Munger news : मुंगेर विश्वविद्यालय अपने सक्षम प्राधिकारों सिंडिकेट व सीनेट की बैठक को लेकर पूरी तरह उदासीन है. इसके कारण शिक्षकों के लीयन लीव, नये शिक्षकों की नियुक्ति के अनुमोदन समेत शिक्षकों व कर्मियों के अवकाश एवं अन्य कई मामलों की सूची दिनोंदिन लंबी होती जा रही है. हद तो यह कि एमयू के सक्षम प्राधिकार सिंडिकेट की बैठक तो एक साल में 12 बार होनी थी, लेकिन अबतक एक भी सिंडिकेट की बैठक नहीं हुई है. हालांकि 03 अगस्त 2024 को एमयू में सिंडिकेट की बैठक हुई, लेकिन उसमें केवल एक सूची एजेंडा शिक्षकों की प्रमोशन प्रक्रिया ही रही.
पिछले वर्ष हुई थी सिंडिकेट की आखिरी बैठक
सरकार द्वारा विश्वविद्यालय के कार्यों की मॉनीटरिंग और इसके अनुमोदन के लिए सिंडिकेट व सीनेट जैसे सक्षम प्राधिकारों को बनाया गया है. नियमानुसार विश्वविद्यालय में एक साल में सिंडिकेट की 12 बैठक होनी है, ताकि विश्वविद्यालय अपने कार्यों को सक्षम प्राधिकार से अनुमोदन प्राप्त कर सरकार को स्वीकृति के लिए भेज सके. पर, एमयू प्रशासन अपने सक्षम प्राधिकारों को ही पूरी तरह नजरअंदाज कर चुका है. इसके कारण ही 2024 में अबतक सिंडिकेट की एक भी बैठक नहीं हो पायी है. विश्वविद्यालय में सिंडिकेट की आखिरी बैठक 06 नवंबर 2024 को हुई थी. 03 अगस्त 2024 को सिंडिकेट की बैठक पूर्व कुलपति प्रो श्यामा राय की अध्यक्षता में हुई थी, लेकिन इस बैठक का आयोजन ही एकमात्र शिक्षकों के प्रमोशन को अनुमोदन देने के लिए किया गया था.
सीनेट बैठक का नहीं दिखा नामोनिशान
किसी भी विश्वविद्यालय में प्रत्येक साल वित्तीय बजट का अनुमोदन सीनेट में किया जाता है. इसके लिये प्रत्येक साल नये वित्तीय वर्ष से पहले सभी विश्वविद्यालयों में सीनेट की बैठक आयोजित की जाती है. पर, एमयू में वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए सीनेट बैठक का तो अबतक नामोनिशान तक नहीं दिख रहा. हद तो यह है कि पूर्व कुलपति के समय सीनेट बैठक को लेकर कई बार फाइलें बढ़ीं, लेकिन मामला शिक्षक प्रमोशन के बीच दब कर रह गया. वैसे तो एमयू के छह सालों के कार्यकाल में अबतक छह सीनेट बैठक होनी थी, लेकिन मुंगेर विश्वविद्यालय में अबतक पांच सीनेट बैठक ही हो पायी है. नवंबर में हुए एकेडमिक सीनेट में खुद कुलाधिपति के शामिल होने से लगा था कि बजट सीनेट में कुलाधिपति विश्वविद्यालय के वित्तीय मामलों से अवगत हो पाएंगे, पर एमयू प्रशासन सीनेट बैठक को लेकर ही पूरी तरह लापरवाह बना रहा.
कैग ने भी किया है ऑब्जेक्शन
एमयू की कार्यप्रणाली को लेकर ऑडिट के दौरान भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने कुल 40 ऑब्जेक्शन विश्वविद्यालय को दिया है. इसमें एक ऑब्जेक्शन विश्वविद्यालय के सक्षम प्राधिकार सिंडिकेट और सीनेट बैठक के समय से आयोजन नहीं होने को लेकर भी है. कैग ने पांच सालों में 60 सिंडिकेट बैठक की जगह मात्र 12 सिंडिकेट बैठक होने पर आपत्ति दर्ज की है. हालांकि एमयू प्रशासन अबतक कैग की कई आपत्तियों का जवाब तक नहीं दे पाया है.
कुलसचिव ने कहा-स्वीकृति नहीं मिल पायी
कुलसचिव कर्नल विजय कुमार ठाकुर ने बताया कि पूर्व कुलपति के समय सिंडिकेट व सीनेट की बैठक को लेकर कई बार फाइलें बढ़ायी गयी थीं, लेकिन कुलपति की स्वीकृति नहीं मिल पाने के कारण बैठक नहीं हो पायी. बाद में राजभवन ने भी कुलपति की शक्तियों को सीमित कर दिया. इसके कारण बैठक का आयोजन नहीं हो पाया.
सिंडिकेट बैठक की आस में कई कार्य पेडिंग
-एचएस कॉलेज हवेली खड़गपुर के फिलॉस्फी के सहायक प्राध्यापक डॉ सत्यजीत पाल के स्टडी लीव को लेकर लीयन की स्वीकृति अबतक नहीं मिल पायी है. इसके कारण शिक्षक आवेदन करने के बाद अनुपस्थित हो रहे हैं.
– एचएस कॉलेज, हवेली खगड़पुर के ही इकोनॉमिक्स के सहायक प्राध्यापक डॉ चंदनचंद्र चुन्ना ने लीयन के लिए आवेदन किया है, जिसकी सिंडिकेट बैठक नहीं होने के कारण अबतक स्वीकृति नहीं मिल पायी है.
– आरडी कॉलेज, शेखपुरा की साइकोलॉजी की सहायक प्राध्यापिका डॉ रूबिका अंसारी लीयन पर हैं. इनका एक साल पूरा होने वाला है, लेकिन सिंडिकेट बैठक नहीं होने के कारण अबतक उनके लीयन की स्वीकृति नहीं मिल पायी है.
– आरडी एंड डीजे कॉलेज के एक कर्मी रंधीर कुमार ने वीआरएस के लिए आवेदन दिया है, लेकिन सिंडिकेट बैठक नहीं हो पाने के कारण उनके आवेदन को अबतक स्वीकृति नहीं मिल पायी है.
– सिंडिकेट बैठक नहीं होने के कारण अबतक एमयू में योगदान देने वाले बीपीएससी के नये शिक्षकों का अनुमोदन नहीं हो पाया है.