एक सप्ताह पूर्व ही कुलपति द्वारा मामले पर अधिकारियों से ली गयी थी जानकारी, प्रतिनिधि, मुंगेर. मुंगेर विश्वविद्यालय में सामान्य से कार्य के लिये भी या तो एक माह का समय लग जाता है या वह कार्य फाइलों में ही सिमट कर रह जाता है. कुछ ऐसा ही विश्वविद्यालय द्वारा करीब 16 लाख खर्च कर अपने 16 अंगीभूत कॉलेजों के लिये बनाये गये वेबसाइट और सालों से अधिकारियों व कर्मियों के पास पड़े लाखों रुपये के एडवांस सेटलमेंट का मामला है. हलांकि दोनों ही मामले पर एक सप्ताह पूर्व प्रभारी कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी द्वारा अधिकारियों से जानकारी तो ली गयी, लेकिन कुलपति के कंधों पर दो-दो विश्वविद्यालय का भार होने के कारण एमयू में इन दोनों मामले अब भी अधर में लटके हैं.
16 लाख खर्च कर ऑटोमेशन के तहत बनाया गया कॉलेजों का वेबसाइट
बता दें कि साल 2022 में विश्वविद्यालय द्वारा अपने 17 अंगीभूत कॉलेजों में से 16 कॉलेजों के लिये ऑटोमेशन के तहत नया वेबसाइट बनाया गया. जिसके लिये प्रत्येक कॉलेज के वेबसाइट के लिये विश्वविद्यालय द्वारा एजेंसी को 10-10 लाख का भुगतान किया गया. इस प्रकार विश्वविद्यालय द्वारा एजेंसी को अपने 16 अंगीभूत कॉलेजों के वेबसाइट के लिये कुल 16 लाख का भुगतान किया गया. लेकिन लगभग डेढ़ साल बाद भी इस वेबसाइट का लाभ खुद इन कॉलेजों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को नहीं मिल पा रहा है. हाल यह है कि इन कॉलेजों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के साथ खुद इन कॉलेजों को अपने नये वेबसाइट के बारे में जानकारी तक नहीं है. अब ऐसे में डिजिटल हो रहे विश्वविद्यालय के दावों को खुद की समझा जा सकता है. इतना ही नहीं प्रभारी कुलपति द्वारा इस मामले पर खुद ओएसडी डॉ प्रियरंजन तिवारी से सभी जानकारी एक सप्ताह पहले ही मांगी गयी थी.
एडवांस लेने वाले कई शिक्षक व कर्मी भी नहीं चाहते सेटलमेंट
बता दें कि एमयू के कई संबद्ध कॉलेजों के साथ खुद विश्वविद्यालय के अधिकारियों, शिक्षकों व कर्मियों के लिये पास लगभग 3.70 करोड़ रुपये का एडवांस सालों से पेडिंग पड़ा है. जिसका सेटलमेंट अबतक नहीं हो पाया है. हद तो यह है कि फरवरी 2024 में कैग टीम के ऑडिट के दौरान भी टीम द्वारा एडवांस सेटलमेंट को पूरा करने को कहा गया था, लेकिन टीम के जाने के बाद मामला दोबारा फाइलों में बंद हो गया. कुछ हद तक तो खुद एमयू के कई ऐसे अधिकारी, शिक्षक और कर्मी हैं, जो एडवांस सेटलमेंट करना नहीं चाहते, क्योंकि उनके पास एडवांस लिये गये राशि का हिसाब देना मुश्किल भरा हो सकता है. ऐसे में इन अधिकारियों, शिक्षकों व कर्मियों के कारण अन्य को अपने एडवांस सेटलमेंट के लिये इंतजार करना पड़ रहा है. हालांकि इसे लेकर भी एक सप्ताह पूर्व प्रभारी कुलपति द्वारा फाइनेंस ऑफिसर से पूरी जानकारी ली गयी थी. साथ ही टीम के पास ऑडिट सेल नहीं होने के कारण इसके निर्माण को लेकर फाइल बढ़ाने की बात कही गयी थी, लेकिन अबतक यह मामला भी पेंडिंग पड़ा है.
कहते हैं अधिकारी
कुलपति के ओएसडी डॉ प्रियरंजन तिवारी ने बताया कि एडवांस मामलों के ऑडिट के लिये डॉ. मुनींद्र कुमार सिंह को जिम्मेदारी दी गयी है. जबकि क्लेम सेक्शन का कार्य डॉ. अनीश अहमद को दिया गया है. वहीं कॉलेजों के वेबसाइट को सही से क्रियान्वयन करने को लेकर एजेंसी से बात की गयी है. इसे भी जल्द ही ठीक कर लिया जायेगा.
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