हमारा कानून हमारी सभ्यता व संस्कृति के अनुरूप हो : प्रो. भवेश चंद्र

हमारा कानून हमारी सभ्यता व संस्कृति के अनुरूप तथा लोक कल्याणकारी होना चाहिए

By Prabhat Khabar News Desk | November 20, 2024 5:57 PM

मुंगेर देश की आजादी के आठवें दशक में पहुंचकर भी हम पाते हैं कि अब भी उपनिवेशकालीन कानून के तहत ही हमारी व्यवस्था का संचालन होना चाहिए. तब का कानून हम पर शासन करने के लिए बनाया गया था, लेकिन अब तो हम संप्रभु देश में रह रहे हैं. हमारा कानून हमारी सभ्यता व संस्कृति के अनुरूप तथा लोक कल्याणकारी होना चाहिए. ये बातें मुंगेर विश्वविद्यालय के डीएसडब्ल्यू सह पीजी अंग्रेजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. भवेश चंद्र पांडेय ने बुधवार को विश्वनाथ सिंह विधि संस्थान में आयोजित विशेष कक्षा के दौरान कही. उन्होंने विधि पर आयोजित विशेष कक्षा के दौरान विधि स्नातक के विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि एक कुशल पेशेवर विधि विशेषज्ञ की यह विशेषता होती है कि वे कानून की सही व्याख्या करते हैं. इस क्रम में उन्होंने प्रसिद्ध विधिवेत्ता जान आस्टिन के अलावा अंग्रेजी के प्रख्यात उपन्यासकार विलियम सेक्शपियर के उपन्यास के उद्धरणों के आधार पर विधि स्नातक के विद्यार्थियों को सटीक भाषा के चयन के बारे में जानकारी दी. कालेज के प्राचार्य डा. आरके मिश्रा ने कहा कि न्यायालय न्याय निर्णय देते समय घटना के कारणों से अधिक उसके आशय की परख करता है. दोषी को दंडित करने के बजाय उसके आचरण में बदलाव लाना विधि का ध्येय है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version