Munger news : जिले के 375 टोलों में पहुंचेगा नल का जल, 133 टोलाें में काम शुरू

Munger news : विभाग की मानें तो टेटियाबंबर के चार व जमालपुर के चार टोलों व गांवों में काम पूर्ण हो चुका है. 104 टोलों में डीप बोरिंग एवं स्टील स्ट्रक्चर का काम चल रहा है.

By Sharat Chandra Tripathi | November 20, 2024 10:00 PM

Munger news : मुंगेर जिले की 96 पंचायतों में छूटे हुए वार्ड, टोलाें एवं बसावटों में हर घर नल का जल पहुंचाने के लिए सात निश्चय योजना के तहत 375 योजनाओं पर काम शुरू हो गया है. इस पर 96 करोड़ रुपये खर्च होना है. इसके तहत 133 टोला में बोरिंग का काम शुरू हो गया है. 242 योजनाओं के टेंडर की प्रक्रिया पूरी करते हुए संवेदक का चयन कर लिया गया है. सिर्फ एग्रीमेंट होना शेष रह गया है.

133 टोला में चल रहा काम, आठ हो चुके हैं पूर्ण

लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) ने पिछले दिनों 133 योजनाओं का टेंडर प्रकाशित किया था. इसके लिए संवेदक का चयन कर एग्रीमेंट के बाद कार्य आवंटित कर दिया गया था. विभाग की मानें तो टेटियाबंबर के चार और जमालपुर के चार टोलों व गांवों में काम पूर्ण हो चुका है. 104 टोलों में डीप बोरिंग एवं स्टील स्ट्रक्चर का काम चल रहा है. विभाग की मानें, तो मुंगेर एक ऐसा जिला है, जिसने तय सीमा से कम समय में आठ योजनाओं का काम पूर्ण कर लिया है. एक से दो माह में 138 योजनाओं का काम पूर्ण कर उन गांवों व टोलों में पानी की आपूर्ति शुरू कर दी जायेगी.

96 करोड़ की राशि होगी खर्च, पांच साल तक होगा मेंटेनेंस

विभाग की मानें, तो जिन 375 टोलों में नल-जल योजना का काम होना है, उन पर 96 करोड़ रुपये खर्च आएगा. सरकार ने राशि पीएचईडी को उपलब्ध करा दी है. एक योजना पर 25 से 30 लाख का खर्च आ रहा है. इस राशि में स्टील स्ट्रक्चर खड़ा कर उस पर 5000 लीटर का टंकी रखी जाएगी. पाइप लाइन बिछाने के साथ ही घरों में कनेक्शन करना है. संवेदक को पांच सालों तक योजना का मेंटेनेंस करने की जिम्मेदारी दी गयी है. इधर, धरहरा प्रखंड में 15 योजनाओं पर काम होना है. इसमें नौ योजनाओं के काम पर ब्रेक लग गया है, क्योंकि किसी ने पीएचईडी पटना मुख्यालय में परिवाद दायर कर दिया है. उसकी जांच-पड़ताल और सुनवाई मुख्यालय स्तर पर हो रही है. मुख्यालय से ही इस पर निर्णय लिया जाना है.

जहां का पानी होगा खराब, वहां लगेगा फिल्टर

मुंगेर जिले के पानी में फ्लोराइड, आयरन और आर्सेनिक की समस्या है. गंगा किनारे के गांवों में आर्सेनिक की मात्रा रहती है, जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में फ्लोराइड युक्त पानी मिलता है. आयरन की मात्रा भी रहती है. विभाग की मानें, तो फ्लोराइड, आर्सेनिक व आयरन की मात्रा पानी में अधिक होने के कारण बोरिंग के साथ ही वहां निकले पानी की जांच स्थानीय स्तर पर विभागीय जांच केंद्र में की जा रही है. मुख्यालय में भी पानी को भेज कर जांच कराने की प्रक्रिया चल रही है. जहां भी जो समस्या सामने आएगी, वहां फिल्टर लगा कर अथवा डब्लूटीपी बना कर पानी को लिफ्ट कर टंकी में पहुंचाया जाएगा.

शीघ्र ही संवेदक के साथ होगा एग्रीमेंट : कार्यपालक अभियंता

पीएचईडी के कार्यपालक अभियंता अभिरंजन ने बताया कि 133 योजनाओं का काम शुरू हो गया है. 242 योजना का एलओए का काम पूर्ण कर लिया गया है. शीघ्र ही संवेदक के साथ एग्रीमेंट की प्रक्रिया पूरी कर कार्यादेश जारी किया जाएगा.

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