राणा गौरी शंकर, मुंगेर. बिहार की राजनीति में मुंगेर संसदीय क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. मुंगेर, लखीसराय और पटना जिले में फैले इस सीट पर वर्ष 2009 से ही एनडीए का कब्जा रहा है. इस बार भी मुकाबला एनडीए व महागठबंधन के बीच ही होना तय है. मुंगेर लोकसभा से वर्तमान मे जनता दल यू के वरिष्ठ नेता एवं पार्ट के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह सांसद है. उन्होंने दो बार वर्ष 2009 एवं 2019 में इस सीट पर जीत दर्ज की थी. इस बार भी एनडीए प्रत्याशी के रूप में उनके चुनाव लड़ने की संभावना है. वैसे अब तक दोनों घटक एनडीए व महागठबंधन ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है.
भूमिहारों का रहा है गढ़ पर यादव लगा चुके हैं जीत की हैट्रिक
मुंगेर लोक सभा सीट पर भले ही वर्तमान मे जदयू के सांसद है, लेकिन एनडीए के महत्वपूर्ण घटक भाजपा इस सीट पर अपना उम्मीदवार उतारने की कवायद कर रही है. क्योंकि वर्ष 2009 से लगातार यहां एनडीए जीत दर्ज कराती रही है. यूं तो नये परिसीमन के बाद इस सीट पर भूमिहार जाति के सर्वाधिक मतदाता है और सांसद भी इसी जाति से विजय होते रहे है. इसलिए महागठबंधन ने भी 2019 मे भूमिहार जाति से ही उम्मीदवार बिहार के बाहुबली अनंत सिंह की पतनी नीलम देवी को मैदान में उतारा था. लेकिन, अब नीलम देवी महागठबंधन छोड़ चुकी है. इसलिए नये उम्मीदवार की तलाश की जा रही है. माना यह भी जा रहा है कि राजद यह सीट कांगरेस को सौंप सकती है.
तीन जिलों मे फैला ह मुंगेर लोकसभा
मुंगेर लोक सभा क्षेत्र का स्वरूप वर्ष 2008 के परिसीमन में पूरी तरह बदल गया. पहले जहां इस लोक सभा क्षेत्र मे जमुई व तारापुर विधानसभा क्षेत्र शामिल थे. वही, नये परिसीमन मे जमुई को नया लोकसभा क्षेत्र बना दिया गया और तारापुर विधान सभा को भी उसी मे शामिल कर दिया गया. मुंगेर लोकसभा में मुंगेर और जमालपुर विधानसभा, लखीसराय जिले के लखीसराय और सूर्यगढ़ा विधानसभा तथा पटना जिले के बाढ़ व मोकामा विधानसभा क्षेत्र शामिल है. इनमे मुंगेर, लखीसराय और बाढ़ विधान सभा क्षेत्र जहां भाजपा का कब्जा है, वही जमालपुर से कांग्रेस तथा सूर्यगढ़ा व मोकामा सीट पर राजद का कब्जा था.
1967 मे मधु लिमये बने थे सांसद
मुंगेर संसदीय क्षेत्र ने कई बाहरी उम्मीदवारों को भी लोकसभा भेजा है. 1967 में महाराष्ट्र निवासी प्रसिद्ध समाजवादी नेता मधु लिमये मुंगेर से सांसद बने थे. वे सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े थे और जीत दर्ज की थी. हालांकि, 1972 के लोक सभा चुनाव मे कांग्रेस के डीपी यादव ने उन्हें पराजित कर दिया था. यही कारण था कि 1972 में पहली बार सांसद बनने के बाद भी इंदिरा गांधी ने अपने मंत्रिमंडल में डीपी यादव को उप शिक्षा मंत्री का दायित्व सौपा था.
1984 के बाद वापस नही लौटी कांग्रेस
यहां आजादी के बाद कांग्रेस का एकक्षत्र राज रहा. 1952 के पहले चुनाव मे बनारसी प्रसाद सिंह पहले सांसद बने थे और जीवन के अंतिम काल तक रहे. बाद के वर्ष में डीपी यादव 1972, 1980 और 1984 मे कांग्रेस से सांसद बने. 1984 के बाद इस सीट पर कांग्रेस कभी भी जीत दर्ज नहीं कर पायी है.
हर दल को दिया मौका
शुरू से मुंगेर संसदीय सीट पर दिग्गज नेताओ का कब्जा रहा है. हर राजनीतिक दलों को मुंगेर ने मौका दिया. आजादी के बाद से लगातार 1967 तक यहां से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बनारसी प्रसाद सिंह सांसद रहे. जबकि 1967 मे देश के प्रसिद्ध समाजवादी नेता मधु लिमये यहां से जीते. 1972 मे फिर कांग्रेस ने इस सीट को वापस ले लिया और डीपी यादव सांसद चुने गये. 1977 में लोक दल के कृष्णा सिंह सांसद बने. 1980 मे जब मध्यावधि चुनाव हुआ तो डीपी यादव एक बार फिर सांसद बने और 1984 मे भी मुंगेर से सांसद बनकर उन्होंने हैट्रिक लगायी. वे इस सीट से कांग्रेस के अंतिम सांसद रहे. 1989 में संसदीय चुनाव हुआ तो जनता दल के धनराज सिंह ने डीपी यादव को पराजित कर दिया.
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मुंगेर के सांसदो की सूची
वर्ष सांसद पार्टी
1952 बनारसी पसाद सिंह कांग्रेस
1957 बनारसी पसाद सिंह कांग्रेस
1962 बनारसी पसाद सिंह कांग्रेस
1967 मधु लिमये सोशलिस पार्टी
1972 डीपी यादव कांग्रेस
1977 कृष्णा सिंह लोकदल
1980 डीपी यादव कांग्रेस
1984 डीपी यादव कांग्रेस
1989 धनराज सिंह जनता दल
1991 बह्मानंद मंडल भाकपा
1996 विजय कुमार विजय राजद
1999 बह्मानंद मंडल समता
2004 जयपकाश नारायण यादव राजद
2009 राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह जदयू
2014 वीणा देवी लोजपा
2019 राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह जदयू