Munger news : महज कुछ घंटे की कार्रवाई में बिना चालान के बालू लदे 40 ट्रक व हाइवा पकड़े जाने के बाद मुंगेर से लेकर पटना तक खलबली मची है और मुंगेर के प्रभारी जिला खनन पदाधिकारी रणधीर कुमार को निलंबित कर दिया गया है. उनके निलंबन ने मुंगेर में पीला बालू के काला कारोबार की हकीकत को उजागर कर दिया है. साथ ही इस अवैध कारोबार में यहां बालू माफियाओं की पैठ भी सामने आ गयी है, जहां वरीय से कनीय अधिकारी के संरक्षण में यह धंधा चल रहा है और सरकारी कर्मी अंकूत संपत्ति बना लिये हैं.
मुंगेर के रास्ते लखीसराय व जमुई के बालू को मिल रही इंट्री
09 जून को जिला खनन, परिवहन और पुलिस विभाग ने संयुक्त रूप से कार्रवाई करते हुए 46 ट्रक व हाइवा को पकड़ा था. इसमें 46 वाहन चालकों के पास उस पर लदे बालू का ई-चालान तक नहीं था. सफियासराय और हेमजापुर थाने में वाहन व चालकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गयी. सबसे अहम है कि जो रिपोर्ट खनन विभाग ने सौंपी, उसमें यह स्पष्ट किया गया है कि जो अवैध बालू पकड़ा गया है, वह लखीसराय और जमुई जिले के घाटों का है. इसे लेकर दर्ज प्राथमिकी में इन घाटों पर भी एफआइआर करायी गयी है. इससे एक बात तो तय हो गयी है कि मुंगेर के रास्ते ही लखीसराय और जमुई के अवैध बालू का बड़ा कारोबार संचालित हो रहा है. प्रतिदिन मुंगेर होकर 500 से अधिक अवैध रूप से बालू लदे वाहन श्रीकृष्ण सेतु होकर दूसरे जिले ले जाये जाते हैं.
पासर दिलवा रहा पासिंग, तय है जिम्मेदारों की राशि
मुंगेर जिले की गंगटा सीमा पर खनन, मद्य ने चेकपोस्ट बना रखा है. पर, वहां से बालू वाहनों को आसानी से प्रवेश मिल रहा है. हेमजापुर सीमा पर भी चेकपोस्ट बना हुआ. बावजूद 500 से अधिक अवैध बालू लदे वाहनों को प्रतिदिन यहां से इंट्री मिल रही है. श्रीकृष्ण सेतु पर पुलिस पिकेट बना हुआ है, जहां पर पुलिस पदाधिकारी के नेतृत्व में जवानों की तैनाती है. फिर भी अवैध बालू लदे वाहन मुंगेर में फर्राटा भर रहे हैं. जमुई, लखीसराय और मुंगेर जिले के दर्जन भर थानों को अवैध बालू लदे वाहन आसानी से पार कर श्रीकृष्ण सेतु होते हुए दूसरे जिले में जा रहे हैं. आखिर इतने जिम्मेदारों के होते हुए कैसे अवैध बालू लदे वाहनों को मुंगेर में पासिंग मिल रही है, यह सवाल उठना स्वाभाविक है.
देवघर में बैठकर मुंगेर में दिलवा रहा अवैध बालू वाहनों को पासिंग
बताया जाता है कि शेखपुरा का रहनेवाला गौतम नाम का व्यक्ति देवघर में बैठ कर जिम्मेदारों को तय राशि देकर मुंगेर में पासिंग दिलवा रहा है. एक बड़े वाहन से महीने की 16 हजार इंट्री फीस तय है. इसके अतिरिक्त एक वाहन से प्रतिदिन 1000 से 1500 रुपये वसूल किया जाता है. श्रीकृष्ण सेतु पार करने के बाद इसकी जवाबदेही बेगूसराय के एक यूट्यूबर पत्रकार की है. उक्त यूट्यूबर पत्रकार ने तो धमकी भरे लहजे में 09 जून को पकड़े गये बड़े वाहनों में से 6 वाहनों को छोड़ने के लिए कहा था. ये अलग बात है कि हाई लेबल छापेमारी होने के कारण वाहन छूट नहीं पाये.
खनन विभाग में तैनात खान निरीक्षक की भूमिका पर उठ रहे सवाल
अवैध बालू ढुलाई को रोकने के लिए मुंगेर जिले की सीमा पर चेकपोस्ट बना हुआ है, जो सिर्फ नाम का संचालित होता है. खनन विभाग मुंगेर में तीन खान निरीक्षक तैनात हैं. इन पर बालू के अवैध उत्खनन, ढुलाई और कारोबार पर रोक लगाने की जिम्मेवारी है. रोक लगाने के लिए सभी दिन भर छापेमारी के नाम पर घूमते हैं, लेकिन चुटकी भर अवैध बालू इनको नहीं मिलता है. वहीं मुंगेर जिले की सीमा हेमजापुर से लेकर मुंगेर गंगा पुल तक अवैध बालू लदे वाहनों के बीच रेस चलती है, जो इनको नहीं दिखायी पड़ती है. जब 09 जून की कार्रवाई में 40 बड़े वाहन बिना चालान के ही बालू ढुलाई करते पकड़े गये, तो इन खान निरीक्षकों की भूमिका पर भी सवाल उठने लगा है. सवाल उठानेवालों ने तो यहां तक कह दिया कि खनन विभाग में तैनात वरीय से कनीय कर्मी तक के कर्मचारियों की संपत्ति की जांच सरकार को करानी चाहिए, क्योंकि मुंगेर में बालू के काले कारोबार से इन लोगों ने अंकूत संपत्ति अर्जित कर ली है.
अपना-अपना गिरेबान बचाने में लगे हैं जिम्मेदार
प्रभारी जिला खनन विकास पदाधिकारी रणधीर कुमार के निलंबन से बालू कारोबार की पोल खुल चुकी है. यह बात सही है कि खनन को सुरक्षा प्रदान करना इनकी जवाबदेही है. इसके कारण उनको भुगतना पड़ रहा है. पर, ओवरलोड बालू ढुलाई रोकने के लिए कौन जिम्मेदार है. बिना गाड़ी के कागजात और ड्राइविंग लाइसेंस के वाहन चलाने पर कार्रवाई करने की जिम्मेदारी किस विभाग पर है. आखिर अवैध बालू ढुलाई पर थाने क्यों नहीं अंकुश लगा पा रहे हैं. अब जबकि यह बात खुल चुकी है कि मुंगेर में पीले बालू काे किस कदर सोने में बदला जा रहा है, तो जिम्मेदार अपना-अपना गिरेबान बचाने में लग गये हैं.