अधर में लटका एमयू का सीनेट व छात्र संघ चुनाव
मुंगेर विश्वविद्यालय में छह दिन बाद प्रभारी कुलपति प्रो संजय कुमार चौधरी का एक माह पूरा होगा, लेकिन अबतक राजभवन से एमयू के लिये स्थायी कुलपति की नियुक्ति या प्रभारी कुलपति को नीतिगत निर्णय लेने का अधिकारी नहीं मिल पाया है.
अनुकंपा पर नियुक्ति सहित प्रोन्नति की प्रक्रिया भी अटकी, प्रतिनिधि, मुंगेर. मुंगेर विश्वविद्यालय में छह दिन बाद प्रभारी कुलपति प्रो संजय कुमार चौधरी का एक माह पूरा होगा, लेकिन अबतक राजभवन से एमयू के लिये स्थायी कुलपति की नियुक्ति या प्रभारी कुलपति को नीतिगत निर्णय लेने का अधिकारी नहीं मिल पाया है. इस कारण एमयू का सीनेट व छात्र संघ चुनाव अधर में लटक गया है, जबकि अनुकंपा पर नियुक्ति सहित लंबित सहायक प्राध्यापकों की प्रोन्नति प्रक्रिया भी अटक गयी है. बता दें कि इस साल जहां लोकसभा चुनाव को लेकर मई माह में छात्र संघ और सीनेट चुनाव को विश्वविद्यालय द्वारा स्थगित कर दिया गया था. वहीं अगस्त माह में पूर्व कुलपति प्रो. श्यामा राय का कार्यकाल समाप्त होने के बाद दोनों चुनावों को अधिसूचना जारी होने के बाद स्थगित कर दिया गया. हालांकि, इसके बाद विश्वविद्यालय के शिक्षक व कर्मियों सहित विद्यार्थियों को उम्मीद थी कि नये कुलपति की नियुक्ति के बाद दोनों चुनाव संपन्न हो पायेगा, लेकिन एमयू के प्रभारी कुलपति के पास नीतिगत निर्णय लेने का अधिकार नहीं होने और अबतक स्थायी कुलपति की नियुक्ति नहीं होने के कारण छात्र संघ और सीनेट चुनाव का मामला लटक गया है.
अनुकंपा पर नियुक्ति सहित प्रोन्नति की प्रक्रिया भी अटकी
ऐसा नहीं है कि एमयू में स्थायी कुलपति नहीं होने या प्रभारी कुलपति के पास नीतिगत निर्णय लेने का अधिकार नहीं होने के कारण केवल छात्र संघ और सीनेट चुनाव का मामला ही अटक गया है, बल्कि इसके कारण अबतक अनुकंपा पर नियुक्ति और पूर्व में प्रोन्नति से वंचित सहायक प्राध्यापकों के प्रमोशन की प्रक्रिया भी अधर में लटक गयी है. हालांकि, एमयू के लिये शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के प्रमोशन का मामला बड़ा सर दर्द बन चुका है, क्योंकि एमयू के 6 सालों में प्रोन्नति के मामले पर ही शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मचारी दो गुटों में बंट चुके हैं.
कहते हैं प्रभारी कुलसचिव
एमयू के प्रभारी कुलसचिव सह डीएसडब्लू डॉ भवेशचंद्र पांडेय ने बताया कि कुलपति के आने के बाद ही दोनों चुनाव पर कोई निर्णय हो पायेगा. हालांकि, प्रभारी कुलपति द्वारा नीतिगत निर्णय लिये जाने को लेकर राजभवन को पत्र भेजा गया है, लेकिन अबतक इसकी स्वीकृति राजभवन से नहीं मिल पायी है.
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