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गुरु ही हमें भक्ति का सही अर्थ समझा सकते हैं : स्वामी निरंजनानंद

स्वामी सत्यानंद सरस्वती के 101वें जन्मदिवस पर मां गंगा के तट पर स्थित पादुका दर्शन संन्यास पीठ में बुधवार को पांच दिवसीय सत्यम् पूर्णिमा अनुष्ठान का श्रीगणेश किया गया.

पादुका दर्शन में पांच दिवसीय सत्यम् पूर्णिमा का बुधवार से हुआ श्रीगणेश

मुंगेर. स्वामी सत्यानंद सरस्वती के 101वें जन्मदिवस पर मां गंगा के तट पर स्थित पादुका दर्शन संन्यास पीठ में बुधवार को पांच दिवसीय सत्यम् पूर्णिमा अनुष्ठान का श्रीगणेश किया गया. जो 15 दिसंबर तक चलेगा. स्वामी सत्यानंद के कर्मभूमि मुंगेर में उनके जन्मोत्सव को सत्यम् पूर्णिमा के रूप में मनाने की पंरपरा 2020 से शुरू की गयी थी और अब इस अनुष्ठान का 5 वां वर्ष है. वाराणसी से पहुंचे विद्यान आचार्यो द्वारा यह अनुष्ठान संचालित कया जा रहा है. इस दौरान द्वादश शिवलिंगों का गंगा जलाभिषेक किया गया.

स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने कहा कि इस शिव तत्व आराधना को करने के लिए उन्हें स्पप्नादेश रिखिया में 2020 के शत-चंडी महायज्ञ के दौरान मिला था. स्वामी सत्यानंद के जन्म दिवस को मनाने के लिए उनकी यह कर्मभूमि मुंगेर सबसे उचित स्थान है. उन्होंने का कि किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले जैसे हम स्थान का शुद्धिकरण करते है. ठीक उसी प्रकार जब हम प्रसाद वितरण करते है तो हमारे भाव, मन व विचार शुद्ध होते हैं. हम उस परमशक्ति की कृपा व प्रेम के पात्र बनते हैं. भक्ति को आराधना का आधार बताते हुए उन्होंने कहा कि भक्ति की तीन श्रेणी होती है तामसिक, राजसिक एवं स्वात्तिक की. आत्मशुद्धि भैति का आधार है और वह गुरु ही होते है जो हमें भक्ति का सही अर्थ समझा सकते है. वहां मौजूद संन्यासियों द्यारा स्तोत्र पाठ किया. वाराणसी से आये आचार्यो ने रूद्र के पाठ से हवन प्रारंभ किया गया. इस दौरान स्वामी निरंजनानंद ने द्वादशज्योतिर्लिंगों का प्रतिनिधित्व करने वाले वारह शिवलिंगों का गंगा जिलाभिषेक किया.

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