हुआ था. जिसमें शिकायतकर्ता द्वारा उक्त स्टोर प्रभारी के विरुद्ध कई प्रकार के आरोप भी लगाये गये हैं. हालांकि, मामले को लेकर मार्च से अबतक विश्वविद्यालय द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गयी. जबकि अब एमयू प्रशासन उक्त शिकायत पत्र को लेकर जांच कमेटी बनाने की तैयारी कर रहा है. बता दें कि राजभवन द्वारा भेजे गये शिकायतकर्ता के पत्र में उक्त स्टोर प्रभारी के विरुद्ध कई आरोप लगाये गये थे. हालांकि उक्त स्टोर प्रभारी से खुद विश्वविद्यालय द्वारा 7 बार शोकॉज पूछा गया है. जिसमें एक लाख एडवांस राशि वापस नहीं किये जाने को लेकर भी शोकॉज पूछा गया है.
कहते हैं कुलसचिव
एमयू के कुलसचिव कर्नल विजय कुमार ठाकुर ने बताया कि मामले को लेकर पूर्व कुलपति को अवगत कराया गया था. उनके द्वारा जांच कमेटी बनायी गयी. जिसके बाद कोई भी निर्देश पूर्व कुलपति द्वारा नहीं दिया गया.
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