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बजट की आस में सीनेट बैठक का मामला अधर में लटका

- 28 फरवरी से आरंभ होगा सरकार का बजट सत्र, एमयू का अबतक तैयार नहीं हो पाया बजट

– 28 फरवरी से आरंभ होगा सरकार का बजट सत्र, एमयू का अबतक तैयार नहीं हो पाया बजट

मुंगेर. बिहार सरकार का बजट सत्र 28 फरवरी से आरंभ हो रहा है. इसमें वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए सरकार बजट का निर्धारण करेगी, लेकिन मुंगेर विश्वविद्यालय अबतक अपना न तो बजट तैयार कर पाया है और न ही इसका अनुमोदन अपने सक्षम प्राधिकार से कराने को लेकर सीनेट बैठक आयोजित कर पाया है. ऐसे में अब वित्तीय वर्ष 2025-26 में भी एमयू को सरकार से केवल वेतनादि व पेंशनादि मद की राशि से ही संतोष करना पड़ेगा. विदित हो कि सरकार द्वारा अपना बजट सत्र आरंभ करने से पहले ही सभी विभागों तथा विश्वविद्यालयों से संभावित बजट मांग लेती है, ताकि संभावित बजट के आधार पर संबंधित विश्वविद्यालय के लिये राशि के प्रावधान को बजट में शामिल किया जा सके. वहीं बिहार सरकार को बजट सत्र 28 फरवरी से 28 मार्च तक चलेगा.

एमयू अबतक तैयार नहीं कर पाया है अपना बजट

एक ओर जहां सरकार का बजट सत्र इसी माह आरंभ होने वाला है. वहीं एमयू अबतक अपने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए संभावित बजट तक नहीं बना पाया है. हाल यह है कि दिसंबर 2024 से बजट की तैयारी आरंभ करने के तीन माह बाद भी अबतक विश्वविद्यालय की बजट कमेटी वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए बजट तैयार नहीं कर पायी है. अब ऐसे में एमयू के लिये बजट तैयार करने के साथ इसे अपने सक्षम प्राधिकार से अनुमोदित कराना भी बड़ी चुनौती बन गयी है. जबकि बजट की आस में इस साल भी विश्वविद्यालय के सीनेट बैठक आयोजन का मामला अधर में लटक गया है.

साल 2024 में नहीं हो पाया था सीनेट बैठक

बता दें कि एमयू में साल 2024 में आपसी कलह के बीच सीनेट बैठक का आयोजन नहीं हो पाया था. जिसके कारण एमयू अपने वित्तीय वर्ष 2024-25 के संभावित बजट को सीनेट में पारित नहीं करा पाया था. जिसका नतीजा हुआ कि पूरे वित्तीय वर्ष में विश्वविद्यालय को केवल अपने वेतनादि व पेंशनादि मद की राशि ही सरकार से मिल पायी. जबकि अधिकांश मामलों में विश्वविद्यालय को राशि सरकार से नहीं मिली. अब ऐसे में दोबारा बजट को लेकर विश्वविद्यालय का लापरवाह रवैया परेशानी को बढ़ा सकता है.

प्रमोशन के बाद अब पे-फिक्सेशन का मामला उठा

विदित हो कि जहां साल 2024 में प्रमोशन मामले को लेकर आपसी कलह और गहमागहमी के कारण न तो सीनेट बैठक का आयोजन हो पाया था और न ही विश्वविद्यालय का बजट सीनेट से अनुमोदित हो पाया था. वहीं अब एक बार फिर प्रमोशन प्राप्त शिक्षक एवं कर्मियों का पे-फिक्सेशन कर बजट में शामिल करने के मामले ने तूल पकड़ लिया है. जिसके कारण तीन माह बाद भी एमयू अपना बजट तक तैयार नहीं कर पाया है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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