माता-पिता की सेवा करना हमारा कर्तव्य ही नहीं दायित्व भी : शिवनंदन सलिल

माता पिता की सेवा करना हमारा सिर्फ कर्तव्य ही नहीं, बल्कि दायित्व भी है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 18, 2024 6:48 PM
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मुंगेर शहर के गायत्री नगर पूरबसराय में रविवार की शाम मथुरा प्रसाद गुंजन स्मृति सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. जिसकी अध्यक्षता विजेता मुद्गलपुरी ने की. जबकि संचालन गीतकार शिवनंदन सलिल ने किया. मुख्य अतिथि गज़लगो अनिरुद्ध सिन्हा और विशिष्ट अतिथि डॉ रामबहादुर चौधरी चंदन थे. मौके पर तीन साहित्यकारों को इस सम्मान से सम्मानित किया गया. कार्यक्रम तीन चरणों में हुआ. प्रथम चरण में अतिथियों का स्वागत करते हुए अरुण कुमार चौधरी ने सम्मान समारोह के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला. राजीव कुमार सिंह ने साहित्यकारों के सम्मान को साहित्य, संस्कृति और समाज के लिए संजीवनी बताया. गीतकार शिवनंदन सलिल ने वर्तमान भौतिकवादी युग में स्मृति दिवस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हम जिनकी रचना है उन्हें नजर अंदाज करना महापाप है. माता पिता की सेवा करना हमारा सिर्फ कर्तव्य ही नहीं, बल्कि दायित्व भी है. कर्तव्य समय, परिस्थिति और संबंध के अनुसार बदलते रहते हैं, लेकिन दायित्व कभी नहीं बदलता. इसलिए अपने दायित्व का निर्वहन करते रहे. अनिरुद्ध सिन्हा और डॉ चंदन ने माता-पिता को ईश्वर का रूप कहा और आधुनिकता के दौर में अंधी संतानों को ऐसे समारोहों से सीख लेने की प्रेरणा दी. सुल्तानगंज से आये कवि सुधीर कुमार प्रोग्रामर इससे लोगों को प्रेरणा लेने पर बल दिया. विजेता मुद्गलपुरी ने मथुरा प्रसाद गुंजन के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला. कार्यक्रम के दूसरे चरण में सम्मान समारोह हुआ. जिसमें कवयित्री डॉ रंजना सिंह (बेगूसराय ) को कविता संकलन “कराहती भारत माता “, ज्योति सिन्हा को कविता संकलन “झुरमुट ” और डा अंजनी कुमार सुमन को शोध ग्रन्थ “अंग जनपद में तंत्रवाद ” के लिए मथुरा प्रसाद गुंजन स्मृति सम्मान से अंग वस्त्रम, प्रशस्ति पत्र, स्मृतिचिन्ह, मेडल और पुष्पम देकर सम्मानित किया गया. कार्यक्रम के तीसरे चरण में कवि सम्मेलन का आग़ाज करते हुए कवयित्री आलिया ने अपनी कविता का पाठ किया. जिसके बाद डाॅ राम बहादुर चौधरी चंदन, शिवनंदन सलिल, अनिरुद्ध सिन्हा, ज्योति सिन्हा, सुधीर प्रोग्रामर, कुमकुम सिन्हा, रख्शां हाशमी, डा रंजना सिंह, विजेता मुगदलपुरी, मधुसूदन आत्मीय सहित अन्य कवि एवं कवयित्रियों ने अपनी रचनाएं पढ़ी.

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