जीवन का आधार उसकी सकारात्मकता: स्वामी निरंजनानंद

गंगा दर्शन विश्व योग पीठ का 62वां स्थापना दिवस सोमवार को बसंत पंचमी अनुष्ठान के पुर्णाहुति के साथ मनाया गया.

By Prabhat Khabar News Desk | February 3, 2025 7:24 PM

बसंत पंचमी अनुष्ठान के साथ मनाया गया गंगा दर्शन विश्व योग पीठ का स्थापना दिवस

मुंगेर. गंगा दर्शन विश्व योग पीठ का 62वां स्थापना दिवस सोमवार को बसंत पंचमी अनुष्ठान के पुर्णाहुति के साथ मनाया गया. इस अवसर पर स्वामी निरंजनानंद सरस्वती की उपस्थिति में उज्जैन से आये आचार्यों ने बड़े सटीक और सुंदर ढंग से पंच दिवसीय यज्ञ संपन्न किया. वहीं कन्या पूजन और कन्या भोजन का आयोजन भी किया गया.

यज्ञ के दौरान स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने अपने सत्संगों में अनेक प्रासंगिक विषयों पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति के जीवन का आधार उसकी सकारात्मकता होती है. हमारे परम गुरू स्वामी शिवानंद जी कहा करते थे कि जब जीवन उत्तम, मधुर और सरल होता है, तब जीवन में सकारात्मक शक्तियां प्रकट होती है और इसलिये सबको दिव्य जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए. स्वामी जी ने कहा कि श्रद्धा और विश्वास हमारी आंतरिक शक्तियां है. जो हमारे पूर्वाग्रहों और दुराग्रहों को दूर कर हमें सकारात्मता की ओर उन्मुख होने में मदद करती है. कलियुग में दो दैवी शक्ति काली और गणेश में श्रद्धा और उनकी आराधना होनी चाहिए. हमारे शास्त्रों में कहा भी गया है कलौ चंडीविनायकौ. मां काली हमारे जीवन में कलुषता को दूर करेंगी और गणेश जी हमारे सभी विघ्नों को हरकर हमारी नैया पार लगायेंगे. स्वामी जी ने ईश्वर की सर्वव्यापकता का व्याख्यान करते हुए कहा कि उस ईश्वरीय तत्व को हर एक प्राणी के भीतर देखने की आवश्यकता है. व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन के उत्थान के लिए ऊंच-नीच का भेद किये बिना सभी में उस परमात्मा का दर्शन करना चाहिए, विशेषकर उनमें, जो सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से निम्न तथा पिछड़े समझे जात हैं. यही लोग वास्तव में समाज-सेवक हैं. जो अपने पुरूषार्थ और परिश्रम से समाज को सुचारू रूप से चलायमान रखते हैं.

मां सरस्वती की हवनात्मक आराधना हुई संपन्न

इस दौरान मां सरस्वती की हवनात्मक आराधना संपन्न की गयी. आराधना की दिव्यता और मांगल्य को दक्षिण भारत के मूर्धन्य संत परमपूज्य शंकर भारती महास्वामी के पर्दापण ने किया. वे कर्णाटक के मैसूर जिले में योगानंदेश्वर सरस्वती मठ के 1995 के पीठाधीश्वर हैं और उनके द्वारा स्थापित वेदांत भारती संस्था भारतीय आध्यात्मिक विरासत को निरंतर आगे बढ़ा रही है. उन्होंने आदिगुरू शंकराचार्य के प्रेरक चरित्र और कालजयी शिक्षाओं को उजागर किया. साथ ही सबों को धर्म एवं अध्यात्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया.

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