जमालपुर. आनंद मार्ग के विश्वस्तरीय धर्म महासम्मेलन के दूसरे दिन शनिवार को पुरोधा प्रमुख अचार्य विश्वदेवानंद अवधूत ने अपने आध्यात्मिक उद्बोधन में कहा कि वास्तव में परम पुरुष रहस्य है. उनके रहस्य की खोज करने का जो सहारा लिया जाता है, उसे ही रहस्यवाद कहते हैं. परमात्मा सब जगह हैं, फिर भी वे रहस्य बने हुए हैं. परिदृश्यमान जगत सत्ता से भरी पड़ी है. इससे जो तरंग निकलती है. उसे ही तन्मात्र कहते हैं. तन्मात्र के कारण जो तरंग निकल रही है. उसी से हम जगत से परिचित होते हैं. उन्होंने कहा कि तन्मात्र की संख्या 5 है. पहला तन्मात्र गंध है. किसी वस्तु की गंध भी हो सकती है और दुर्गंध भी हो सकता है. गंध तन्मात्र की जितनी सूक्ष्म होगी, उतनी ही मधुर भी होगी. साधक मधुर गंध के स्थान को पकड़ पाने में अक्षम है, क्योंकि उसका उदगम स्रोत इंद्रियों की पकड़ से बाहर है. इस गंध को “सुरभि ” कहते हैं. जब साधक एकाग्र होकर चिंतन करते हैं. उनके भाव में रत हो जाते हैं, तब वह सुरभि का अनुभव करते हैं. मोह विज्ञान के अधिश्वर जीव को अपनी ओर इस तन्मात्र द्वारा आकृष्ट करते हैं. उन्होंने आनंद मार्ग के प्रारंभिक दिनों की एक घटना के संबंध में बताते हुए कहा कि लहेरियासराय दरभंगा में एक विप्लवी विवाह का आयोजन था. उन दिनों आनंद मार्गियों की संख्या कम थी. सभी लोग नाचते गाते जय जयकार करते आगे बढ़ रहे थे. बाबा भी उस बरात में धोती कुर्ता पहने चल रहे थे. हाठात् उन्होंने विवाह के आयोजक से इत्र की मांग की. किसी भी प्रकार का कोई इत्र नहीं था. लोग लाचार थे, परंतु उसी समय पूरे वातावरण में चंदन की खुशबू फैल गयी और सबों ने यह अनुभव किया कि यह खुशबू परम पुरुष से आ रही है. दूसरे तन्मात्र को रस तन्मात्र कहते हैं. यह तन्मात्र गंध तन्मात्र से सूक्ष्म है. रस का मतलब होता है प्रवाह. भक्ति शास्त्र में इसे ही “आनन्दघन ” सत्ता कहते हैं. मनुष्य इस सृष्टि के सबसे सुंदरतम प्राणी हैं, क्योंकि मनुष्य के पास हृदय है. मनुष्य का सबसे दिव्य गुण है कोमलता. हृदयता के कारण ही मनुष्य सृष्टि का सबसे सुंदरतम प्राणी है.
बिगड़े मौसम के बावजूद होता रहा जयघोष
जमालपुर. आनंद संभूति मास्टर यूनिट अमझर कोलकाली के मैदान में बने भव्य पंडाल में गुरुसकास, पांचजन्य योगासन, प्रभात संगीत, हस्ताक्षरी सिद्ध, महामंत्र बाबा नाम केवलम के साथ सामूहिक साधना एवं सर्व रोग नाशक कौशिकी तथा तांडव नृत्य दूसरे दिन शनिवार को आरंभ हुआ. इस दौरान बिगड़े मौसम के बावजूद श्रद्धालुओं के उत्साह पर कोई असर नहीं पड़ा और पंडाल भरा रहा. पुरोधा प्रमुख आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत के आगमन पर उन्हें पारंपरिक गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. इसके बाद उन्होंने भगवान आनंदमूर्ति के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें साष्टांग दंडवत किया.आनंद मार्ग के धर्म महासम्मेलन के लिए “डाना ” बना चुनौती
जमालपुर. आनंद संभूति मास्टर यूनिट अमझर कोल काली परिसर में आनंद मार्ग का विश्व स्तरीय धर्म महासम्मेलन चल रहा है. इसके लिए “डाना ” तूफान चुनौती साबित हो रहा है. हाल यह है कि जिस दिन से विश्व स्तरीय धर्म महासम्मेलन आरंभ हुआ है. उसी दिन से पूरे क्षेत्र में रुक-रुक कर हो रही बारिश ने तापमान गिरा दिया है. इसके कारण यहां भाग लेने वाले श्रद्धालुओं की परेशानी बढ़ गयी है. यह आनंद मार्ग प्रचारक संघ के श्रद्धालुओं का समर्पण भाव ही है कि इस विषम परिस्थिति और मौसम के बिगड़े मिजाज के बावजूद बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां धर्म महासम्मेलन में शिरकत कर रहे हैं. इन श्रद्धालुओं में दूर दराज से पहुंचे गृहस्थ भी हैं. इनके साथ महिलाएं और बच्चे भी हैं, परंतु आनंद मार्ग के प्रति उनकी आस्था विश्वास और समर्पण की भावना ने उन्हें टस से मस नहीं किया. यही कारण है कि भीड़ वहां लगातार बनी हुई है. हालांकि आनंद संभूति मास्टर यूनिट का निर्माण कार्य चल रहा है अथवा यह प्रोजेक्ट निर्माण अधीन है. इसके कारण पक्का पंडाल की व्यवस्था नहीं है. इतना ही नहीं लोगों के खाने-पीने के लिए जो भोजनालय की स्थापना की गयी है. वहां तक पहुंचाने के लिए भी पक्की सड़क नहीं है. शनिवार को भुक्ति प्रदान की आयोजित बैठक में धर्म महासम्मेलन के दौरान “डाना ” तूफान से उपजी स्थिति को देखकर यह निर्णय लिया गया है कि जल्द ही यहां इस विशाल भूखंड पर एक भव्य और विहंगम पंडाल का निर्माण किया जाएगा. जहां आने वाले दिनों में मौसम का मिजाज बदलने के बावजूद दूर दराज या विदेश से पहुंचने वाले आनंद मार्ग के संन्यासी या गृहस्थ को किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो.प्रभात संगीत के भावात्मक तरंग पर श्रोताओं का झूमना ही भक्ति योग
जमालपुर. धर्म महासम्मेलन के दौरान सामूहिक साधना के उपरांत रीनासां आर्टिस्ट और राइटर्स एसोसिएशन द्वारा प्रभात संगीत आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें आकांक्षा, सुकृति, शांतिप्रिया, अवंतिका, यसश्री जयसवाल, तन्वी जायसवाल, सुभाश्री, अस्मिता, मधुश्री, साक्षी, सृष्टि, प्रियदर्शनी, तेजस्विनी और तनु प्रिया शामिल थे. सभी देवघर, भागलपुर, जमालपुर और वाराणसी रावा परिवार से जुड़ी हैं. बताया गया कि प्रभात संगीत की रचना विभिन्न भाषाओं में भगवान आनंदमूर्ति द्वारा की गयी थी, जिनकी संख्या 5018 है. सांस्कृतिक संस्था रावा के आचार्य कल्याण मित्रआनंद अवधूत ने बताया कि लगभग 7000 वर्ष पूर्व भगवान सदाशिव ने सरगम का आविष्कार किया था. 14 सितंबर 1982 को झारखंड राज्य के देवघर में भगवान श्री आनंदमूर्ति ने प्रथम प्रभात संगीत “बंधु हे निये चलो ” की रचना की थी. उन्होंने बताया कि बाबा ने संस्कृत, बांग्ला, उर्दू, हिंदी, अंगिका, मैथिली, मगही और अंग्रेजी भाषा में प्रभात संगीत की रचना की है. सांस्कृतिक कार्यक्रम का आकर्षण का केंद्र बाबा के जीवन काल के फोटो और वीडियो की प्रदर्शनी भी है. इतना ही नहीं मंजे हुए कलाकारों द्वारा आनंद मार्ग द्वारा प्रतिपादित विभिन्न प्रकार के संदेश के लिए लघु नाट्य का मंचन भी किया जाता है.धर्म महासम्मेलन के लिए पक्का पंडाल का होगा निर्माण
जमालपुर. आनंद मार्ग प्रचारक संघ के महासचिव आचार्य अभिरामानंद अवधूत की अध्यक्षता में शनिवार को भुक्ति प्रधान, एलएफटी, तात्विक, आचार्य की आवश्यक बैठक हुई. जहां भुक्ति प्रधान ने अपने जिले में चल रहे शिक्षा सेवा एवं सहायता कार्य की रिपोर्ट प्रस्तुत की. केंद्रीय कार्यकारिणी के आचार्य शुभनिर्यासानंद अवधूत ने कहा कि निकट भविष्य में धर्म महासम्मेलन का अपना पक्का पंडाल बन जाएगा. इसका निर्माण आनंद संभूति में ही होगा. इसी परिसर में शिक्षा का केंद्र गुरुकुल की स्थापना भी की जाएगी. इस प्रखंड में ग्राम स्तरीय प्राथमिक विद्यालय की व्यवस्था की जाएगी. मौके पर आचार्य रुद्रानंद अवधूत, आचार्य सवितानंद अवधूत ,आचार्य कल्याणमित्रानंद अवधूत, आचार्य मधुव्रतानंद अवधूत, आचार्य विश्व स्वरूपानंद अवधूत, अवधूतिका आनंद दानव्रता आचार्या, अवधूतिका आनंद द्योतना आदि मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है