Munger News : स्टूडेंट से हर साल लेते हैं 50 रुपये, विश्वविद्यालय में नहीं मिलती खिलाड़ियों को सुविधा
मुंगेर विश्वविद्यालय के विद्यार्थी खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं. यहां खेल के नाम पर रुपये देने के बाद भी खिलाड़ियों को सुविधा नहीं मिल रही. नतीजा यह होता है कि किसी भी टूर्नामेंट में यूनिवर्सिटी को अपेक्षित सफलता नहीं मिलती.
Munger News : मुंगेर विश्वविद्यालय भले ही विभिन्न टीमों को अन्य विश्वविद्यालयों में आयोजित खेल प्रतियोगिताओं में भेजकर वाहवाही लूटी जा रही है, लेकिन प्रत्येक साल विद्यार्थियों से खेल मद में नामांकन के समय राशि लेने के बाद भी विश्वविद्यालय अपने खिलाड़ियों को सुविधाएं नहीं दे पा रहा है. हाल यह है कि एक कर्मचारी के भरोसे जहां पूरा खेल विभाग संचालित हो रहा है. वहीं विभाग के अधिकारी के कंधे पर खुद के कॉलेज और पीजी विभाग के कक्षाओं के संचालन की जिम्मेदारी है. हालांकि किसी भी टूर्नामेंट में भाग लेने से पहले विश्वविद्यालय द्वारा अपनी टीम के लिए कोई अभ्यास शिविर आयोजित नहीं किया जा रहा है. और इससे टूर्नामेंट में खिलाड़ियों के बीच आपसी तालमेल नहीं बन पाता है. इसका खामियाजा टीम को हार के रूप में भुगतना पड़ता है.
टूर्नामेंट से पहले नहीं लगता अभ्यास शिविर
मुंगेर विश्वविद्यालय प्रत्येक साल अंतर विश्वविद्यालय समेत कई अन्य टूर्नामेंट में अपनी टीम को भेजाता है. इसमें एमयू की ओर से कई खेलों में टीमें भाग लेती है. विश्वविद्यालय की इन टीमों में एमयू के कई अलग-अलग कॉलेजों से चयनित बेस्ट खिलाड़ी होते हैं. हलांकि टूर्नामेंट से पहले अलग-अलग कॉलेजों के बेस्ट खिलाड़ियों के बीच तालमेल बैठाने के लिए अभ्यास शिविर लगाया जाना जरूरी होता है, ताकि विश्वविद्यालय टीम के खिलाड़ी आपस में तालमेल बैठा सकें. टूर्नामेंट के दौरान आपसी तालमेल से खेल सकें. पर एमयू में खिलाड़ियों के लिए कोई विशेष शिविर का आयोजन नहीं किया जाता है. हाल यह है कि अलग-अलग कॉलेजों से बेस्ट खिलाड़ियों का चयन तो किया जाता है, लेकिन उन्हें बिना प्रैक्टिस के ही टूर्नामेंट में भेज दिया जाता है. एसके कारण अन्य विश्वविद्यालयों की टीमों के सामने एमयू की टीम को हार का सामना करना पड़ता है.
एक कर्मचारी के भरोसे पूरा विभाग
एमयू में केवल एक कर्मचारी के भरोसे पूरा खेल विभाग चल रहा है. खेल विभाग के अधिकारी सुबह से दोपहर तक अपने कॉलेज और पीजी विभाग में कक्षा संचालन में व्यस्त होते हैं. इसके कारण कार्य तो प्रभावित होता ही है. इसके साथ ही टीम को भेजने के समय कई बार तैयारी नहीं होने के कारण खिलाड़ियों को बिना रिजर्वेशन के ही जनरल डब्बों में दूसरे राज्य जाना पड़ता है. यह हाल तब है, जब एमयू के पास विभिन्न सत्रों में विद्यार्थियों की कुल संख्या लगभग 1.60 लाख है. इनसे प्रत्येक वर्ष खेल मद में प्रति विद्यार्थी 50 रुपये का शुल्क लिया जाता है. ऐसे में एमयू अपने विद्यार्थियों से प्रत्येक साल केवल खेल मद में 80 लाख रुपये की राशि लेता है. लेकिन खिलाड़ियों को न तो कॉलेज और न ही विश्वविद्यालय स्तर पर कोई सुविधा दी जा रही है. हद तो यह है कि टीम को बाहर ले जाने के दौरान कोच या मैनेजर को एडवांस में दी गयी राशि का समायोजन भी नहीं किया जाता है. इसके कारण अब एमयू के कई शिक्षक, कोच या मैनेजर टीम के साथ बाहर जाने तक को तैयार नहीं होते.
कहते हैं खेल पदाधिकारी
एमयू के खेल पदाधिकारी डॉ ओमप्रकाश ने बताया कि विश्वविद्यालय व खेल विभाग की ओर से उपलब्ध संसाधनों में जो बेहतर किया जा सकता है, किया जा रहा है. जाे भी परेशानी है, उसकी सूचना कुलपति को दी गयी है.