Education News: मुंगेर विश्वविद्यालय में हाल के जहां कई आवश्यक कार्य लंबित पड़े हैं. विश्वविद्यालय द्वारा अपने 17 अंगीभूत कॉलेजों के वेबसाइट को दुरूस्त करने के लिये 1.70 करोड़ रूपये तो खर्च कर दिये गये, लेकिन आधे-अधूरे कॉलेजों के वेबसाइट खुद विद्यार्थियों के लिये उपयोग का नहीं है. विश्वविद्यालय के 17 अंगीभूत कॉलेजों के ऑटोनोमेशन के लिये सरकार से नियुक्त एजेंसी द्वारा प्रक्रिया आरंभ की गयी. जिसमें नियमानुसार तो एजेंसी को न केवल एमयू के अंगीभूत कॉलेजों के लिये नये वेबसाइट को तैयार करना था, बल्कि इस वेबसाइट पर कॉलेज में संकायवार और सत्रवार विद्यार्थियों की संख्या, कॉलेज में संकायवार और विषयवार शिक्षकों की संख्या, कॉलेजों में पढ़ाये जाने वाले विषयों की जानकारी, कॉलेजों के आधारभूत संचरनाओं का ब्योरा, कॉलेज के अधिकारियों की सूची सहित अन्य जानकारियों को अपडेट करना था, ताकि नामांकन के समय विद्यार्थी अपने पंसदीदा कॉलेजों के बारे में सभी जानकारी प्राप्त कर सके. साथ ही कॉलेजों के भी सभी शैक्षणिक प्रक्रियाओं की जानकारी विद्यार्थियों के लिये कॉलेज के ही वेबसाइट पर अपडेट किया जा सके. लेकिन एजेंसी द्वारा केवल कॉलेजों का वेबसाइट बनाकर छोड़ दिया गया. जिसपर कॉलेजों से संबंधित कई प्रकार की जानकारी तक अपडेट नहीं है. कुल मिलाकर कहा जाये तो एमयू के अंगीभूत कॉलेजों का वेबसाइट विद्यार्थियों के लिये केवल नाम का ही है.
Education News: कॉलेजों के वेबसाइट पर खर्च किये गये 1.70 करोड़ रूपये
बता दें कि एमयू द्वारा इस आधे-अधूरे वेबसाइट के लिये भी एजेंसी को प्रत्येक कॉलेज के अनुसार 10-10 लाख रूपये का भुगतान किया गया. जो एमयू के 17 अंगीभूत कॉलेजों को मिलाकर कुल एक करोड़ 70 लाख रूपये है. बताया गया कि एमयू के पास जहां केवल आय का स्त्रोत विद्यार्थियों से उनके शैक्षणिक प्रक्रियाओं में लिये जाने वाले शुल्क है. वहीं कॉलेजों के आंतरिक आय का स्त्रोत विद्यार्थियों के नामांकन के दौरान दिये जाने वाले नामांकन शुल्क की राशि ही है. हलांकि एमयू द्वारा उक्त भुगतान कॉलेजों के खाता संख्या-1 से किया गया है. जिसका संचालन खुद विश्वविद्यालय द्वारा किया जाता है.
Education News: छह साल में खुद विश्वविद्यालय का वेबसाइट है अधूरा
हद तो यह है कि 6 साल बाद भी खुद मुंगेर विश्वविद्यालय का ऑफिशियल वेबसाइट तक अधूरा पड़ा है. जिसपर केवल विद्यार्थियों के शैक्षणिक प्रक्रियाओं की सूचना ही मिल पाती है. जबकि खुद विश्वविद्यालय के वेबसाइट पर अबतक न तो पीजी विभागों का संचालन किन कॉलेजों में होता है, विश्वविद्यालय के विभिन्न कमिटीयों में सदस्य कौन है, विश्वविद्यालय का सेलेबस सहित अन्य जानकारी उपलब्ध नहीं है. यह हाल तब है, जब एमयू के ऑफिशियल वेबसाइट और यूएमआईएस सिस्टम के मेंटनेंस के लिये अलग-अलग एजेंसी निर्धारित हैं और विश्वविद्यालय द्वारा इन दोनों ही एजेंसियों को अलग-अलग भुगतान किया जाता है.
Education News: कहते हैं वित्त पदाधिकारी
वित्त पदाधिकारी डॉ रंजन कुमार ने बताया कि एजेंसी को भुगतान कॉलेजों के खाता संख्या-1 से किया गया है. जिसका संचालन विश्वविद्यालय द्वारा किया जाता है. इस खाते में पूर्व में कॉलेजों का डेवलपमेंट फंड सहित नामांकन शुल्क राशि आदि रखा जाता था.