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अपनी मां को बहंगी पर बैठाकर देवघर जा रहा पवन, श्रवण कुमार की कथा को कर रहा चरितार्थ

आज के कलयुग के श्रवण कुमार अपनी बुढ़ी मां को बहंगी में बैठाकर बाबा धाम की यात्रा पर निकले हैं.

प्रतिनिधि, असरगंज. सतयुग के कथाओं में श्रवण कुमार का नाम तो सुना ही होगा, जिसने अपने माता-पिता को बहंगी में बैठाकर तीर्थ यात्रा कर आये थे, पर आज के कलयुग के श्रवण कुमार अपनी बुढ़ी मां को बहंगी में बैठाकर बाबा धाम की यात्रा पर निकले हैं. सुल्तानगंज से 10 किलोमीटर दूर कच्ची कांवरिया पथ कमरांय में रविवार की सुबह शिव भक्ति व मातृ भक्ति का अद्भूत नजारा देखने को मिला.

पवन की मां के प्रति आस्था देख शिवभक्तों को श्रवण कुमार की याद हुई ताजा

खगड़िया जिला निवासी पवन साह बिहारी अपने सहयोगी कैलाश मंडल के सहयोग से अपनी बूढ़ी मां शोभा देवी को बहंगी में बिठा कर सुल्तानगंज से गंगा जल भर मुंगेर के कच्ची कांवरिया पथ होते हुए बाबाधाम जा रहे थे. जिसे देख हर किसी को श्रवण कुमार की याद ताजा हो गयी. पवन ने बताया कि वह 21 जुलाई को ही अपनी मां को बहंगी में बैठाकर खगड़िया से निकले हैं. कब तक देवघर पहुंच जाए ये कहा नहीं जा सकता. उन्होंने बताया कि उनकी कोई मन्नत नहीं है. मां को बाबाधाम जाना था, पर वे पैदल नहीं जा सकती थी. इसी कारण बहंगी में बिठा कर अपने सहयोगी के मदद से कंधे पर बाबाधाम के लिए निकले हैं. वहीं उनकी बूढ़ी मां ने बताया कि वे अपने बेटा के कंधे के बहंगी में बैठ बाबाधाम जा रही है. भगवान करे ऐसा बेटा सभी माता-पिता को दे.

14 वर्षों से लगातार 54 फीट का कांवर लेकर जा रहे पटना के कांवरिया

असरगंज. पटना सिटी मारूफगंज कांवरिया संघ 54 फीट का कांवर लेकर बाबा बैद्यनाथ धाम की ओर रवाना हुए. संघ के संतोष कुमार कुशवाहा ने बताया कि प्रत्येक साल हम लोग 54 फीट का कांवर लेकर बाबा को जलाभिषेक करने जाते हैं. जिसमें एक बार 9 कांवरिया मिलकर कांवर को उठाकर यात्रा करते हैं. 14 सालों से लगातार 54 फीट का कांवर लेकर यात्रा कर रहे हैं. वहीं श्रावणी मेला में जाने को तो अनेक तरह के लोग कांवर यात्रा पर सुल्तानगंज से जल भरकर बाबा बैद्यनाथ का जलाभिषेक करने जा रहे हैं. पटना जिला के कुमरार के एक कांवरिया मनीष कुमार जो दोनों पैरों से दिव्यांग होते हुए भी मन में बाबा भोले पर आस्था और विश्वास लिये बोल बम का जयकारा लगाते हुए बाबा धाम जा रहे हैं. दिव्यांग मनीष बताते हैं कि हम दिल्ली में रहकर बैटरी रिक्शा चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं. मन में जगा कि बाबा भोले मुझे बुला रहे हैं. इसीलिए मैं सुल्तानगंज से जल भरकर बाबा बैद्यनाथ धाम जा रहा हूं.

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