दो दिनों से मजदूर लापता, परिजनों ने जताई अनहोनी की आंशका

परिजनों ने सहचिता यादव के साथ किसी प्रकार की अनहोनी होने की आशंका जताई है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 10, 2024 6:50 PM

धरहरा. लड़ैयाटांड़ थाना क्षेत्र के कैथवन गांव निवासी अशर्फी यादव का 32 वर्षीय पुत्र सहचिता यादव उर्फ हालो यादव छठ पूजा के बाद शुक्रवार से ही लापता है. वहीं परिजनों ने उसके साथ अनहोनी की आशंका व्यक्त करते हुए थाने में आवेदन दिया है. जिसमें उसकी पत्नी जालो देवी ने बताया कि छठ पूजा में वह महगामा स्थित अपने मायका गई हुई थी. जबकि शुक्रवार की देर शाम कैथवन से उसका पति साइकिल से मोहनपुर निवासी अनिक यादव के घर पर मूंडन का भोज में शामिल होने गया था. देर रात्रि जब वह वापस नहीं लौटा तो परिजनों ने उसकी तलाश की, लेकिन वह नहीं मिला. जबकि उसकी साइकिल घर से आंगन में ही फेंका हुआ था. परिजनों ने सहचिता यादव के साथ किसी प्रकार की अनहोनी होने की आशंका जताई है. वहीं मामले को लेकर लडै़याटाड़ थानाध्यक्ष सोनू कुमार ने बताया कि आवेदन प्राप्त हुआ है. पुलिस प्राथमिकी दर्ज कर उसकी तलाश कर रही है.

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भोजपुरी लोकसंगीत की अक्षय आत्मा शारदा सिन्हा

मुंगेर – शारदा सिन्हा ने अपने मधुर स्वर से भोजपुरी लोकसंगीत को न केवल लोकप्रियता के नये शिखर पर ले गयीं, बल्कि उन्होंने भोजपुरी संगीत को अश्लीलता व अभद्रता के दलदल से उबारने व पहचान दिलाने के लिए संघर्ष करती रहीं. उक्त बातें आरडी एंड डीजे कॉलेज के प्राचार्य सह श्रीकृष्ण सेवा सदन के सचिव प्रो. प्रभात कुमार ने शारदा सिन्हा के निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कही. उन्होंने कहा कि शारदा सिन्हा अपने सौम्य सरल स्वभाव की भांति ही भोजपुरी लोकसंगीत को पवित्रता व आध्यात्मिकता प्रदान की. आजीवन पारिवारिक जीवन मूल्यों को भोजपुरी गीतों में संजोने वाली भोजपुरी कोकिला शारदा जी के जाने से जो रिक्तता उभरी. उनका जाना भोजपुरी संगीत के लिए अपूरणीय क्षति है. उनके गीतों में भोजपुरी समाज के सम्पूर्ण जीवन और संस्कृति का स्पन्दन सहज ही महसूस किया जा सकता है. उनके व्यक्तित्व की भांति ही ही उनका संगीत भी उज्ज्वल, सादगीपूर्ण व भव्य रहा. जब भी भोजपुरी लोकसंगीत को स्वच्छता व सुन्दरता प्रदान करने वाले सार्वकालिक महानतम अमर गायकों की सूची निर्मित की जाएगी, उनका नाम अग्रिम पंक्ति में शामिल होगा. छठ से जुड़े हुए गीत न केवल इनकी ऊर्जा व प्रेरणा के स्रोत रहे, बल्कि जन जीवन को भी छठ महिमा की अनुभूति कराने में सफलता व सार्थकता हासिल की.

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