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नामांकन से पहले ही गरमायी चैंबर चुनाव की राजनीति, दोनों पक्ष आमने-सामने

एक पक्ष ने चैंबर को पॉकेट की संस्थान बना कर रखने का लगाया आरोप- दूसरे पक्ष ने कहा सिर्फ हंगामा करना उनका है मकसद

– एक पक्ष ने चैंबर को पॉकेट की संस्थान बना कर रखने का लगाया आरोप- दूसरे पक्ष ने कहा सिर्फ हंगामा करना उनका है मकसद

मुंगेर . मुंगेर चैंबर ऑफ कॉमर्स का चुनाव आगामी 16 जून को होने वाला है. अब तक इसे लेकर नामांकन भी प्रारंभ नहीं हुआ है. लेकिन नामांकन से पहले ही चैंबर की राजनीति गरमा गयी है. एक पक्ष ने जहां चैंबर को 5 सालों से चुनिंदा लोगों द्वारा पॉकेट की संस्था बना कर रखने का आरोप लगाया है, वहीं दूसरा पक्ष ने कहा कि सिर्फ हंगामा करना उनका मकदस है. खैर जो भी आरोप-प्रत्यारोप के बीच मुंगेर जिले के व्यवसायी दो खेमे में दिख रहे हैं.

चैंबर के चुनाव नियमों की उड़ा रहे धज्जियां

चैंबर के निवर्तमान उपाध्यक्ष संजय कुमार बबलू, अध्यक्ष पद के संभावित उम्मीदवार दिलीप सर्राफ व सचिव पद के संभावित उम्मीदवार दीपक कुमार ने कहा कि चैंबर को कुछ चुनिंदा लोगों ने पिछले पांच सालों से पॉकेट की संस्था बनाकर रखा है. उन लोगों के साथ कुछ होता है तो सभी लोग खड़े हो जाते हैं और आम व्यापारियों के साथ कुछ भी हो जाय तो उनसे पहले प्राथमिकी की कॉपी सहित आवेदन मांगा जाता है. नियम है कि पदेन अध्यक्ष व सचिव आकस्मिक रूप से बने रहते है. लेकिन अध्यक्ष व सचिव अपने कार्यकारिणी सदस्य सह प्रत्याशी अशोक सितिरिया एवं संतोष अग्रवाल के साथ मिलकर उप शाखा में जाकर 2021-2024 का सदस्यता प्रमाण पत्र का वितरण कर सदस्यों के बीच चुनाव प्रचार कर रहे है. चैंबर का एक व्हाट्सएप ग्रुप है. जो सिर्फ एडमिन के लिए स्वीकृत है. वे लोग ही एडमिन है और खुल कर उस पर प्रचार कर रहे है. उन्होंने कहा कि इसको लेकर चैंबर के चुनाव अधिकारी के पास लिखित शिकायत किया गया है कि नियम सबके लिए बराबर हो और नियम विरूद्ध कोई भी सदस्य चुनाव प्रभावित करने का काम नहीं करे.

सिर्फ हंगामा करना उनका है मकसद

चैंबर के कार्यकारी अध्यक्ष कृष्ण कुमार अग्रवाल ने कहा कि आरोप लगाने वालों को शायद संगठन से जुड़ी परंपराओं की जानकारी नहीं है. सिर्फ हंगामा करना ही उनका मकसद है. चैंबर ऑफ कॉमर्स ने चुनाव के विधि सम्मत संचालन के लिए चुनाव समिति का गठन किया है. जिसमें तीन पदाधिकारियों का चयन सर्वसम्मति से किया गया है. आरोप लगाने वाले सदस्य खुद एक महत्वपूर्ण पद पर हैं. ऐसे में उनके द्वारा किसी भी बात को चुनाव को देखने वाली समिति के समक्ष नहीं रखकर मीडिया को बताना एक गैर राजनीतिक संस्था के आम चुनाव को राजनैतिक रंग देना है. उनकी नीयत में खोट को यह दर्शाता है. चैंबर के अध्यक्ष या सचिव आकस्मिक या तात्कालिक नहीं होते हैं, वो कार्यकारी हो जाते हैं. जहां तक सर्टिफिकेट वितरण की बात है, उस संदर्भ में मेरा यह कहना है कि उसे प्रधान शाखा, उप शाखा के अध्यक्ष-सचिव को सौंपते हैं और उनके नेतृत्व में वितरण होता है. एक व्यवसायिक संगठन के चुनाव को हम सबों को मिलकर सबों को सम्मान देते हुए संपन्न कराना है. हंगामा खड़ा करना हमारा मकसद किसी का नहीं होना चाहिए. चैंबर में कोई दलीय प्रणाली नहीं है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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