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एमयू में अधिकारी बनने की होड़ के बीच चार माह बाद भी प्रमोशन पर लटकी है तलवार

छह अगस्त को राजभवन की ओर भेजे गये पत्र में कहा गया था विश्वविद्यालय के निर्णयों की होगी समीक्षा

छह अगस्त को राजभवन की ओर भेजे गये पत्र में कहा गया था विश्वविद्यालय के निर्णयों की होगी समीक्षा

मुंगेर. मुंगेर विश्वविद्यालय में अगस्त माह में प्रोन्नति की अधिसूचना जारी होने के बाद वैसे ही शिक्षकों में अपनी वरीयता साबित करते हुए अधिकारी बनने की होड़ लगी हुई है. चार माह बाद भी प्रोन्नति प्रक्रिया पर राजभवन की तलवार लटकी है, क्योंकि छह अगस्त को राजभवन से भेजे गये पत्र में विश्वविद्यालय के निर्णयों की समीक्षा की बात कही गयी है.

दो अगस्त को सिंडिकेट की बैठक का दिया गया था आदेश

मुंगेर विश्वविद्यालय द्वारा जिस समय प्रोन्नति की प्रक्रिया पूर्ण की गयी. उससे पहले ही राजभवन की ओर से तत्कालीन कुलपति प्रो श्यामा राय के नीतिगत निर्णय लेने के अधिकार पर रोक लगा दी गयी थी. हालांकि शिक्षकों के आंदोलन के बाद 2 अगस्त को राजभवन द्वारा प्रोन्नति के लिए सिंडिकेट बैठक आयोजित करने का आदेश दिया गया, लेकिन 6 अगस्त को दोबारा राजभवन से कुलपति को एक पत्र भेजा गया, जिसमें कहा गया कि राजभवन की ओर से कुलपति के नीतिगत निर्णय पर रोक लगाने के आदेश के बाद भी देखा गया है कि प्रोन्नति, नियुक्ति सहित कई निर्णय लिये गये हैं. ऐसे में विश्वविद्यालय द्वारा जो भी निर्णय लिया गया है, उसकी समीक्षा राजभवन द्वारा की जायेगी. हालांकि चार माह बाद भी राजभवन द्वारा अबतक न तो विश्वविद्यालय के कार्यों की समीक्षा की गयी है और न ही इस पत्र के आलोक में कोई अन्य पत्र भेजा गया है.

दाे व छह अगस्त को दो अलग-अलग पत्रों से असमंजस की स्थिति

बता दें कि दो अगस्त को राजभवन से स्वीकृति के पश्चात की सिंडिकेट बैठक आयोजित कर विश्वविद्यालय द्वारा प्रोन्नति की अधिसूचना जारी की गयी, लेकिन छह अगस्त को राजभवन से मिले पत्र के बाद विश्वविद्यालय के समय असमंजस की स्थिति बनी हुई है. हालांकि विश्वविद्यालय ने प्रभारी कुलपति के पास भी नीतिगत निर्णय लेने का अधिकार नहीं होने के बावजूद डीन समेत अन्य कार्यों के लिए अधिकारियों को जिम्मेदारी दी जा रही है, लेकिन एमयू में अधिकारी बनने की होड़ के बीच सक्षम प्राधिकारों की बैठक के प्रति ही पूरी तरह विश्वविद्यालय उदासीन बना है. हालांकि यदि राजभवन की ओर से शिक्षक प्रोन्नति प्रक्रिया की समीक्षा की जाती है तो विश्वविद्यालय के लिए परेशानी बढ़ सकती है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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