Munger News : मुंगेर. जिले में खुलेआम बिना निबंधन और बिना मानक के ही कई निजी नर्सिंग होम संचालित हो रहे हैं. इतना ही नहीं प्रतिदिन जिले में कुकरमुत्ते की तरह निजी नर्सिंग होम खुल भी रहे हैं, जहां खुलेआम मरीजों के जान से खिलवाड़ किया जा रहा है. इस बीच जिला स्वास्थ्य विभाग के लिए इन अवैध निजी नर्सिंग होम में जान गंवाने वाले मरीजों के जान की कीमत मात्र 50 हजार से 2 लाख रुपये तक ही रह गयी है. क्योंकि जिले में चल रहे अवैध और बगैर निबंधित निजी नर्सिंग होम पर कार्रवाई को लेकर क्लिनिकलस्टेब्लिसमेंट एक्ट की दुहाई देकर स्वास्थ्य विभाग अपना पल्ला झाड़ रहा है.
अवैध निजी नर्सिंग होम पर 50 हजार का जुर्माना
14 अगस्त को तारापुर के साईं इमरजेंसी एंड चाइल्ड केयर हॉस्पिटल में हरपुर थाना क्षेत्र के गनैली गांव निवासी मनोज सिंह के 16 वर्षीय पुत्र कृष कुमार को पेट में दर्द के कारण भर्ती कराया गया. वहां डाॅ संतोष कुमार सिंह ने उसका इलाज शुरू किया और दोपहर एक बजे कृष की मौत हो गयी. मौत के बाद आक्रोशित परिजनों व उसके रिश्तेदारों ने अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा किया और चिकित्सक पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया था. मामला सामने आने के बाद पहले तो खुद स्वास्थ्य विभाग को कार्रवाई करने में लगभग दो माह का समय लग गया. इतना ही नहीं दो माह बाद स्वास्थ्य विभाग द्वारा मामले में संबंधित निजी नर्सिंग होम पर 50 हजार का जुर्माना कर निबंधन कराने की अनुमति दे दी गयी. हद तो यह है कि स्वास्थ्य विभाग के धावा दल की जांच में भी साईं इमरजेंसी एंड चाइल्ड केयर हॉस्पिटल और वहां संचालित मां अल्ट्रासाउंड जांच केंद्र बिना निबंधन के पाया गया था.
कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति
जिले में खुलेआम कुकुरमुत्ते की तरह बिना निबंधन के अवैध निजी नर्सिंग होम संचालित हो रहे हैं. जहां न तो वैध और विशेषज्ञ चिकित्सक होते हैं और न ही निर्धारित स्वास्थ्य सुविधाएं. वहीं इन अवैध निजी नर्सिंग होम में यदि किसी मरीज की जान इलाज में लापरवाही के कारण चली जाती है, तो ऐसे अवैध निजी नर्सिंग होम पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा केवल जुर्माना कर छोड़ दिया जाता है. 18 अगस्त को तारापुर के ही बिना निबंधन के संचालित जीवन ज्योति हेल्थ केयर सेंटर में असरगंज थाना क्षेत्र के चाफा गांव निवासी स्व बिन्देश्वरी मंडल की 55 वर्षीय पत्नी शकुंतला देवी की मौत हो गयी थी. परिजनों द्वारा हंगामा किया गया था. साथ ही संबंधित निजी नर्सिंग होम पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया गया था. हद तो यह थी इस दौरान तारापुर अनुमंडल अस्पताल के सरकारी चिकित्सक तक वहां अपनी सेवा देते दिखे. वहीं मामला सामने आने के दो माह बाद भी अबतक स्वास्थ्य विभाग इसपर कोई कार्रवाई नहीं कर पाया है.