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रावण वध और श्रीराम के राज्याभिषेक प्रसंग पर भाव-विभोर हुये श्रद्धालु

भगवान भुजा उठाकर प्रतिज्ञा करते हैं कि एक भी निशाचर वन में नहीं रहेगा

मुंगेर मोगल बाजार स्थित मां दशभुजी दुर्गा मंदिर में श्री राम नवाह कथा का अंतिम दिन वंदना के शुरू हुआ. जिसके बाद वाराणसी से आए ब्राह्मण विपिन झा, गौतम झा, शांतनु तिवारी, कैलाश झा उर्फ छोटे बाबा, सूरज मिश्रा द्वारा मंदिर में विभिन्न देवी देवताओं का पूजन, रुद्राभिषेक, हवन, कन्या पूजन किया गया. कथावाचक श्री देवदत्त झा मुचुकुन्द जी महाराज ने राजाराम, राजाराम, सीताराम, सीताराम भजन से कथा प्रारंभ किया. उन्होंने सर्वप्रथम अयोध्या के महत्व का वर्णन किया. एक भक्त भगवान से कहता है कि भगवान अगर मैं खत लिखता पर तेरा ही पता मालूम नहीं गीत भक्तों को ऊर्जा भर दिया. कथा में इन्होंने भगवान के वन गमन का वर्णन किया. साथ ही कहा कि वन के ऋषि लोग भी साथ हो लिये. भगवान भुजा उठाकर प्रतिज्ञा करते हैं कि एक भी निशाचर वन में नहीं रहेगा. जब-जब धर्म के हानि भजन से झूम गए भक्त. भगवान, सीता जी, लक्ष्मण अत्री ऋषि के आश्रम में पहुंचे. इस दौरान शूर्पणखा का प्रसंग सुनाये. वहीं कथा के दौरान रावण वध तथा श्रीराम के राज्याभिषेक का प्रसंग सुन श्रद्धालु पूरी तरह भाव विभोर हो गये. मौके पर सुरेंद्र प्रसाद, धीरेन्द्र कुमार साह, विनोद वर्मा, राजेन्द्र प्रसाद मंडल, उमेश कुमार, आशुतोष मिश्रा, संतोष कुमार आदि मौजूद थे.

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