इमरजेंसी वार्ड में पेट दर्द से परेशान मरीज की मौत, कुत्ता काटने का इंजेक्शन लगाने बेटे को लेकर भटकती रही मां

कुत्ता काटने का इंजेक्शन लगाने बेटे को लेकर भटकती रही मां

By Prabhat Khabar News Desk | August 14, 2024 11:19 PM

प्रतिनिधि, मुंगेर. बिहार स्वास्थ्य सेवा संघ के आह्वान पर चिकित्सकों के एक दिवसीय कार्य बहिष्कार के कारण बुधवार को सदर अस्पताल में ओपीडी का संचालन बंद रहा. इस कारण पेट दर्द और तीन दिन से शौच नहीं होने की बीमारी से परेशान एक मरीज की अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में मौत हो गयी, वहीं केवल कुत्ता काटने का इंजेक्शन दिलाने एक मां अपने बच्चे को लेकर घंटों अस्पताल का चक्कर काटती रही, जबकि पूरे दिन इलाज के लिये आने वाले कई मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ा. हालांकि, अस्पताल में इमरजेंसी वार्ड संचालित रहा.

अस्पताल में बंद रहा ओपीडी का संचालन

कोलकाता में महिला जूनियर डॉक्टर से दुष्कर्म व हत्या की घटना को लेकर बुधवार को बिहार स्वास्थ्य सेवा संघ द्वारा एक दिवसीय कार्य बहिष्कार का आह्वान किया गया था. इस कारण बुधवार को अस्पताल में ओपीडी सेवा पूरी तरह बंद रही. इस दौरान जांच केंद्र और काउंटर तो खुले रहे, लेकिन चिकित्सकों के नहीं होने के कारण इलाज के लिये मरीजों को भटकना पड़ा. सुबह इलाज के लिये ओपीडी पहुंचे मरीज सूचना नहीं होने के कारण करीब एक घंटे तक बैठे रहे. जबकि ओपीडी बंद होने की सूचना तक मरीजों को नहीं दी गयी.

इमरजेंसी वार्ड में पेट दर्द से परेशान मरीज की मौत

बुधवार को गांधी चौक निवासी कैलाश प्रसाद के 35 वर्षीय पुत्र शिव कुमार गुप्ता को परिजनों द्वारा इलाज के लिये पहले ओपीडी लाया गया. जहां ओपीडी बंद रहने के कारण उसे परिजनों द्वारा इमरजेंसी वार्ड लाया गया. बताया गया कि शिव कुमार गुप्ता पेट दर्द से परेशान था, जबकि उसे तीन दिन से शौच भी नहीं हो रहा था. वहीं इलाज के दौरान इमरजेंसी वार्ड में उसकी मौत हो गयी. परिजनों ने बताया कि शिव को लेकर वे लोग काफी देर तक घूमते रहे. सही समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण उसकी मौत हो गयी.

कुत्ता काटने का इंजेक्शन लगवाने बेटे को लेकर घूमती रही मां

मुंगेर. बुधवार को पीकू वार्ड में हाजी सुभान निवासी 8 वर्षीय आदिल को लेकर उसकी मां पहुंची. जिसे मंगलवार की रात ही कुत्ते ने काट लिया था, लेकिन ओपीडी बंद रहने और चिकित्सक द्वारा कुत्ता काटने का इंजेक्शन प्रिसक्राइव नहीं किये जाने के कारण आदिल की मां उसे लेकर पीकू वार्ड से ओपीडी और इमरजेंसी वार्ड का घंटों चक्कर लगाती रही. हालांकि, बाद में इमरजेंसी में चिकित्सक द्वारा उसे टेटनेस का इंजेक्शन दिया गया, लेकिन ओपीडी पर्ची पर कुत्ता काटने का इंजेक्शन प्रिसक्राइव नहीं होने के कारण आदिल को इंजेक्शन नहीं लग पाया.

बेटे को दिखाने भटकती रही दो मां

बुधवार को टीकारामपुर से 2 वर्षीय विकास तथा 3 वर्षीय रौशन को लेकर दोनों बच्चों की मां इलाज के लिये ओपीडी पहुंची. विकास को जहां हाइड्रोसिल में परेशानी थी. वहीं रौशन बुखार से पीड़ित था. लेकिन ओपीडी बंद होने के कारण दोनों बच्चों की मां उसे लेकर अस्पताल का चक्कर काटती रही. इस दौरान विकास की मां करूणा देवी और रौशन की मां सुशीला देवी ने बताया कि यदि ओपीडी बंद था तो अस्पताल प्रबंधन को इमरजेंसी वार्ड में ही इलाज की व्यवस्था करनी चाहिये थी. लेकिन यहां केवल एक वार्ड से दूसरे वार्ड में भेजा रहा है.

कई मरीज बिना इलाज कराये ही लौटे

ओपीडी बंद होने के कारण मरीजों के साथ खुद अस्पताल प्रबंधन के लिये बुधवार को मुसीबत बनी रही, क्योंकि भव्या एप पर ही ओपीडी का संचालन होने के कारण इमरजेंसी वार्ड में इलाज के बावजूद मरीजों को दवा नहीं मिल पायी. जबकि कई मरीजों को बिना इलाज कराये ही वापस लौटना पड़ा.

कहते हैं अस्पताल उपाधीक्षक

अस्पताल उपाधीक्षक डॉ रमन कुमार ने बताया कि बिहार स्वास्थ्य सेवा संघ के आह्वान पर डाक्टरों द्वारा ओपीडी बहिष्कार के कारण ओपीडी सेवा बुधवार को बंद रहा. हालांकि गंभीर बीमार मरीज का उपचार इमरजेंसी वार्ड में किया गया. इमरजेंसी वार्ड में शाम 5 बजे तक 86 मरीजों का इलाज किया गया.

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