बालकों के चरित्र का निर्माण स्वामी विवेकानंद का था संदेश : संजय कुमार
भारतीय संस्कृति को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने वाले महापुरुष स्वामी विवेकानंद का ध्येय वाक्य 'उठो, जागो और तबतक न रुको, जबतक मंजिल प्राप्त न हो जाए' आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत है.
मुंगेर. भारतीय संस्कृति को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने वाले महापुरुष स्वामी विवेकानंद का ध्येय वाक्य ”उठो, जागो और तबतक न रुको, जबतक मंजिल प्राप्त न हो जाए” आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत है. उक्त बातें शनिवार को सरस्वती विद्या मंदिर, मुंगेर में स्वामी विवेकानंद जी की जंयती पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान प्रधानाचार्य संजय कुमार सिंह ने कही. उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ऐसी शिक्षा चाहते थे. जिससे बालकों के चरित्र का निर्माण हो, मन एवं बुद्धि विकसित हो तथा बालक आत्मनिर्भर बन राष्ट्रहित में अपना योगदान दे सकें. स्वामी विवेकानंद का आदर्श हमें शक्ति और ऊर्जा प्रदान करते हैं. कार्यक्रम के पूर्व प्रधानाचार्य, बालिका परिसर की प्रधानाचार्या कीर्ति रश्मि, प्रभारी प्रधानाचार्य अविनाश कुमार ने संयुक्त रूप से स्वामी विवेकानंद की तस्वीर पर पुष्पार्चन एवं दीप प्रज्वलित किया. आचार्य डॉ काशीनाथ मिश्र ने कहा कि स्वामी विवेकानंद अपने गुरू रामकृष्ण परमहंस से दीक्षित हो आध्यात्मिक चिंतन की ओर अग्रसर हुए. संयुक्त राज्य अमेरिका के शिकागो में एक विराट धर्म सभा में हिन्दुत्व की महानता को स्थापित कर पूरे विश्व में भारत को गौरवान्वित किया. स्वामी विवेकानंद एकाग्रता पर बल देते थे. एकाग्रता से मनुष्य की कार्य कुशलता बढ़ती है. उनका संदेश युवाओं में राष्ट्रभक्ति, सद्भावना, संस्कार, उत्तम शिक्षा और संस्कृति का बीजारोपण करती है. कार्यक्रम का संचालन आचार्य मुकेश कुमार सिन्हा ने किया. उन्होंने कहा कि कोई भी कार्य भाग्य के भरोसे न छोड़े, बल्कि कर्मों से अपना भाग्य स्वयं बनो. स्वामी विवेकानंद के सूत्र ”उठो, साहसी और शक्तिमान बनो” हमें आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करते हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है