निष्काम भाव से की गयी भक्ति से ही प्रभु का होता है साक्षात दर्शन : स्वामी सुबोधानंद
स्वामी सुबोधानंद जी महाराज ने कहा है कि भगवान प्रेम भाव के भूखे हैं. श्रद्धापूर्वक भक्त जो कुछ भी पत्र, पुष्प, फल जल आदि भगवान को अर्पण करता है, भगवान उसे बड़े प्रेम से स्वीकार करते हैं.
असरगंज. स्वामी सुबोधानंद जी महाराज ने कहा है कि भगवान प्रेम भाव के भूखे हैं. श्रद्धापूर्वक भक्त जो कुछ भी पत्र, पुष्प, फल जल आदि भगवान को अर्पण करता है, भगवान उसे बड़े प्रेम से स्वीकार करते हैं. वे रविवार को प्रखंड के बस स्टैंड स्थित संत पथिक आश्रम में आयोजित तीन दिवसीय संगीतमय भागवत कथा के अंतिम दिन रविवार को श्रद्धालुओं से कही. महाराज ने कहा कि भगवान श्रीराम ने शबरी के झूठे बेर, भगवान श्री कृष्ण ने बिदुरानी के केले के छिलके व सुदामा के तंदुल को बड़े प्रेम से खाया. बचपन में श्री कृष्ण ने प्रेम में आकर गोपियों के घरों से दूध, दही, मक्खन चुरा कर खाया और ग्वालवालों को भी खिलाया. उन्होंने कहा कि केवल निष्काम भक्तिभाव से ही प्रभु प्रसन्न होते हैं. प्रभु कृपा से प्रभु का साक्षात दर्शन होता है. योग, तप, ध्यान, साधना की अपेक्षा प्रेम और भक्ति से प्रभु की प्राप्ति अत्यंत शीघ्रता और सहजता से होती है. उन्होंने श्री कृष्णा उद्भव संवाद सुनाते हुए कहा कि संसार में सबसे बड़ा बुद्धिमान और चतुर व्यक्ति वही है, जो जीवित रहते हुए ही मरने से पहले नाशवान शरीरों में रहने वाले अविनाशी आत्मा परमात्मा का ज्ञान प्राप्त कर लेता है. प्रवचन के उपरांत कार्यक्रम के आयोजक और मुख्य यजमान मन्नु साह ने शंकर बाबा, रंजीत बाबा, शंकर ब्रह्मचारी, रामदास बाबा को माला पहनाकर सम्मान किया. मौके पर 50 गरीब जरूरतमंदों के बीच कंबल भी बांटे गये.
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