मुंगेर. मुंगेर विश्वविद्यालय 26 से 28 अक्तूबर तक पहली बार वार्षिक एथलेटिक्स मीट आयोजित करने जा रहा है. जिसे वृहद रूप से आयोजित करने को लेकर एमयू प्रशासन पूरी तैयारी में लगा रहै. जबकि इससे अलग एमयू के पास दो साल से विश्वविद्यालय का चक्कर लगा रहे कई खिलाड़ियों को उनका वाजिब खर्च के पैसे देने का समय नहीं है. अब ऐसे में विश्वविद्यालय के खेल और आयोजनों पर सवाल उठना लाजिमी है.
दो साल से खिलाड़ी लगा रहे चक्कर
बता दें कि साल 2020 से 2022 के बीच कबड्डी, एथलेटिक्स, हैंडबॉल, बॉक्सिंग जैसे कई विश्वविद्यालय स्तरीय खेलों में एमयू ने प्रतिभाग किया. जिसमें कई खिलाड़ियों को अपने ही पैसों से टूर्नामेंट में विश्वविद्यालय की ओर से खेलना पड़ा. जबकि इन टीम को लेकर जाने वाले कई मैनेजरों को भी इंट्री फीस के पैसे तक अपनी जेब से देना पड़ा, क्योंकि विश्वविद्यालय द्वारा इन टीम मैनेजरों को एक रुपये भी एडवांस टीम को लेकर जाने के लिये नहीं दिया गया. हद तो यह है कि इन टीमों के खिलाड़ियों और मैनेजरों द्वारा टूर्नामेंट से वापस आने के बाद ही अपना सभी बिल खेल विभाग में जमा करा दिया गया, लेकिन दो साल बाद भी अबतक विश्वविद्यालय के लिये कई टूर्नामेंटों में भाग लेने वाले खिलाड़ी तथा इन टीमों को लेकर जाने वाले मैनेजर अपने ही पैसों के लिये विश्वविद्यालय के खेल विभाग का चक्कर लगा रहे हैं. हालांकि इस दौरान ही कई टीमों को ले जाने के लिये विश्वविद्यालय द्वारा खेल विभाग को लगभग 3 लाख का एडवांस दिया गया. जिसका समायोजन तक अबतक खेल विभाग द्वारा नहीं किया गया है.एथलेटिक मीट पर लाखों खर्च की तैयारी
एक ओर जहां एमयू के कई खिलाड़ी खुद के वाजिब पैसों के लिये दो सालों से विश्वविद्यालय का चक्कर लगा रहे हैं. वहीं विश्वविद्यालय के लगभग 5 लाख से अधिक राशि का एडवांस खेल विभाग के पास सालों से पड़ा है. जबकि इससे अलग अब विश्वविद्यालय का खेल विभाग 26 से 28 नवंबर के बीच वार्षिक एथलेटिक मीट आयोजन के लिये लाखों रुपये खर्च करने की तैयारी कर रहा है. हालांकि एमयू के कॉलेजों द्वारा अपनी टीमों में बोरो खिलाड़ियों को खेलाने का मामला एथलेटिक मीट के आयोजन में खुद विश्वविद्यालय के लिए मुसीबत बनेगा, लेकिन इससे अलग कई आर्थिक रूप से कमजोर खिलाड़ी अब भी अपने पैसों के लिये विश्वविद्यालय की ओर देख रहे हैं. इतना ही नहीं पिछले दिनों जब प्रभात खबर द्वारा इसे लेकर प्रकाशित खबर को लेकर खेल अधिकारी डॉ ओमप्रकाश से पूछा गया तो उनके द्वारा बताया गया कि अबतक उन्हें किसी ने अखबार में छपी खबर की कटिंग नहीं भेजी गयी है. अब ऐसे में जहां विश्वविद्यालय के खेल विभाग के पास खिलाड़ियों और मैनेजरों का बिल तथा आवेदन पड़ा है. वहीं एमयू के खेल अधिकारी अखबार में छपी खबरों के इंतजार में बैठे हैं.कहते हैं डीएसडब्ल्यू
एमयू के डीएसडब्लू प्रो. भवेशचंद्र पांडेय ने बताया कि पुराने मामलों के कारण नये कार्यक्रमों टाला नहीं जा सकता है. हालांकि अबतक इस प्रकार का कोई भी मामला मेरे संज्ञान में नहीं आया है. ऐसे खिलाड़ी और मैनेजर उनके पास आते हैं तो अवश्य इन मामलों पर संज्ञान लिया जायेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है