Munger News : मुंगेर. मुंगेर सदर अस्पताल इन दिनों पूरी तरह बिचौलियों के चंगुल में फंसता जा रहा है. हद तो यह है कि जिलाधिकारी से लेकर सिविल सर्जन और खुद स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत के आदेशों की खुलेआम उल्लंघन हो रहा है. अस्पताल में एक ओर जहां निजी नर्सिंग होम के दलाल पूरे दिन अस्पताल में मरीजों को फंसाने में लगे रहते हैं. वहीं अस्पताल के बाहर निजी एंबुलेंस चालक भी मरीजों की ताक में लगे रहते हैं. ताकि अस्पताल के रोगी को उठा कर निजी नर्सिंग होम पहुंचाया जा सके.
200 मीटर के दायरे में नहीं होनी चाहिए निजी एंबुलेंस
जिलाधिकारी अवनीश कुमार सिंह ने चार माह पूर्व सदर अस्पताल के निरीक्षण के दौरान सदर अस्पताल के बाहर लगभग 200 मीटर के दायरे में निजी एंबुलेंस खड़ी करने से मना किया था. हालांकि डीएम के आदेश का पालन कुछ दिनों तक किया गया, लेकिन दोबारा अस्पताल के बाहर निजी एंबुलेंसों का लगना शुरू हो गया है. हद तो यह है कि खुद सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार सिन्हा द्वारा बीते दिनों अस्पताल परिसर में बिना चिकित्सक और बिना मरीज के परिजनों की स्वीकृति के प्रवेश पर रोक लगा दी गयी थी. बावजूद न केवल अस्पताल में आराम से निजी एंबुलेंसों का प्रवेश हो रहा है, बल्कि कई निजी एंबुलेंस चालक अस्पताल के वार्डों में पूरा दिन चक्कर लगाते नजर आ जाते हैं.
रात में इमरजेंसी में सक्रिय रहते हैं बिचौलिये
सदर अस्पताल में बाहरी लोगों और चिकित्सकों के कार्य पर स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत द्वारा पहले ही रोक लगा दी गयी है. इसे लेकर अस्पताल प्रबंधन द्वारा निजी चिकित्सकों की नि:शुल्क सेवा पर भी रोक है. लेकिन वार्ड में बाहरी लोगों के कार्य करने पर अबतक अस्पताल प्रबंधन रोक नहीं लगा पायीहै. इस कारण दोपहर और रात के शिफ्ट में कई वार्डों में बाहरी लोग काम करते नजर आते हैं. ये मरीजों का इलाज करने से अधिक अति गंभीर और हायर सेंटर रेफर किये जाने वाले मरीजों को अपने चंगुल में फंसा कर निजी नर्सिंग होम भेजने के फिराक में रहते हैं. बिचौलियों की सबसे अधिक सक्रियता रात के समय अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में होती है.
बिचौलिये मरीजों को फंसा कर पहुंचाते हैं निजी नर्सिंग होम
सदर अस्पताल मुंगेर के प्रसव केंद्र, इमरजेंसी वार्ड, पुरुष व महिला वार्ड, एसएनसीयू आदि में पूरे दिन दलाल सक्रिय रहते हैं. जो रेफर होने वाले मरीज या अति गंभीर मरीजों को बहला-फुसलाकर निजी नर्सिंग होम ले जाते हैं. इसमें इनकी मदद बाहर निजी एंबुलेंस लगाने वाले चालक करते हैं. सूत्रों की मानें तो एक मरीज को निजी नर्सिंग होम भेजने पर इन दलालों को निजी नर्सिंग द्वारा 4 से 5 हजार रुपये दिये जाते हैं. जबकि यदि सदर अस्पताल में ट्रामा के मामले जैसे सड़क दुर्घटना, गन शॉट में तो कई निजी नर्सिंग होम के बिचौलिये रात के समय खुद ही अस्पताल में घूमते नजर आ जाते हैं.