Munger News : निगम ने वेंडरों को दिया आइ कार्ड, नहीं दी जगह …अब अतिक्रमण झेल रहे शहरवासी
मुंगेर शहर में रात में 24 फीट दिखनेवाली सड़क दिन में 10 फीट की रह जाती है. सड़क पर वेंडरों के अतिक्रमण से जाम लगता है. स्थायी दुकानदारों व राहगीरों की वेंडरों से कहासुनी होती है. विधि-व्यवस्था की समस्या होती है.
Munger News : मुंगेर. मुंगेर शहर की मुख्य सड़कों पर ठेले वालों का साम्राज्य कायम है. शहर के एक नंबर ट्रैफिक पटेल चौक से लेकर मुर्गियाचक तक सड़क के दोनों किनारे जहां फुटपाथ पर फुटकर दुकानदारों का कब्जा है, वहीं मुख्य सड़क पर सब्जी व फल वालों ने अपना साम्राज्य कायम कर लिया है. इस कारण शहर की मुख्य सड़क से गुजरना परेशानी का सबब बन गया है. दूसरी ओर अब अतिक्रमण से कराह रहे इस शहर में विधि-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न होने लगी है. बुधवार को मुंगेर चैंबर ऑफ कॉमर्स के सचिव का राजीव गांधी चौक स्थित मिठाई दुकान के सामने ठेले वाले से विवाद हो गया. मामला मारपीट से लेकर विधि-व्यवस्था तक पहुंच गया. इस मुद्दे पर प्रशासनिक अधिकारी से लेकर शहर के आम व्यवसायी व शहरी चिंतित हैं. लेकिन जिम्मेदार मौन हैं. क्योंकि इस अतिक्रमण का मूल कारण है कि शहर में अबतक फल व सब्जी बेचने वालों के लिए वेंडिंग जोन की व्यवस्था नगर निगम प्रशासन ने नहीं की.
शहर की डगर पर अतिक्रमण का कहर
शहर की डगर पर अतिक्रमणकारियों का बोलबाला है. चाहे वह शहर का फुटपाथ हो, अथवा मुख्य सड़क. सभी पर अतिक्रणकारियों का कब्जा है. जिसे जहां जगह मिली, वहीं दुकान डाल दी. अतिक्रमण के मकड़जाल में कराह रहे मुंगेर शहर की स्थिति यह है कि रात में 24 फीट की दिखने वाली सड़क दिन में 10 फीट की हो जाती है. एक नंबर ट्रैफिक से गांधी चौक, अस्पताल मार्ग, कोतवाली मोड़ से नीलम सिनेमा चौक, शीतला स्थान चौक, कौड़ा मैदान, गुलजार पोखर, शादीपुर, बेकापुर मेन रोड, बेकापुर किराना पट्टी सहित अन्य मार्गों को फुटपाथी दुकानदार, सब्जी व फल विक्रेता ठेला वालों ने कब्जे में ले लिया है. हालत यह है कि शहर में फुटपाथ का नामो निशान नहीं है और सड़कों पर ठेला वालों का राज है.
वेडिंग जोन नहीं होने से बढ़ा अतिक्रमण
मुंगेर नगर परिषद से नगर निगम बन चुका है. शहर में निगम के स्वामित्व वाली जमीन की भी कोई कमी नहीं है. बावजूद इसके आज तक यहां वेडिंग जोन नहीं है. इस कारण मुख्य बाजार की सड़क सहित फुटपाथ व सड़क पर ही दुकान सजतीहै. निगम ने भी 3360 स्ट्रीट वेंडरों को स्वीकार करते हुए उसे आई कार्ड एवं सरकारी योजनाओं का लाभ दे दिया. लेकिन इन स्ट्रीट वेंडरों को वेंडर जोन बना कर जगह देने के बाजाये निगम ने शहर की फुटपाथ और सड़कों पर कब्जा करने की खुली छूट दे दी. यही कारण है बाजार में हर तरफ फुटपाथी दुकानदार और ठेला वालों की दबंगई चलती है.
