प्रतिनिधि, मुंगेर. हाल के कुछ वर्षों में मुंगेर में विकास की लंबी लकीर खींची गयी. मुंगेर-मिर्जाचौकी फोरलेन, एनएच-80 चौड़ीकरण, श्रीकृष्ण सेतु के एप्रोच पथ निर्माण व मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल के लिए बड़े पैमाने पर रैयतों का जमीन अधिग्रहण किया गया. इसके लिए करोड़ों की राशि रैयतों को मुआवजा के तौर दिया गया, लेकिन मुआवजा राशि देने में बिचौलियाें की भागीदारी ने जिला भू-अर्जन विभाग की कार्यशैली पर हमेशा सवाल खड़ा किया है. यहां तक की फर्जी रैयत को खड़ा कर 1.72 करोड़ तक का भुगतान विभाग ने कर दिया था. हालांकि, असली मालिक आने पर मामला खुला और कोतवाली थाना में इसे लेकर प्राथमिकी दर्ज हुई. इसमें भू-अर्जन विभाग के कर्मी सहित 12 लोगों को नामजद किया गया था. यह प्राथमिकी ही भू-अर्जन कार्यालय पर कालिख पोत कर रख दिया है. अब नया मामला मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल के लिए जमीन रजिस्ट्री करने के बावजूद कमीशन के चक्कर में मुआवजा रोकने की बात सामने आयी है. प्रति कट्टा 1.20 लाख कमीशन वसूली का मामला आया सामने. मुंगेर मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल के लिए जमालपुर प्रखंड की बांक पंचायत के संदलपुर मौजा में जमीन सतत लीज नियम के तहत अधिग्रहित किया गया. इसके लिए रैयतों से जमालपुर सीओ से एनओसी मिलने के बाद रजिस्ट्री कराया गया. इसमें अधिकांश किसानों को मुआवजा राशि का भुगतान कर दिया गया है, लेकिन 20 से अधिक रैयतों का मुआवजा राशि रोक दिया गया है. जमीन निबंधन के बाद मुआवजा से वंचित रहने वाले रैयत कुंदन कुमार, अरूण कुमार, शिवशंकर प्रसाद यादव, वशिष्ठ नारायण, आशुतोष कुमार उर्फ अमरीश यादव सहित अन्य ने प्रमंडलीय आयुक्त को ज्ञापन देकर कहा कि तीन माह पहले जमीन रजिस्ट्री कर दिया. बहुत सारे किसान को राशि का भुगतान कर दिया गया, लेकिन हमलोगों को राशि का भुगतान नहीं किया गया. भू-अर्जन विभाग जाते है तो बिचौलिया से मिलने को कहता है. इसके बाद राशि भुगतान की बात कह रहे है. हमलोगों को कहा गया कि 1.20 लाख रुपये प्रति कट्ठा के दर से कमीशन के तौर पर लगेगा तब मुआवजा राशि का भुगतान किया जायेगा. कमीशन नहीं देने पर बिचौलिया द्वारा झूठा आपत्ति दिलवाकर हमलोगों को परेशान किया जा रहा है. भू-अर्जन विभाग के कर्मियों पर चल रहा फर्जीवाड़ा का मुकदमा. गंगा पर बने रेल सह सड़क पुल के एप्रोच पथ निर्माण में रैयतों की अधिग्रहित जमीन के बदले मिलने वाली मुआवजा की राशि जमीन के असली मालिक को भुगतान नहीं कर भू-अर्जन विभाग के कर्मियों ने बिचौलियों से सांठ-गांठ कर फर्जी जमीन मालिक को करवा दिया था. फर्जी मालिक को कुल 1.75 करोड़ की राशि भुगतान कर दिया गया था. मामला असली मालिक संतोष कुमार द्वारा कोतवाली थाना में फर्जीवाड़ा को लेकर दर्ज संख्या 310/22 के बाद सामने आया. वासुदेवपुर ओपी अंतर्गत शेरपुर निवासी संतोष कुमार सिंह ने कोतवाली थाना में दिये आवेदन में कहा था कि गंगा रेल सह सड़क पुल के एप्रोच पथ के लिए मौजा हरनाथपुर बरारी, थाना संख्या 48 में अधिग्रहित होने वाली 6 कट्ठा जमीन उसके पूर्वज की है, लेकिन भूअर्जन कार्यालय की मिलीभगत से इस जमीन का मुआवजा राशि 1 करोड़ 75 लाख 12 हजार 470 रुपये जिला भू-अर्जन कार्यालय मुंगेर के प्रधान सहायक संजय कुमार व अमीन विजेंद्र कुमार अंबष्ठा की मिलीभगत से फर्जी रैयत कुणाल कुमार, गणेश मंडल, आशा देवी, विकास कुमार, रामदेव मंडल, अनिल कुमार सिंह, सुनील कुमार सिंह व रेणु देवी, सत्यवती देवी को कर दिया गया. प्रधान कार्यालय सहायक व अमीन ने फर्जी रूप से समर्पित कागजात के आधार पर फर्जी रिपोर्ट बनाया और उसी फर्जी रिपोर्ट के आधार पर झर्री मंडल की जमीन का वैद्य उत्तराधिकारी फर्जी लाेगों को बता कर मुआवजा राशि का भुगतान कर दिया. फर्जीवाड़ा का यह मामला अभी भी लंबित है. कहते हैं अधिकारी. जिला भू-अर्जन पदाधिकारी पंकज कुमार ने बताया कि रजिस्ट्री होने के बाद आपत्ति आया है. इसलिए डीएम द्वारा तीन सदस्यीय टीम गठित कर जांच करायी जा रही है. जांच रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जायेगी.
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