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Munger News : अंतिम विदाई पर यहां मुर्दे भी तलाशते हैं सुकून

लाल दरवाजा श्मशान घाट पर मुर्दा तो दूर, जिंदा लोगों के लिए भी शेड की व्यवस्था नहीं है. पेयजल व शौचाय की सुविधा नहीं है. ट्रांसफॉर्मर खराब होने से विद्युत शवदाह गृह बंद पड़ा है. लोगों को एक किलोमीटर पैदल चलकर शव का दाह-संस्कार करना पड़ता है.

By Sugam | June 3, 2024 7:53 PM

Munger News : वीरेंद्र कुमार, मुंगेर. जीवन और मृत्यु इस संसार का शाश्वत सत्य है. जो जन्म लेता है, उसकी एक-न-एक दिन मृत्यु तय है. मृत्यु के पश्चात हर धर्म में उनके शव को सम्मान के साथ अंतिम विदाई देने की प्रथा चली आ रही है. हिंदू धर्म में शव का अंतिम संस्कार किया जाता है. इसकी पूरी प्रक्रिया श्मशान घाट पर होती है. मुंगेर जिले के लालदरवाजा गंगा तट पर वर्षों से श्मशान घाट संचालित हो रहा है. लेकिन इस श्मशान घाट पर मूलभूत सुविधा भी मयस्सर नहीं है. श्मशान घाट पर मुर्दों की अंतिम विदाई भी सुकून तलाशती नजर आती है. अंतिम विदाई देने श्मशान घाट पर पहुंचे लोगों की बेबसी से इसका अंदाजा सहज ही दिखती है.

तीन दिनों से बंद पड़ा है विद्युत शवदाह गृह

लालदरवाजा श्मशान घाट पर नगर निगम ने विद्युत शवदाह गृह बना रखा है. लेकिन किसी न किसी कारण यह साल में चार से पांच महीने बंद ही रहता है. पिछले तीन दिनों से विद्युत शवदाह गृह बंद पड़ा हुआ है. क्योंकि इसके लिए जो ट्रांसफॉर्मर लगाया गया था, वह खराब हो गया है. तीन दिन बीत जाने के बावजूद इसे दुरुस्त नहीं कराया जा सका. इस कारण लोगों को लकड़ी की चिता सजा कर शवों का दाह-संस्कार करना पड़ रहा है.

नहीं मिलता शुद्ध पानी, न शौचालय की व्यवस्था

सरकार भले ही श्मशान घाट को मुक्ति धाम का नाम देकर उसके जीर्णोद्धार पर लाखों रुपये खर्च कर रही है. लेकिन लाल दरवाजा श्मशान घाट आज के दौर में भी समस्याओं से कराह रहा है. प्रतिदिन लाल दरवाजा श्मशान घाट पर 25 से 30 मुर्दों को मुक्ति दी जाती है. उनकी अंतिम विदाई में दूर-दूर से लोग आते हैं. लेकिन उनके लिए इस श्मशान घाट पर पेयजल का घोर अभाव है. हालांकि नगर निगम ने श्मशान घाट के रिंग बांध पर वाटर कूलर लगाया है. लेकिन वह पिछले कई महीनोंं से बंद पड़ाहै. इस कारण यहां आने वाले लोगों को बोतल बंद पानी का सहारा लेना पड़ताहै. यहां पर यूरिनल तो दूर, शौचालय तक की कोई व्यवस्था नहीं है. एक चिता के जलने में कम से कम तीन घंटे का समय लगता है. अगर इस दौरान किसी को शौच की जरूरत महसूस होती है, तो लोग खुले में शौच करने को विवश हो जाते है.

शेड के अभाव में चिलचिलाती धूप में सहते हैं लोग

लाल दरवाजा श्मशान घाट को आज तक श्मशान घाट का स्वरूप नहीं दिया गया है. यही कारण है कि बाढ़ के समय में जब गंगा पास आती है, तो रिंग बांध के पास शवों को जलाया जाता है. जब गंगा दूर होती है तो एक किलोमीटर का सफर तय करना पड़ताहै. लेकिन इस श्मशान घाट पर शेड तक की व्यवस्था नहीं है. इस मुक्तिधाम में मुंगेर जिला के अलावा लखीसराय, शेखपुरा व जमुई से भी शव का अंतिम संस्कार करने लोग आते है. माना जाता है कि इस घाट पर शव का अंतिम संस्कार करने से आत्मा को मुक्ति मिलती है. हर शव यात्रा में 50 से अधिक लोग शामिल होते हैं. चिलचिलाती धूप हो या बारिश, खुले आसमान के नीचे उन्हें रहना पड़ताहै.

