अस्पताल के ओपीडी की तरह राष्ट्रीय लोक अदालत में होता है काम मुंगेर व्यवहार न्यायालय स्थित एडीआर भवन में शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन हुआ. जिसका उद्घाटन जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह जिला विधिक सेवा प्राधिकार के अध्यक्ष आलोक गुप्ता, परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश अरविंद कुमार शर्मा, एडीजे प्रथम अविनाश कुमार द्वितीय, प्राधिकार के सचिव मुक्तेश मनोहर एवं आरक्षी अधीक्षक सैयद इमरान मसूद ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया. मौके पर 1079 वादों का जहां निष्पादन किया गया, वहीं 3.66 करोड़ का समझौता किया गया. जिला जज ने कहा कि राष्ट्रीय लोक अदालत अस्पताल के ओपीडी के तरह कार्य करता है. जिस प्रकार ओपीडी में छोटे-मोटे बीमारी का इलाज कराकर मरीज खुशी-खुशी घर वापस लौट जाते हैं, उसी प्रकार राष्ट्रीय लोक अदालत में छोटे-छोटे विवादों को दो पक्षों की आपसी सहमति से सुलझा दिया जाता है. ताकि भविष्य में वह बड़े विवाद का कारण न बन सके. राष्ट्रीय लोक अदालत में समय की बचत होती है. मानसिक परेशानी से लोग बचते हैं. इसमें न ही किसी पक्ष की जीत होती है और न ही हार होती है. पुलिस कप्तान सैयद इमरान मसूद ने बताया कि इस बार विभिन्न बैंकों के 12,400 एवं अन्य मामले के 9,383 नोटिसों का तामिला कराया गया है. 1079 वादों का हुआ निष्पादन राष्ट्रीय लोक अदालत में मामलों की सुनवाई के लिए 15 बैंच का गठन किया गया. जिसके समक्ष बैंकिंग, दावा एवं बीमा वाद, वन वाद, सुलहनीय आपराधिक एवं दीवानी वाद, राजस्व वाद, सेवा संबंधित ममाला, पेंशन, वैवाहिक, मोटरयान दुर्घटना वाद, विद्युत बाद सहित अन्य विभागों से संबंधित कुल 2134 वादों को रखा गया. जिसमें बैंच ने दोनों पक्षों के आपसी सहमति बनने पर कुल 1079 वादों का निष्पादन किया गया. कुल 3 करोड़ 66 लाख 22 हजार 424 रुपये का समझौता किया गया. एडीजे चतुर्थ खुशबू श्रीवास्तव, ए डीजे पंचम धीरज कुमार मिश्रा, सीजीएम लाल बिहारी पासवान, एसीजेएम द्वितीय कुमार पंकज, मुंसिफ द्वितीय ब्रज किशोर चौधरी, जेएम प्रथम कविता अग्रहरि, प्रज्ञा मानस, रत्नेश कुमार द्विवेदी, वर्तिका जेएम द्वितीय निष्ठा,अनन्या शक्तिमान भारती विधिज्ञ संघ के अध्यक्ष शशि शेखर सिंह, पैनल अधिवक्ता शिव शंकर बनर्जी, पीएलवी मनोज कुमार, निरंजन कुमार, राजदीप सहित अन्य मौजूद थे.
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