Munger news : भीमबांध वन्यजीव अभयारण्य में वन्यजीवों की प्रजाति और उसकी गणना तथा उसकी सुरक्षा के लिए एक बार फिर से वर्ल्ड वाइल्ड रियलाइज सर्वे होगा. कैमरा ट्रैप के माध्यम से यह काम किया जाना है. सर्वे की शुरुआत 04 सितंबर 2024 राष्ट्रीय वन्यजीव दिवस से शुरू होगी. इससे यह पता लग पायेगा कि भीमबांध वन्यजीव अभयारण्य में कौन-कौन सी प्रजाति के वन्यजीव की मौजूदगी है और उनकी कितनी संख्या है.
चिह्नित स्थानों पर गुप्त रूप से लगेंगे कैमरा ट्रैप
वन्यजीवों की प्रजाति व उसकी संख्या की गणना के लिए समय-समय पर भीमबांध वन्यजीव अभयारण्य में गणना का कार्य किया जाता है. 10 वर्ष पूर्व 2013 में यहां गणना का कार्य किया गया था. इसके बाद गणना का कार्य नहीं हो पाया. एक बार फिर वन विभाग इसकी गणना का कार्य शुरू कर रहा है. राष्ट्रीय वन्यजीव दिवस 04 सितंबर से इसकी शुरुआत की जायेगी. जंगलों में विभिन्न चिह्नित स्थानों पर गुप्त रूप से कैमरा ट्रैप लगाया जायेगा. इससे इनके आसपास होनेवाली किसी भी हलचल को कैद किया जा सकेगा. इससे जहां जंगल में प्रवास करनेवाले वन्यजीवों की प्रजातियों का पता लग पायेगा, वहीं उनकी लगभग संख्या का भी रिकाॅर्ड तय किया जायेगा. इसके साथ ही शिकारी व अवांछित तत्वों का भी पता लगेगा. इससे वन्यजीवों की तस्करी व इनकी हत्या करने पर भी रोक लगेगी.
682 वर्ग किमी में दर्जनों प्रजाति के रहते हैं वन्यजीव
मुंगेर जिले के हवेली खड़गपुर प्रखंड में भीमबांध वन्यजीव अभयारण्य है, जो 682 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. इस जंगल में पाए जाने वाले मुख्य जानवरों में तेंदुआ, जंगली सूअर, सुस्त भालू, सांभर हिरण, चीतल, चार सींग वाले मृग, नीलगाय, सियार, बंदर, लोमड़ी, शाहिल, हेना (लकड़बग्घा) मुख्य हैं. हालांकि बाघ की उपस्थिति यहां पर है या नहीं इसके बारे में सही जानकारी किसी के पास नहीं है. इस अभयारण्य में जानवरों की तुलना में पक्षी जीवन अधिक है. यहां 100 से अधिक प्रजातियों के पक्षियों का घर है, जो पूरे साल यहां रहते हैं. इस अभयारण्य में कोबरा, करैत, अजगर समेत दो दर्जन से अधिक प्रजाति के सांप भी निवास करते हैं.
वन्यजीवों की संख्या का लगेगा अनुमान
डीएफओ अंबरीष कुमार मल्ल ने बताया कि भीमबांध वन्यजीव अभयारण्य में वर्ष 2013 में सर्वे कार्य हुआ था. सितंबर 2024 में राष्ट्रीय वन्यजीव दिवस से यहां पर सर्वे कार्यक्रम की शुरुआत की जाएगी. कैमरा ट्रैप के माध्यम से सर्वे कार्य किया जायेगा. इससे यह पता लग पायेगा कि यहां पर किस-किस प्रजाति के वन्यजीव निवास करते हैं. साथ ही वन्यजीवों की लगभग संख्या का भी पता लग पायेगा कि किस प्रजाति के वन्यजीवों की तादाद यहां कितनी संख्या में है.