प्रतिनिधि, बरियारपुर. स्वतंत्रता आंदोलन में बरियारपुर निवासी रामफल मंडल ने अहम भूमिका निभाई थी. वे 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के युवा क्रांतिकारियों में से एक थे. उनके शहादत की याद में रविवार को प्रखंड के मिर्जाचक पटेल चौक पर अखिल भारतीय धानुक उत्थान महासंघ मुंगेर व धार्मिक समाज द्वारा उनकी आदमकद प्रतिमा की स्थापना को लेकर शिलान्यास किया गया. अध्यक्षता अनिल कुमार ने की. जबकि संचालन दिलीप मंडल ने किया. मौके पर महासंघ के सदस्यों ने कहा कि शहीद रामफल मंडल भारत छोड़ो आंदोलन के युवा क्रांतिकारियों में से एक थे. इनका जन्म 6 अगस्त 1924 को बिहार के सीतामढ़ी जिले के बाजपट्टी थाने के मधुरापुर गांव में हुआ था. इनकी माता का नाम गरबी मंडल और पिता का नाम गोखुल मंडल था. उनका विवाह 16 वर्ष की आयु में जगपतिया देवी से हुआ था. 24 अगस्त 1942 को रामफल मंडल ने बाजपट्टी चौक पर ब्रिटिश सरकार के तत्कालीन सीतामढ़ी के अनुमंडल पदाधिकारी हरदीप नारायण सिंह, पुलिस निरीक्षक राममूर्ति झा, हवलदार श्यामलाल सिंह और चपरासी दरबेशी सिंह की हत्या कर दी थी. इसके बाद ब्रिटिश अधिकारियों ने उसे 1 सितंबर 1942 को गिरफ्तार कर सीतामढ़ी जेल में बंद कर दिया था. 5 सितंबर 1942 को उन्हें भागलपुर सेंट्रल जेल में स्थानांतरित कर दिया गया. भागलपुर कोर्ट में उन पर ब्रिटिश अफसरों की हत्या के आरोप में मुकदमा चलाया गया और 23 अगस्त 1943 को भागलपुर सेंट्रल जेल में उन्हें फांसी दे दी गयी. उन्हीं की शहादत की याद में बरियारपुर मिर्जाचक में प्रतिमा का शिलान्यास किया गया. मौके पर इंजीनियर अविनाश कुमार, प्रदेश अध्यक्ष बलराम मंडल, अशोक महतो, अनीता देवी, बैलून सिंह, मुकेश कुमार सिंह, शंभू मंडल सहित अन्य मौजूद थे.
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