Munger news : खनन विभाग के कर्मियों के स्थानीय तंत्र एवं अवैध बालू कारोबारियों की मिली भगत से हो रहे काला कारोबार को रोकने के लिए खान एवं भूतत्व विभाग ने प्रभावी कदम उठाया है.
एक जिले में खान निरीक्षकों का दो वर्ष का होगा कार्यकाल
विभागीय स्तर पर इसे लेकर एक आदेश भी जारी किया गया है. इसमें स्थानांतरण व पदस्थापन के लिए सेवावधि दो वर्ष निर्धारित की गयी है. विभाग के इस आदेश का असर मुंगेर जिला खनन विभाग पर भी पड़ेगा, क्योंकि यहां ऐसे भी खान निरीक्षक हैं, जिनका सेवाकाल दो साल से अधिक हो गया है और इनके रहते हुए जिलाधिकारी के नेतृत्व में चलाये गये अभियान में अवैध बालू लदे 46-46 ट्रक व हाईवा एक दिन में पकड़े गये थे.बिहार सरकार खान एवं भूतत्व विभाग से एक आदेश 15 जनवरी को निकाला गया है, जो सरकार के अपर सचिव भारत भूषण प्रसाद के हस्ताक्षर से जारी हुआ है. इसमें कहा गया है कि सरकारी राजस्व संग्रह में खान एवं भूतत्व विभाग का महत्वपूर्ण योगदान है. अवैध खनन की दृष्टि से भी यह विभाग संवेदनशील है. एक ही जिला-कार्यालय में लंबी अवधि तक पदस्थापित रहने से कर्मियों के अवैध कारोबारियों व स्थानीय तंत्रों के साथ सांठ-गांठ की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है. साथ ही कर्मियों के अवैध खननकर्ताओं व माफियाओं से सांठ-गांठ की शिकायत विभाग को लगातार प्राप्त होती रहती है. इसलिए खान एवं भूतत्व संवर्ग के खान निरीक्षक का स्थानांतरण व पदस्थापन के लिए सेवावधि दो वर्ष निर्धारित किया गया है.
मुंगेर के दो खान निरीक्षक आ सकते हैं आदेश की जद में
खान एवं भूतत्व विभाग ने जो आदेश जारी किया है, उसके दायरे में मुंगेर जिला खनन विभाग के कर्मी में आयेंगे. मुंगेर खनन विभाग में मात्र तीन खान निरीक्षक हैं. जिसमें राजू कुमार और रूपा दो ऐसे खान निरीक्षक है जो इस आदेश के दायरे में हैं. अक्तूबर 2022 को राजू कुमार एवं रूपा ने खान निरीक्षक के पद पर योगदान दिया था. जिनका दो वर्ष से अधिक का सेवाकाल मुंगेर में हो गया है. जबकि एक खान निरीक्षक मो. रासीद है, जो जून 2023 में मुंगेर में अपना योगदान दिया है.
कुछ घंटे की कार्रवाई में ही खुल गयी थी अवैध कारोबार की पोल
मुंगेर जिले में बड़े पैमाने में अवैध बालू उत्खनन और दूसरे जिले से अवैध बालू की ढुलाई की शिकायत पर जिलाधिकारी अवनीश कुमार सिंह के नेतृत्व में जून, 2024 में विशेष छापेमारी अभियान चलाया गया था. महज कुछ घंटों की कार्रवाई में 46 ट्रक व हाइवा को पकड़ा गया था. इन पर बिना चालान व ओवरलोड बालू लदा था. इस कार्रवाई ने मुंगेर जिले में अवैध बालू कारोबार की पोल खोल कर रख दी थी कि जिले में किस तरह खनन विभाग के पदाधिकारी व कर्मियों के संरक्षण में बालू का अवैध कारोबार संचालित हो रहा है. जिलाधिकारी ने उस समय जहां थाना पुलिस को खूब हड़काया था, वहीं खनन विभाग के अधिकारी व खान निरीक्षकों को जमकर फटकार लगायी थी.
जिला खनन विकास पदाधिकारी पर हुई थी कार्रवाई
डीएम की रिपोर्ट पर मुंगेर के प्रभारी जिला खनन विकास पदाधिकारी रणधीर कुमार को निलंबित कर दिया गया था. उनके निलंबन ने मुंगेर में पीला बालू के काले कारोबार की हकीकत को उजागर कर दिया था. पर, खनन विभाग के कई जिम्मेदार कार्रवाई से बच गये, क्योंकि समय के साथ फाइल पर धूल जम गयी और कार्रवाई की रफ्तार धीमी हो गयी थी. वरीय से कनीय अधिकारी के संरक्षण में यह बालू का धंधा चल रहा था. खनन विभाग के कई ऐसे अधिकारी व कर्मी हैं, जिन्होंने अकूत संपत्ति अर्जित कर रखी है.
खान निरीक्षक की भूमिका पर उठ रहे सवाल
अवैध बालू ढुलाई को रोकने के लिए मुंगेर जिले की सीमा पर चेकपोस्ट बना हुआ है, जो सिर्फ नाम का संचालित होता है. खनन विभाग मुंगेर में तीन खान निरीक्षक तैनात हैं. इन पर बालू के अवैध उत्खनन, ढुलाई और कारोबार पर रोक लगाने की जिम्मेवारी है. रोक लगाने के लिए सभी दिन भर छापेमारी के नाम पर घूमते हैं, लेकिन चुटकी भर अवैध बालू इनको नहीं मिलता है. मुंगेर जिले की सीमा हेमजापुर से लेकर मुंगेर गंगा पुल तक अवैध बालू लदे वाहनों के बीच रेस चलती है. जब 09 जून की कार्रवाई में 40 बड़े वाहन बिना चालान के ही बालू ढुलाई करते पकड़े गये, तो इन खान निरीक्षकों की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे थे.