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ठंडे बस्ते में मुंगेर विश्वविद्यालय के जमीन अधिग्रहण का मामला, अभी करना होगा इंतजार

कुल रकबा 20 एकड़ 6.221 डिसमिल रैयती भूमि को बिहार सतत निति 2014 के तहत अधिग्रहण के लिये चिन्हित किया गया है

– हवेली खड़गपुर अंचल के तेलियाडीह पंचायत के बिरजपुर मौजा में 20 एकड़ जमीन चिन्हित जमीन के लिए मांगा गया है 4.97 करोड़ का डिमांड

मुंगेर

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पिछले दिनों मुंगेर विश्वविद्यालय के लिए जमीन चिन्हित किये जाने, बीएसईआईडीसी द्वारा जमीन का निरीक्षण करने तथा इसके लिये जिला प्रशासन द्वारा सरकार से 4.97 करोड़ रुपये मांगने के बाद लगा था कि अब जल्द ही विश्वविद्यालय को अपना जमीन मिल जायेगा, लेकिन एमयू के अन्य मामलों की तरह जमीन का मामला भी अब ठंडे बस्ते में चला गया है. हाल यह है कि सरकार से एक माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी जमीन अधिग्रहण को लेकर कोई निर्देश नहीं मिल पाया है.

20 एकड़ जमीन के लिए 4.79 करोड़ का किया गया है डिमांड

19 सितंबर को जिला प्रशासन मुंगेर द्वारा शिक्षा विभाग के विशेष सचिव को मुंगेर विश्वविद्यालय के लिए चिन्हित जमीन को लेकर पत्र भेजा गया था. जिसमें कहा गया कि विश्वविद्यालय के परिसर व भवन निर्माण के लिये बिरजपुर मौजा थाना संख्या-10 से संबंधित कुल रकबा 20 एकड़ 6.221 डिसमिल रैयती भूमि को बिहार सतत निति 2014 के तहत अधिग्रहण के लिये चिन्हित किया गया है. जिसमें कुल 22 रैयतों की भूमि है. इस भूमि का एमभीआर (बाजार मूल्य आधारित) के अनुसार कृषि द्वितीय क्षेणी की भूमि का अनुमानित मूल्य 6,200 रुपये प्रति डिसमिल के दर से कुल 4 करोड़ 97 लाख 54 हजार 281 रुपये आंकी गयी है. वहीं जिला प्रशासन द्वारा इस भूमि को सतत लीज निति 2014 के तहत अधिग्रहण करने की अनुशंसा की गयी है.

एक माह बाद भी स्वीकृति के आस में विश्वविद्यालय

पिछले साल ही सरकार द्वारा हवेली खड़गपुर अंचल के तेलियाडीह पंचायत के बिरजपुर मौजा में 20 एकड़ जमीन चिन्हित कर लिया गया. जिसके लिये एक माह पूर्व जिला प्रशासन को पत्र भी भेजा गया, लेकिन एक माह से अधिक समय बीत जाने के बावजूद अबतक इसे लेकर सरकार से कोई स्वीकृति नहीं मिल पायी है. एमयू के ओएसडी डॉ प्रियरंजन तिवारी ने बताया कि विश्वविद्यालय के लिये जमीन चिन्हित कर जिला प्रशासन द्वारा अधिग्रहण को लेकर सरकार को डिमांड भेजा गया है. हलांकि अबतक इसे लेकर विश्वविद्यालय को किसी प्रकार का निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है.

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जमीन को लेकर विरोध भी पड़ गया ठंडा

मुंगेर – बता दें कि साल 2018 में मुंगेर विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद पहले तो इसका संचालन लगभग 6 माह तक आरडी एंड डीजे कॉलेज में किया गया. जिसके बाद इसे कॉलेज कैंपस में ही 5 करोड़ की लागत से बने डीजे कॉलेज के परीक्षा भवन में शिफ्ट कर दिया गया. जो पिछले 6 साल से इसी तीन मंजिले भवन में चल रहा है. ऐसे में आरंभ से ही विश्वविद्यालय के लिये अपना जमीन होने की मांग सबसे बड़ी मांग रही. ऐसे में जिला प्रशासन द्वारा जमीन को चिन्हित तो किया गया, लेकिन अब इस जमीन को लेकर स्थानीय स्तर पर विरोध शुरू हो गया था. जिसे लेकर विभिन्न राजनीतिक संगठन सहित छात्र संगठनों द्वारा भी न केवल विरोध प्रदर्शन किया गया, बल्कि जमीन दूर चिन्हित होने को लेकर सरकार से पत्राचार भी किया गया, लेकिन अंत में अब एमयू के लिये जमीन को लेकर विरोध भी पूरी तरह ठंडा पड़ गया है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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