पिछले आठ महीने में एक बार चला अतिक्रमणमुक्ति अभियान
नगर निगम प्रशासन ने दो-दो कर्मचारियों को अतिक्रमण प्रभारी बना रखा है. इनके कंधों पर शहर में अतिक्रमण पर नियंत्रण पाने की जिम्मेदारी है. लेकिन निगम के नेतृत्व में वर्ष 2024 के आठ माह में मात्र एक बार ही अतिक्रमण मुक्ति अभियान चलाया गया और वह भी आंशिक रूप से. अतिक्रमण प्रभारी की मानें तो 24 से 27 जुलाई तक अतिक्रमण मुक्ति अभियान चलाया गया. यह अभियान गांधी चौक से एक नंबर ट्रैफिक तक, किला के अंदर, अस्पताल रोड एवं किराना पट्टी में चला. यह ऐसा अभियान रहा कि न तो सामान की जब्ती हुई और न ही जुर्माना वसूल किया गया. सिर्फ अतिक्रमणकारियों को हड़कायागया.
बूढ़े कंधों पर अतिक्रमण नियंत्रण की जिम्मेदारी
निगम ने जिन दो कर्मचारियों को अतिक्रमण प्रभारी बनाया है, वे शरीर, मन और कर्म तीनों से बूढ़े हो चुके हैं. इतना ही नहीं इनके सहयोग के लिए चार होमगार्ड जवान मिले हैं, उनमें भी दो होमगार्ड बूढ़े हैं. ये अभियान में साथ तो रहते हैं, लेकिन कुछ कर नहीं पाते है. चारों होमगार्ड बाजार में अतिक्रमण पर नियंत्रण के लिए हर रोज निकलता है लेकिन वे कुछ कर नहीं पाते. एक होमगार्ड जवान ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि जब बड़े-बड़े लोग अतिक्रमण पर नियंत्रण नहीं कर पाये, तो हम चार लोगों से क्या होगा. ठेला वाले अथवा सब्जी विक्रेता को सड़क से हटने को कहते हैं तो वे लोग सीधे लड़ाई-झगड़े पर उतर आते हैं.अतिक्रमणकारियों से कौन भिड़ेगा. इसलिए हमलोग भी शांत रह कर नौकरी कर रहे हैं.
हाई कोर्ट के आदेश से हटा था अतिक्रमण, आज भी सजती हैं दुकानें
मुंगेर. शहर के बाजार में दशकों से जूते-चप्पल की बाटा कंपनी का एक शोरूम है. इस कारण उस चौक का नाम बाटा चौक है. बाटा कंपनी के शोरूम के मुख्य गेट को अतिक्रमणकारियों ने घेर रखा है. गेट के सामने और उस चौक की सड़कों पर ठेला वाले व अन्य विक्रेताओं ने कब्जा कर रखा है. इस कारण दुकान में घुसना उपभोक्ताओं के लिए मुश्किल है. हाईकोर्ट के आदेश पर कुछ वर्ष पूर्व वहां से मजिस्ट्रेट की प्रतिनियुक्ति कर अतिक्रमणकारियों को भगा दिया गया था. कुछ दिन स्थिति ठीक-ठाक रही. उसके बाद अतिक्रमणकारियों ने फिर से कब्जा कर लिया है. क्योंकि संबंधित थाने ने उस पर ध्यान नहीं दिया.
उत्पन्न हो रही विधि व्यवस्था की समस्या, बिगड़ रहा सौहार्द
- केस स्टडी -1
- पिछले वर्ष शहर के मुख्य बाजार साइकिल पट्टी मोड़ के समीप संचालित रिफिल रेस्टोरेंट के संचालक व ठेला चालकों के बीच जमकर मारपीट हुई थी. इसमें रेस्टाेरेंट संचालक विनोद केशरी घायल हाे गये थे. इसे लेकर वहां पर विधि व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो गयी थी. बाद में भारी संख्या में पहुंची पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित कर लिया था. विनोद केशरी ने इस संबंध में कोतवाली थाना में गुलजारपोखर निवासी ठेला चालक बादशाह व अन्य के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करायीथी.
- केस स्टडी-2
- शहर के राजीव गांधी चौक पर बुधवार को अंबर मिष्ठान्न के आगे ठेला वाले से दुकानदार का विवाद हुआ. इसमें दुकान के मालिक सह मुंगेर चैंबर ऑफ कॉमर्स के सचिव संतोष अग्रवाल, उसके पुत्र एवं स्टाफ से ठेला वालों ने ठेला हटाने के विवाद में मारपीट की. बाद में ठेला वालों को भी पीटा गया. इस कारण वहां विधि-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो गयी. सामाजिक सौहार्द बिगड़ने की भनक मिलते ही एसडीओ, एसडीपीओ सहित भारी संख्या में पुलिस बल वहां पहुंचे. स्थिति को नियंत्रित किया.