मुंगेर पादुका दर्शन संन्यासपीठ में आयोजित रामचरित्र मानस कथा में पंडित नीलमणि दिक्षित ने मंगलवार को रामचरित्र मानस ग्रंथ पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने कहा कि रामचरित्र मानस एक विलक्षण ग्रंथ है. जिसमें पूरे संसार का सार है. कथा श्रवण के लिए पादुका दर्शन में सैकड़ों की संख्या श्रद्धालु नर-नारी व युवा पीढी मौजूद थे. मोके पर बिहार योग विद्यालय के परमाचार्य स्वामी निरंजनानंद सरस्वती मौजुद थे. उन्होंने बताया कि गोस्वामी तुलसी दास ने कहा है कि संसार में ऐसा क्या है जो अग्नि में न जले. स्वर्ण और लोहा सब तो राख हो जाता है. समुद्र में सब समा सकता है. कहने को तो स्त्री अबला है, परंतु बहुत प्रबल होती है. अपने लक्ष्य को पा ही लेती है और ऐसा कोई नहीं जो काल की मर्यादा का उल्लंघन कर सके. इसका उत्तर बताते हुए पंडित दिक्षित ने कहा कि धर्म अग्नि में भस्म नहीं होता, प्रेम समुद्र में समा नहीं सकता. क्योंकि वह असीम भाव है. अबला स्त्री संतान नहीं जनम सकती और भगवान का नाम ही है जो काल पर विजय प्राप्त कर सका है. श्रीरामचरित्र मानस एक विलक्षण ग्रंथ है. समूचे संसार का सार इसमें ही है. यह ऐसा ग्रंथ है जिसमें दर्शायी गयी दुष्प्रवृतियों में भी गुण छिपे है. चारों वेदों का रस इसमें समाहित है. जिसमें भगवान ने भी चक्रवर्ती सम्राट मनु के मांगने पर खदु को कर्म बंधन में बांध लिया. क्योंकि उनका प्रेम प्रबल था. जिसने भगवान को स्वयं को सौंपने पर विवश कर दिया. विभिषण ने तो पूछे जाने पर यह कहा था कि राम शब्द इसलिए लिखा है कि रावण के नाम का रा और मंदोदरी के नाम का म मिला हुआ है. बुधवार को भी पंडित नीलमणि दिक्षित रामचरित्र मानस पर कथा वाचन करेंगे.
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