श्मशान घाट पर वसूलते हैं रंगदारी टैक्स

श्मशान घाट नगर निगम मुंगेर के अधीन संचालित होता है. घाट टैक्स के लिए निगम की ओर से एक नियमित राशि तय है. लेकिन यहां शोकाकुल परिवार से टैक्स के नाम पर डोम राजा रंगदारी टैक्स वसूलते हैं. इसकी कोई पर्ची भी उनको नहीं दी जाती है. जमालपुर से सोमवार को शव जलाने पहुंचे शोकाकुल परिवार से 5500 रुपये लियेगये. घाट टैक्स और मुखाग्नि के लिए डोम राजा वहां हर शोकाकुल परिवार से वसूली करते हैं. लेकिन निगम प्रशासन शिकायत मिलने के बावजूद इस पर नियंत्रण नहीं रखता. माना जाता है कि डोम राजा जो वसूली करता है, उसमें निगम के अधिकारी से लेकर स्थानीय अपराधी का भी हिस्सा होता है.

नगर निगम टैक्स वसूलता है, सुविधा नहीं देता

हमलोग सदर प्रखंड के शंकरपुर गांव से शव जलाने आये हैं. इस चिलचिलाती धूप में यहां न तो पानी की व्यवस्था है और न ही शौचालय की व्यवस्था है. इस कारण शवयात्रा में आये लोगों को काफी परेशानी होती है. नगर निगम टैक्स वसूलता है. लेकिन सुविधा नहीं देता.
-विपिन कुमार, शंकरपुर

वाटल कूलर लगा है, पर चलता नहीं

उधर देख लीजिए. वाटर कूलर लगा हुआ है. लेकिन वह चलता नहीं है. शव यात्रा में 100 से अधिक लोग आये हैं. जो बोतलबंद पानी खरीद कर प्यास बुझा रहे हैं. 20 लीटर वाला जार और गिलास मंगवा कर लोगों को पानी पिला रहे हैं. अगर यहां व्यवस्था रहती, तो यह शोकाकुल परिवार का यह खर्च बच सकता था.
-सुभाष कुमार, जमालपुर

शौच लगने पर जाते हैं खेतों में

यहां पर शौचालय की कोई व्यवस्था नहीं है. शौच लगने पर लोगों को खेतों में उगे जंगल-झाड़ में जाना पड़ताहै. यहां पानी की भी कोई व्यवस्था नहीं है. इसे देखने वाला नगर निगम है, लेकिन वह भी मूकदर्शक बना है. जिला प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए.
-नवल कुमार, नया टोला, जमालपुर

रंगदारों की तरह करते हैं वसूली

यहां पर रंगदारों की तरह वसूली की जाती है. हमलोग जमालपुर से आये हैं. शव जलाने से पहले 5500 रुपये चुकाने पड़े. गरीब परिवार को तो काफी परेशानी होगी. अगर निगम प्रशासन ने यहां पर तय राशि वसूली की व्यवस्था की होती, तो शायद परेशानी नहीं होती.
-राजनीति पासवान, जमालपुर

एक किलोमीटर पैदल चला पड़ा

यहां श्मशान घाट के नाम पर कुछ नहीं है. आज अगर अधिकृत तरीके से श्मशान घाट बना होता, तो एक किलोमीटर दूर इस चिलचिलाती धूप में नहीं आना पड़ता. देखिए वहां लाश जल रही है. और हमलोग रिंग बांध पर छांव में बैठने चले आये हैं. यहां पर कम से कम मूलभूत सुविधा होनी ही चाहिए थी.
-सुभाष कुमार, जमालपुर

विभाग को लिखा गया है पत्र : नगर आयुक्त

यहां पर बुडको की और से मॉडल श्मशान घाट बनाया जाना है. यहां की जमीन बेगूसराय जिले में पड़तीहै. वहां के डीएम को एनओसी दिलाने के लिए पत्राचार किया गया है. इसके बनने से यहां पर सभी मूलभूत सुविधा उपलब्ध हो जायेगी. वाटर कूलर खराब है, इसकी जानकारी हमें नहीं है. उसे तत्काल ठीक कराया जायेगा. ट्रांसफॉर्मर खराब होने से विद्युत शवदाह गृह बंद है. ट्रांसफॉर्मर ठीक करने के लिए बिजली विभाग को पत्र लिखा गया है.
निखिल धनराज, नगर आयुक्त

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