Munger news : इस समय मैरिज हॉल, बैंक्विट हॉल और धर्मशाला में शादी-विवाह के साथ ही अन्य उत्सव मनाने का ट्रेंड चल रहा है. इसके कारण हर साल मुंगेर शहर में 10 से 15 मैरिज हॉल की ओपनिंग हो रही है. यहां का किराया दो से ढाई लाख रुपये प्रति विवाह लिया जाता है. अगर सारी व्यवस्था करनी हो, तो उसका खर्च पांच से 10 लाख तक पहुंच जाता है. पर, ऐसे मैरिज हाल पर नियम कानून का कोई बंधन नहीं है. न तो इनके पास नगर निगम का ट्रेड लाइसेंस है और न ही पार्किंग व सुरक्षा की व्यवस्था है. संचालक खुद मालामाल हो रहे हैं और निगम को लाखों का चूना लगा रहे हैं.
निगम के रजिस्टर में मात्र 12 विवाह भवन ही निबंधित
मुंगेर शहर में 50 से अधिक मैरिज हॉल का संचालन हो रहा है. शहर के हर क्षेत्र में आपको छोटे-बड़े विवाह भवन देखने को मिल जाएंगे. इनको हर हाल में नगर निगम से ट्रेड लाइसेंस लेना अनिवार्य है. लाइसेंस नहीं होने पर उसे निगम प्रशासन सील तक कर सकता है, लेकिन संचालक बिना निगम से ट्रेड लाइसेंस लिये ही मैरिज हॉल का संचालन कर रहे हैं. नगर निगम के रजिस्टर में मात्र 12 मैरिज हॉल ही निबंधित हैं. इससे यह स्पष्ट होता है कि शहर में अधिकांश मैरिज हॉल संचालकों के लिए नियम-कानून कोई मायने नहीं रखता है. इतना ही नहीं 30 से अधिक ऐसे हॉल हैं, जिन्हें राजनीतिक, गैर राजनीतिक व अन्य कार्यक्रमों के लिए भाड़े पर दिया जाता है.
नगर निगम को हो रहा लाखों का नुकसान
नगर निगम प्रशासन की उदासीनता के कारण उसे प्रति वर्ष 25 लाख तक का नुकसान हो रहा है. निगम की मानें, तो एक से 10 लाख तक की कमाई करनेवाले होटल, मैरिज हॉल, बैंक्विट हॉल, धर्मशाला को मात्र 1000 रुपये सालाना ट्रेड लाइसेंस के लिए निगम में जमा करना है. 10 लाख से अधिक की कमाई करनेवालों को मात्र 2500 रुपये ही निगम को ट्रेड लाइसेंस के लिए एक साल में देना है. बावजूद इसके लाइसेंस लेने में मैरिज हॉल संचालक दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं. मैरिज हॉल संचालक इन दिनों शादी-विवाह के लिए ठहरने, खाने, सजावट व अन्य तरह का ठेका ले लेते हैं. शहर में कई ऐसे बड़े मैरिज हॉल भी आज खुल गये हैं, जिनकी एक शादी की कमाई पांच लाख से ऊपर की है. पर, इनके लिए नियम-कानून मायने नहीं रखता, क्योंकि निगम प्रशासन का इनको मौन समर्थन प्राप्त है. इसके कारण निगम प्रतिवर्ष 25 लाख से अधिक का नुकसान हो रहा है.
जगह-जगह खुल गये हैं विवाह भवन, पार्किंग की व्यवस्था नहीं
नये मापदंड के अनुसार, अब विवाह भवन संचालन के लिए नगर निगम से ट्रेड लाइसेंस लेना अनिवार्य है. ट्रेड लाइसेंस देने से पहले नगर निगम के पदाधिकारी को उक्त विवाह भवन में जाकर यह देखना होता है कि विवाह भवन में पार्किंग की व्यवस्था है या नहीं, रास्ते मानक के अनुसार चौड़े हैं अथवा नहीं. ध्वनि मापक यंत्र लगा है या नहीं. उनको यह भी देखना है कि आयोजन स्थल पर कपड़े से तैयार पंडाल व टेंट में आग लगने की आशंका को देखते हुए तत्काल उस पर काबू पाने के लिए अग्निशमन विभाग का एनओसी है अथवा नहीं, अग्निशमन यंत्र है अथवा नहीं. इन सभी जांच के बाद ही मैरिज हॉल संचालन के लिए निगम लाइसेंस देगा, लेकिन निगम प्रशासन ने आज तक टीम गठित कर सर्वे तक नहीं कराया कि उसके शहर में कितने विवाह भवन संचालित हैं. हकीकत यह है कि गली-कूची में भी मानकों को ताक पर रख कर विवाह भवन संचालित किये जा रहे हैं.
निगम की सूची से कई बड़े विवाह भवन व धर्मशाला नदारद
निगम से प्राप्त सूची के अनुसार मात्र 12 मैरिज हॉल मुंगेर में संचालित हो रहे हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही है. आजाद चौक व मछली तालाब के पास दो बड़े धर्मशाला हैं. इसमें प्रतिवर्ष 25 से अधिक शादियां और 50 से अधिक उत्सव आयोजित किये जाते हैं. आयोजन करनेवालों से मोटी रकम वसूल की जाती है. इतना ही नहीं सोझी घाट मोड़ के समीप तीन बड़े क्लब, विवाह भवन एवं किला परिसर स्थित एक क्लब और एक होटल हैं, जहां हर साल 50 से अधिक शादियां व उत्सव आयोजित होते हैं. वहां भी आयोजनकर्ता से मोटी रकम की वसूली होती है, लेकिन इन सभी बड़े विवाह भवन व परिसर निगम के निबंधन सूची में शामिल नहीं हैं.
टीम गठित कर कराया जाएगा सर्वे
नगर आयुक्त निखिल धनराज ने कहा कि नगर निगम एक्ट के अनुसार शहर में संचालित सभी विवाह भवन, बैंक्विट हॉल और धर्मशाला को नगर निगम से लाइसेंस लेना है. यहां मात्र 12 संचालकों ने ही लाइसेंस लिया है. बिना लाइसेंस इसका संचालन करनेवालों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. शीघ्र ही टीम गठित कर सर्वें कराया जाएगा कि यहां कितने विवाह भवन, बैंक्विट हॉल, धर्मशाला, क्लब संचालित हो रहे हैं. इसके आधार पर निगम उनको नोटिस भेज कर लाइसेंस शुल्क वसूल करेगा. ऐसा नहीं करनेवाले संचालकों के विवाह भवन को सील किया जायेगा.