14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

1934 के भूकंप में तबाह हो गया था मुंगेर शहर, मलबा में दब कर खामोश हो गयी थी 1500 जिंदगियां

1434 जिंदगियां मलबा में दब कर खामोश हो गई थी

– 91 साल बाद भी भूकंप की कहानी सून कर सिहर उठते लोग, खड़े हो जाते है रोंगटे

– 1934 के भूकंप में मारे गये लोगों की याद मेंं बंद रहता है शहर, दरिद्र नारायण भोज का होता है आयोजन

प्रतिनिधि, मुंगेर

————————-

मकर संक्रांति का त्योहार आते ही मुंगेर के लोगों को भूकंप की डरावनी याद आ जाती है. 15 जनवरी 1934 के भूकंप के यूं तो 91 साल बीत गये. लेकिन आज भी मुंगेर में उसकी निशानी भूकंप की भयावहता को बयां कर रही है. बुजुर्ग बताते हैं कि किस प्रकार मुंगेर उस भूकंप में तबाह हो गया था और चारों ओर मलवा ही मलवा बिखरा था. आज का मुंगेर मूलरूप से भूकंप के बाद का बना हुआ टाउनशिप है. जहां चौड़ी सड़कें, हर आठ-दस घरों के बाद चौराहा है. इसलिए इस शहर को कई मायने में चौराहों का भी शहर कहा जाता है.

1934 में आयी प्रलयकारी भूकंप के कारण मुंगेर शहर मलबा में तब्दील हो गया था. जिसमें 1434 जिंदगियां मलबा में दब कर खामोश हो गई थी. मुंगेर के लोग उसकी याद में हर साल दरिद्र नारायण का भोज कर उनकी आत्मा की शांति के लिए हवन कार्यक्रम का आयोजन करते है. जो एक परंपरा बन चुकी है.

मलबे में दब गयी थी 1434 जिंदगियां

15 जनवरी 1934 को आयी भूकंप की तीव्रता 8.4 थी. पूरा शहर मलबा में तब्दील हो गया था. 10,000 से अधिक घर जमींदोज हो गये थे. जबकि 1434 जिंदगियां मलबा में दब कर खामोश हो गयी थी. उस समय के कम ही लोग अब बचे हुए है. लेकिन बुजुर्गो से जिसने भी उस भूकंप का किस्सा सुना था और वह जब अपने बच्चों और आस पड़ोस के लोगों को सुनाते हैं. बुजुर्ग बताते हैं कि धरती डोली और चीख-पुकार के बीच केवल बचा रह गया मलवा. तबाही के बाद जो लोग बचे थे उनके चारों ओर मलवा ही मलवा बिखरा था. कोई घर ऐसा नहीं बचा था, जो इस तबाही की चपेट में नहीं आया हो.

मलबा हटाने पहुंचे थे महात्मा गांधी व नेहरू

मुंगेर में आयी प्रलयकारी भूकंप का कंपन से पूरा देश कांप गया था. शहर का बाजार, जमालपुर का रेलवे स्टेशन सहित कई इलाके में भूकंप ने तबाही का तांडव मचा दिया था. कई दिनों तक मलबे को हटाने का काम चलता रहा. भूकंप की जानकारी मिलने के बाद दिल्ली से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, डॉ राजेंद्र प्रसाद, डॉ संपूर्णानंद, सरोजनी नायडू जैसे लोग मुंगेर आकर कुदाल व डलिया उठा कर मलवा हटाये थे. पंडित मदन मोहन मालवीय, खान अब्दुल गफ्फार खान, यमुना लाल बजाज, आचार्य कृपलानी जैसे लोगों ने मुंगेर में आकर राहत कार्य में सहयोग किया थे. लोगों को इलाज से लेकर भर पेट भोजन तक का प्रबंध किया था.

.

1934 के भूकंप में मृत लोगों की याद में आज होगा नारायण भोज

मुंगेर :

15 जनवरी 1934 के भूकंप में मारे गये लोगों की याद में एक परंपरा के तौर पर दरिद्र नारायण भोज का आयोजन किया जाता है. मृत आत्मा की शांति के लिए सामुहिक हवन कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. जबकि बाजार की दुकाने बंद कर दुकानदार मारे गये लोगों के प्रति अपना शोक व्यक्त करते हैं. भूकंप दिवस समिति मुंगेर की ओर से भांति इस साल भी बेकापुर विजय चौक पर अपराह्न 3 बजे दरिद्र नारायण भोज का आयोजन कर नारायण भोज कराया जायेगा. इस दिन मृत आत्माओं की शांति के लिए मुंगेर बाजार बंद रहेगी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें