Munger news : बाढ़ ने गांव से लेकर शहर तक तबाही मचा रखी है. लाखों लोग बेघर हो कर खानाबदोश की जिंदगी जीने को विवश हैं. पर, प्रशासनिक स्तर पर मात्र पॉलीथीन सीट और सूखा राशन का वितरण कर अपने कर्तव्य की इतिश्री की जा रही है. मात्र एक स्थान अमरपुर में पके हुए भोजन की व्यवस्था की जा रही है. इसके कारण अब बाढ़पीड़ितों का आक्रोश सड़क पर उतर रहा है. प्रशासन की ओर से न तो बच्चों के लिए बिस्कुट व दूध का कोई इंतजाम किया गया है और न ही पका हुआ भोजन मिल रहा है.
डेंजर लेवल से 52 सेंटीमीटर ऊपर बह रही गंगा
मुंगेर में गंगा डेंजर लेवल 39.33 मीटर से 52 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. रविवार को गंगा का जल स्तर 39.95 मीटर पर पहुंच गया है. हालांकि रविवार की सुबह से ही गंगा का जल स्तर पूरी तरह से स्थिर है. संभावना है कि सोमवार से गंगा के जल स्तर में गिरावट आनी शुरू हो जायेगी. इससे शहरी क्षेत्र से एक-दो दिनों में पानी निकल जायेगा, लेकिन गांवों से पानी निकलने में समय लगेगा.
32 पंचायतों व नगर निगम के छह वार्ड के लाखों लोग बेघर
मुंगेर जिले के छह प्रखंड मुंगेर सदर, बरियारपुर, जमालपुर, धरहरा, हवेली खड़गपुर एवं असरगंज प्रखंड की 32 पंचायतें बाढ़ प्रभावित हैं. मुंगेर नगर निगम के 6 वार्ड बाढ़ की चपेट में हैं. यह प्रशासनिक आंकड़ा है, जबकि मुंगेर में 40 से अधिक पंचायतें बाढ़ से ग्रसित हैं. यहां के लाखों लोग बेघर हो गये हैं. उनकी जिंदगी पूरी तरह से खानाबदोश की तरह हो चुकी है. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से घर-द्वार छोड़ कर शहर की ओर भागे लोगों को प्रशासनिक राहत की दरकार है. पर, प्रशासनिक स्तर पर मात्र लखीसराय जिले के अमरपुर में एक कम्यूनिटी किचेन अब तक शुरू किया गया है. मुंगेर सदर और बरियारपुर भीषण बाढ़ की चपेट में हैं और बाढ़ पीड़ित कई स्कूलों में आकर शरण लिये हुए हैं. पर, उनकी जिंदगी सूखा राशन पर ही निर्भर है. चूड़ा, मूढ़ी और दालमोट खाकर किसी तरह से वे जिंदगी गुजार रहे हैं. हद तो यह है कि लाखों लोग बाढ़ प्रभावित हैं, लेकिन सूखा हजारों के बीच ही बंट रहा है. ऐसे में बाढ़ पीड़ित भूखों रहने को विवश हैं.
पेयजल के लिए करनी पड़ रही जद्दोजहद
बाढ़ से ग्रसित इलाकों में जो सबसे बड़ी समस्या देखने को मिल रही है वह पेयजल की है, क्योंकि बाढ़ आने के कारण उन इलाकों का पानी पूरी तरह से दूषित हो गया है. चिकित्सकों की मानें, तो पानी को उबाल कर ही पीने के उपयोग में लाया जाये. पर, बाढ़ पीड़ितों की व्यथा यह है कि उनके घरों में चूल्हा-चौका तक बंद है, तो फिर पानी कैसे उबालेंगे. प्रशासनिक दावों पर गौर करें, तो पीएचईडी और नगर निगम के चार-पांच टैंकर से पानी की सप्लाई हो रही है, जो ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है. हालात यह है कि जहां भी टैंकर पहुंच रहा है, वहां पर पानी के लिए मारा-मारी होने लगती है.
चार दिनों में हो चुकी है तीन की मौत
पिछले चार दिनों से बाढ़ ने तबाही मचा रखी है. इन चार दिनों में तीन लोग अपनी जान गंवा चुके हैं.टीकारामपुर में जहां वृद्ध रणवीर कुमार सिंह एवं चार वर्षीय शीतल कुमार की घर के बाहर ही बाढ़ के पानी में डूबने से मौत हो गयी, वहीं बरियारपुर ब्रह्मस्थान में घर में पानी घुसने के कारण पंखे में आये करेंट की चपेट में आने से प्रीतम राज की मौत हो गयी थी.
राहत व बचाव कार्य की डीएम ने संभाली कमान
बाढ़ की विभीषिका से आमजन परेशान हैं. इस प्राकृतिक आपदा से निबटने के लिए जिला प्रशासन ने पूरी ताकत झोंक दी है. राहत व बचाव कार्य की खुद जिलाधिकारी अवनीश कुमार सिंह ने कमान संभाल रखी है. रविवार को भी डीएम ने बरियारपुर व हेमजापुर जाकर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत एवं बचाव कार्य की जानकारी ली. बाढ़ प्रभावित लोगों को भरोसा दिलाया कि इस आपदा के समय जिला प्रशासन आपके साथ खड़ा है और हर सुविधा उपलब्ध करायीजायेगी. उन्होंने कहा की एसडीआरएफ की टीम विभिन्न पंचायतों में रेस्क्यू कर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रही है. उन्होंने लोगों से अपील की कि धैर्य और संयम से रहें. डीएम ने कहा कि झौवाबहियार और हरिनमार पंचायत ज्यादा प्रभावित हुआ है. वहां एसडीआरएफ की टीम नावों के जरिये लोगों को सुरक्षित स्थानों अथवा राहत शिविरों में पहुंचा रही है. साथ ही उन्हें प्लास्टिक, सूखा अनाज समेत अन्य आवश्यक सामग्री उपलब्ध करायी जा रही है.बरियारपुर पेट्रोल पंप, नीरपुर, हेमजापुर, बाहाचौकी, चोरगांव आदि स्थानों पर टैंकर के माध्यम से पेयजल की भी व्यवस्था की गयी है.