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Munger news : मुंगेर शहर नहीं हो पा रहा ओडीएफ प्लस, बदहाल है सामुदायिक शौचालय

ओडीएफ प्लस के मानक को पुरा नहीं कर रहा नगर निगम का सामुदायिक शौचालय

मुंगेर. कागजों में शहर को ओडीएफ का तमगा मिल चुका है. लेकिन ओडीएफ प्लस का तमगा लेने में विफल मुंगेर नगर निगम अब ओडीएफ प्लस के लिए एक बार फिर से आवेदन किया है. लेकिन सार्वजनिक व सामुदायिक शौचालयों का हाल यहां काफी खस्ताहाल है. कहीं शौचालय शौच से भी गंदा है. तो अधिकतर में पानी, साबुन जैसी सुविधा तक नदारत है. कहीं यूरिनल और वाशवेशन से पाइप तक गायब हैं तो कहीं यूरिनल टूटे पड़े हैं. तमाम अव्यवस्था हैं, लेकिन किसी का कोई ध्यान नहीं. ऐसे में स्वच्छता सर्वेक्षण में नगर निगम का प्रदर्शन कैसे सुधरे.

कैसे होगा मुंगेर शहर ओडीएफ प्लस, जब शौचालय हो बदहाल

मुंगेर नगर निगम वर्ष 2023 में ओडीएफ प्लस के लिए आवेदन किया था. सेंट्रल की टीम यहां आकर सार्वजनिक व सामुदायिक शौचालयों का सर्वे किया. लेकिन इसकी बुरी स्थिति के कारण इसे ओडीएफ प्लस का तमगा नहीं मिल सका. तीन माह पूर्व एक बार पुन: मुंगेर नगर निगम ने ओडीएफ प्लस के लिए आवेदन किया है. सेंट्रल की टीम शीघ्र ही यहां आने वाली है. जो शहर में बने 20 सार्वजनिक व सामुदायिक का घूम-घूम कर भ्रमण करेंगी. लेकिन निगम की तैयारी पूरी तरह से अधूरी है. शहर के अस्पताल रोड स्थित शौचालय की जीर्ण-शीर्ण स्थिति है. जहां जाने से भी लोग परहेज करते है. जबकि कोतवाली थाना के पास, बस पड़ाव, भगत सिंह चौक सहित अन्य शौचालय की भी स्थिति काफी खराब है. वहां पानी, रोशनी की जहां समस्या है. वहीं सफाई को नजरअंदाज किया गया है. टॉवेल, आईना, कंघी, हैंड वॉस तक की कोई व्यवस्था नहीं है. कई जगहों पर तो शौचालय में ताला ही लटका रहता है. राजारानी तालाब के पास बना सामुदायिक शौचालय में उद्घाटन के बाद से ही ताला लटका हुआ है. समाहरणालय के समीप भी एक शौचालय बना है. जो खुलता ही नहीं है.

कैसे मिलता है ओडीएफ प्लस का प्रमाण-पत्र

ओडीएफ श्रेणी में कोई शहर तब आता है, जब हर घर में शौचालय बन जाता है और जिन घरों में नहीं होता है, उनके लिए पर्याप्त सार्वजनिक व सामुदायिक शौचालय होते हैं. ओडीएफ प्लस का प्रमाणीकरण तब होता है, जब सार्वजनिक व सामुदायिक शौचालय चालू होते हैं और लोग उनका प्रयोग करते हैं. 2023 में क्वालिटी काउंसिल आफ इंडिया की टीम निरीक्षण को आई थी. लेकिन शौचालय की खस्ताहाल देख ओडीएफ प्लस का प्रमाण पत्र नहीं दिया. कहीं भी शौचालय में महिलाओं के लिए सेनेटरी पैड की मशीन नहीं लगी हुई. प्रत्येक 500-500 मीटर में यूरिनल एवं प्रत्येक किलोमीटर पर सामुदायिक शौचालय का निर्माण होना चाहिए. ताकि लोग खुले में शौच नहीं करें. लेकिन मुंगेर शहर की हकीकत किसी से छिपी नहीं है. आज भी लोग यहां खुले मुत्र त्याग करते है. शौचालय में बिजली का काम तक अधूरा है. जिससे प्रर्याप्त रोशनी तक नहीं मिलती है.

अधूरी तैयारी के बीच निगम ने तय कर दी जुर्माना राशि

नगर निगम की ओर से सार्वजनिक स्थानों पर खुले में शौच करने व मूत्र त्यागने पर यूजर चार्ज लगाने का आदेश जारी किया है. इधर शहर के मुख्य बाजार सहित अन्य स्थानों पर शौचालयों व यूरिनल की कमी लोगों को खल रही है. मजबूरी में लोग खुले में शौच करने को विवश हो जाते हैं. मुंगेर शहरी क्षेत्र में 20 सार्वजनिक शौचालय जरूर हैं, लेकिन इसमें अधिकांश शौचालय उपयोग के लायक नहीं हैं. देखरेख के अभाव में यह गंदगी से अटे पड़े हैं, जिससे दुर्गंध निकलती रहती है. शहर में कई स्थानों पर यूरिनल तो है, लेकिन सफाई के अभाव में लोग वहां मूत्र त्याग नहीं कर पा रहे हैं. निगम प्रशासन ने पिछले दिनों कुछ स्थानों पर महिलाओं के लिए पिंक टॉयलेट की व्यवस्था की है. बेकापुर एसबीआइ महाकाल मंदिर के पास भी एक पिंक टॉयलेट लगा दिया गया है, जिसमें हमेशा ताला ही बंद रहता है.

निगम के पास है दो-दो स्वच्छता प्रभारी

नगर निगम को स्वच्छ रखने और सुंदर बनाने की जिम्मेदारी नगर निगम की है. हाल के दिनों में यहां दो-दो सहायक लोक स्वच्छता पदाधिकारी को तैनात किया गया. जबकि अलग से कर्मचारियों की तैनाती भी की गयी है. दोनों पदाधिकारी ही सफाई व्यवस्था की मॉनिटरिंग करेंगे. साथ शहर के सार्वजनिक व सामुदायिक शौचालय की भी मॉनिटरिंग करेंगे. बावजूद मुंगेर में व्यवस्था बदहाल है.

कहते हैं नगर आयुक्त

प्रभारी नगर आयुक्त कुमार अभिषेक ने कहा कि ओडीएफ प्लस के लिए आवेदन किया गया है. इसके लिए मुंगेर शहर को तैयार किया जा रहा है. शौचालयों का भी सर्वे किया गया है, जहां भी कमियां होगी उसे दूर किया जायेगा. उन्होंने कहा कि निगम प्रशासन का एक ही उद्देश्य है कि मुंगेर वासियों को स्वच्छ और सुंदर शहर मिल सके.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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