Loading election data...

खगड़िया की 18 वर्षीया युवती मुंगेर में एलाइजा जांच में मिली पॉजिटिव

मुंगेर सदर अस्पताल में इलाजरत खगड़िया जिले के सोनडीहा महद्दीपुर निवासी शंभू यादव की 18 वर्षीया पुत्री कोमल कुमारी एलाइजा जांच रिपोर्ट में डेंगू पॉजिटिव पायी गयी है.

By Prabhat Khabar News Desk | July 27, 2024 11:13 PM

प्रतिनिधि, मुंगेर. मुंगेर सदर अस्पताल में इलाजरत खगड़िया जिले के सोनडीहा महद्दीपुर निवासी शंभू यादव की 18 वर्षीया पुत्री कोमल कुमारी एलाइजा जांच रिपोर्ट में डेंगू पॉजिटिव पायी गयी है. शनिवार को डेंगू मरीज का रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा इसकी जानकारी खगड़िया जिला स्वास्थ्य विभाग को भेजा गया है, जबकि डेंगू पॉजिटिव मरीज को महिला वार्ड के सामने बने डेंगू स्पेशल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है. विदित हो कि खगड़िया निवासी कोमल कुमारी का इलाज मुंगेर शहर के एक निजी चिकित्सक के पास चल रहा था. जिसका 25 जुलाई को रैपिड जांच में एनएस-1 पॉजिटिव पाये जाने के बाद परिजनों द्वारा इलाज के लिये सदर अस्पताल लाया गया. जहां महिला वार्ड में इलाज के दौरान 26 जुलाई को कोमल का एलाइजा जांच की गयी. इसमें जांच रिपोर्ट पॉजिटिव पाया गया. हालांकि, सदर अस्पताल में डेंगू का पहला कंफर्म मामला आने के बाद मरीज को अस्पताल प्रबंधन द्वारा महिला वार्ड के सामने बने डेंगू वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया. सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ रमन कुमार ने बताया कि एलाइजा जांच में डेंगू पॉजिटिव पाये जाने के बाद मरीज को महिला वार्ड से 6 बेड के डेंगू वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है. जहां मरीज का इलाज किया जा रहा है.

कहते हैं सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार सिन्हा ने बताया कि एलाइजा जांच में डेंगू पॉजिटिव पाया गया मरीज खगड़िया जिले की रहने वाली है. इस कारण उसकी गिनती मुंगेर में नहीं किया जायेगा, हालांकि, सदर अस्पताल में मरीज का इलाज चल रहा है, जबकि मरीज से संबंधित सूचना खगड़िया स्वास्थ्य विभाग को दे दी गयी है.

डेंगू पीड़ित को घबराने की नहीं, उचित इलाज की जरूरत : डॉ हर्षबर्धन

डेंगू से बचाव के लिए घर व आस-पास नहीं जमा होने दे पानी, मच्छरदानी का करें प्रयोगफोटो कैप्शन – 7. मुंगेर इमरजेंसी हॉस्पिटल के निदेशक डॉ हर्षबर्धन

मुंगेर. मुंगेर में डेंगू फीवर का असर दिखने लगा है. सदर अस्पताल में भी डेंगू मरीज आने लगे है. डेंगू फीवर के बढ़ते मामले पर मुंगेर इमरजेंसी हॉस्पिटल के निदेशक डॉ हर्षबर्धन ने आमलोगों के लिए डेंगू से बचाव को लेकर जानकारी साझा किया. उन्होंने साफ कहा कि डेंगू पीड़ित को घबराने की नहीं, बल्कि उचित इलाज की जरूरत है. लक्षण दिखने पर तत्काल चिकित्सक से परामर्श ले. उन्होंने बताया कि डेंगू की बीमारी वायरस के कारण होती है. एडीज ग्रुप के मच्छर के काटने से मनुष्य के अंदर यह वायरस प्रवेश करता है. यह मच्छर जहां पानी का कलेक्शन होता है जैसे गमला, टायर, छोटे बर्तन, कूलर आदि जगह पनपता है. इस मच्छर के काटने से आम तौर पर 5 से 14 दिन के अंदर डेंगू के लक्षण उत्पन्न होने लगते हैं. डेंगू वायरस चार टाइप के है. डेंगू का लक्षण जब मनुष्य में आने लगते हैं तो इलाज और मॉनिटरिंग के लिए इसे चार कैटेगरी में बांटा गया है. पहली कैटेगरी जिसमें अधिकतर मरीज होते हैं. उसके लक्षण हैं अचानक आया हुआ हाई फीवर, आंख के पिछले हिस्से में दर्द, जोड़ो में दर्द, मसल में दर्द, गिल्टी हो जाना, डायरिया, गले में दर्द व खांसी शामिल है. खून जांच कराने एसजीपीटी, एसजीओटी का बढ़ना, प्लेटलेट काउंट का माइल्ड कम होना देखा जाता. इसका इलाज सरल है, पेरासिटामोल की गोली, ओआरएस के घोल, बेडरेस्ट, प्रॉपर डाइट और हाइड्रेशन को मेंटन करना तथा मच्छर से बचाव करना है. 95 प्रतिशत लोग इसमें ठीक हो जाते हैं. दूसरी कैटेगरी है डेंगू फीवर विथ वार्निंग साइन. जिसमें मरीज को भर्ती की जरूरत होती है. इसमें मरीज को पेट दर्द, उल्टी, बैचैनी, खून टेस्ट में हेमाटोक्रिट का वैल्यू बढ़ जाना, प्लेटलेट का वैल्यू 1 लाख से कम हो जाना, छाती या पेट में पानी होने लगना ये सब लक्षण आने लगते हैं. तीसरा कैटेगरी है डेंगू हेमोराजिक फीवर, जो खतरनाक स्टेज होता है. इसमें प्लेटलेट 50 हजार से कम हो जाता है. साथ ही नाक से खून, मसूड़ों से खून, लिवर और किडनी प्रभावित होने लगते हैं, पुनः बुखार जो एक बार आकर जा चुका था वो फिर आ जाता. चौथी कैटेगरी जो सबसे खतरनाक है जिसे डेंगू शॉक सिंड्रोम कहा जाता है. इसमें मरीज का बीपी कम हो जाता, सांस की दिक्कत हो जाती. इसमें मरीज को आईसीयू में एडमिट किया जाता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version