शंकापूर्ण जीवन जीने से अच्छा है मनुष्य विवेकपूर्ण जीवन जीये : मंजूलता
अयोध्या से पधारी कथावाचिका मंजूलता देवी श्री ने कहा है कि शंकापूर्ण जीवन मनुष्य को बर्बाद कर देता है, जबकि विवेकपूर्ण जीवन उत्तरोत्तर वृद्धि करता है और मनुष्य भविष्य की ओर अग्रसर रहता है.
असरगंज. अयोध्या से पधारी कथावाचिका मंजूलता देवी श्री ने कहा है कि शंकापूर्ण जीवन मनुष्य को बर्बाद कर देता है, जबकि विवेकपूर्ण जीवन उत्तरोत्तर वृद्धि करता है और मनुष्य भविष्य की ओर अग्रसर रहता है. वे रविवार को राजबनैली दुर्गा मंदिर, असरगंज के प्रांगण में सूर्य मंदिर स्थापना दिवस पर आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम कथा के प्रथम दिन प्रवचन करते हुए कही. कथावाचिका ने कहा कि व्यक्ति को हमेशा विवेकपूर्ण जीवन जीना चाहिए. अन्यथा उसे निराशा के शिवा कुछ नहीं मिलेगा. भगवान शिव प्रभु श्रीराम की इच्छा से विवाह को तैयार हुए और सारे बारातियों को लेकर राजा दक्ष के यहां पहुंचे. जहां उनका विवाह संपन्न हुआ. उन्होंने सती चरित्र, दक्ष यज्ञ विध्वंस, वीरभद्र जन्म का विस्तारपूर्वक वर्णन किया. उन्होंने कहा कि संत व्यक्ति अपमान में भी सम्मान ढूंढ लेता है. जिसे संसार के सारे लोग ठुकरा देते हैं. उसे भगवान सदाशिव अपनाते हैं. संसार की नश्वर चीजों के प्रति मनुष्य की मोह माया अधिक होती है. उन्होंने भगवान के चरणों में प्रेम करने को कहा. ताकि उनका जीवन धन्य हो सके. कथा के अंत में कई मनमोहक झांकी प्रस्तुत की गयी. जिसे देख श्रद्धालु भावविभाेर हो गये. मौके पर छठ पूजा समारोह समिति के अध्यक्ष दिनेश बिंद, सचिव पप्पू साह लहरी, कोषाध्यक्ष रंजन कुमार बिंद, उपाध्यक्ष विजय शंकर उपाध्याय उर्फ नेताजी, अधिक प्रसाद साह, उप सचिव दिलीप पोद्दार, राजकुमार बिंद, कृष्णानंद गुप्ता, बबलू साह सहित बुद्धिजीवी उपस्थित थे.
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