एमयू में शांत हो गया सीनेट, छात्र संघ चुनाव सहित दो विषयों में शिक्षकों के प्रोन्नति का मामला

एमयू के शिक्षक व कर्मचारी संघ द्वारा जबरदस्त आंदोलन किया गया

By Prabhat Khabar News Desk | October 21, 2024 7:26 PM
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मुंगेरमुंगेर विश्वविद्यालय में लगभग दो माह से सीनेट व छात्र संघ चुनाव सहित राजनीति विज्ञान व इकोनॉमिक्स विषय के शिक्षकों के प्रोन्नति का मामला पूरी तरह ठंडा पड़ गया है. जबकि विश्वविद्यालय नियमित कुलपति के आस में बैठा है. हद तो यह है कि कभी राजभवन द्वारा कुलपति के अधिकारों को सीमित कर दिये जाने के बावजूद उग्र आंदोलन और आमरण अनशन कर प्रोन्नति लेने वाले मुंगेर विश्वविद्यालय के शिक्षक व कर्मचारी संघ अब अपने साथियों के मांगों को लेकर ही पूरी तरह मौन बने हैं.

बता दें कि एमयू की पूर्व कुलपति प्रो. श्यामा राय के अंतिम कार्यकाल के दौरान जून माह में ही राजभवन द्वारा उनके अधिकारों को सीमित कर दिया गया था. जिसके कारण शिक्षकों के प्रोन्नति सहित सीनेट व छात्र संघ चुनाव के मामले अटक गये थे. जिसके बाद अगस्त माह में एमयू के शिक्षक व कर्मचारी संघ द्वारा जबरदस्त आंदोलन किया गया. जिसमें लगभग चार दिनों में एमयू मुख्यालय में न केवल शिक्षक संघ, बल्कि कर्मचारी संघ और छात्र संघ के कई नेता भी धरने और अनशन पर बैठे. हलांकि इस दौरान सभी का केवल एकसूत्रीय मांग शिक्षक प्रमोशन ही रहा. लेकिन कुलपति के अधिकार सीमिति होने के बावजूद एमयू के शिक्षकों और कर्मचारियों ने अपने प्रमोशन की मांग को पूरा करा लिया. वैसे राजनीति विज्ञान तथा इकोनॉमिक्स के दर्जनों शिक्षक प्रमोशन से वंचित रह गये, लेकिन कुलपति का कार्यकाल समाप्त हो जाने के बाद अब अपने ही शिक्षकों व कर्मचारियों के प्रमोशन व अन्य मांगों को लेकर शिक्षक व कर्मचारी संघ पूरी तरह मौन हो गये हैं.

अटक गये प्रमोशन सहित सीनेट व छात्र संघ चुनाव के मामले

19 अगस्त को राजभवन द्वारा एलएनएमयू, दरंभगा के कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी को मुंगेर विश्वविद्यालय के कुलपति का अतिरिक्त प्रभार दिया गया. हलांकि दो माह बाद भी राजभवन द्वारा प्रभारी कुलपति को नीतिगत निर्णय लिये जाने का आदेश नहीं दिया गया है. ऐसे में एमयू में अब प्रमोशन सहित सीनेट व छात्र संघ चुनाव के मामले अटक गये हैं. जिसके लिये एमयू में न तो आंदोलन और न ही मांग हो रही है. अब तो खुद प्रमोशन पाने से बचे शिक्षक और कर्मी के साथ एमयू के छात्र भी सीनेट व छात्र संघ चुनाव को लगभग भूल गये हैं.

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