एमयू में अधिकारियों को बांटे जा रहे कई पदों की जिम्मेदारी

मुंगेर विश्वविद्यालय में एक से अधिक पद की जिम्मेदारी नहीं देने के राजभवन के आदेश की पहले ही धज्जियां उड़ रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 21, 2024 6:11 PM

चार माह बाद भी राजभवन से कुलपति को नहीं है नीतिगत निर्णय लेने का अधिकार

मुंगेर. मुंगेर विश्वविद्यालय में एक से अधिक पद की जिम्मेदारी नहीं देने के राजभवन के आदेश की पहले ही धज्जियां उड़ रही है. वहीं एमयू व कॉलेजों में अधिकारियों को एक से अधिक पदों की जिम्मेदारियां बांटी जा रही है. हद तो यह है कि कई मामलों में संबंधित अधिकारियों को वित्तीय शक्तियां भी बिना राजभवन से स्वीकृति प्राप्त किये ही दे दी गयी है. हाल यह है कि एमयू में बिना राजभवन की स्वीकृति के ही सक्षम प्राधिकारों से अनुमोदन की प्रत्याशा में कहीं प्राचार्य बनाये जा रहे हैं तो कहीं डीन व विभागाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जा रही है.

कहीं दिये जा रहे प्राचार्य की जिम्मेदारी, कहीं बन रहे डीन व विभागाध्यक्ष

एमयू में इन दिनों बिना राजभवन के स्वीकृति के ही कहीं कॉलेज में शिक्षकों को प्राचार्य की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी जा रही है तो कहीं डीन व विभागाध्यक्ष बनाये जा रहे हैं. इतना ही नहीं पीजी में नये विषय तक आरंभ करने की अधिसूचना जारी कर दी गयी है. जिसमें सभी निर्णय विश्वविद्यालय के सक्षम प्राधिकार सिंडिकेट तथा सीनेट से अनुमोदन की प्रत्याशा में दिये गये हैं. हाल यह है कि मुंगेर में पीजी विभागाध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे डॉ जीसी पांडेय को लखीसराय जिले के केएसएस कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य की जिम्मेदारी वित्तीय शक्तियों के साथ दे दी गयी है. जबकि बीते दिनों आईआरपीएम विषय आरंभ करने के साथ मुंगेर से 100 किलोमीटर दूर डीएसएम कॉलेज, झाझा के प्रभारी प्राचार्य डॉ अजफर शमसी को मुंगेर में आईआरपीएम के पीजी विभागाध्यक्ष की जिम्मेदारी दे दी गयी है. इसके अतिरिक्त विश्वविद्यालय द्वारा बीते दिनों कई संकायों के डीन तक की जिम्मेदारी दे दी गयी है.

एक के पास ही कई पदों की जिम्मेदारी

राजभवन द्वारा एक साल पूर्व ही एक से अधिक पदों की जिम्मेदारी नहीं देने का निर्देश विश्वविद्यालय को दिया गया था, लेकिन इसके बावजूद एमयू में कई शिक्षकों के पास एक नहीं उससे कहीं अधिक पदों की जिम्मेदारी है. हालांकि इसे लेकर एक से अधिक पदों की जिम्मेदारी संभाल रहे अधिकारी अपनी परेशानियों को लेकर चर्चा तो करते हैं, लेकिन इसकेे बावजूद दूसरा पद मिलने पर उसे लेने से मना भी नहीं करते हैं. अब ऐसे में विश्वविद्यालय में खुलेआम राजभवन के आदेशों की धज्जियां उड़ रही है.

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