असरगंज. स्वामी सुबोधानंद जी महाराज ने कहा है कि माता पृथ्वी से भी बड़ी है और पिता आकाश से भी ऊंचा है. माता-पिता हमारे लिए भगवान से कम नहीं, वे भगवान के ही समान हैं. क्योंकि माता-पिता ने ही हमें जन्म देकर पाला और पढ़ा लिखाकर एक योग्य व्यक्ति बनाया. अतः समर्पित भाव से उनकी सेवा करनी चाहिए. वे शनिवार को प्रखंड के बस स्टैंड स्थित संत पथिक आश्रम में आयोजित तीन दिवसीय संगीतमयी श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन शनिवार को प्रवचन करते हुए कही. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के पंढरपुर निवासी पुण्डरीक नामक भक्त ने अपने माता-पिता की इस प्रकार सेवा की कि भगवान विष्णु उनके दर्शन के लिए व्याकुल हो गए. भगवान विष्णु को खड़े-खड़े तब तक प्रतीक्षा करनी पड़ी, जब तक कि पुंडरीक माता-पिता की सेवा से निवृत्त नहीं हुए. आज भी पंढरपुर में ईंट पर खड़े-खड़े भगवान विष्णु की प्रतिमा के दर्शन होते हैं. उन्हें विट्ठल और विठोवा कहके भक्त लोग पुकारते हैं. कंस के कारागार से मुक्त कराने के बाद बलराम और भगवान कृष्ण ने अपने माता-पिता देवकी और वसुदेव से क्षमा मांगी. उन्होंने कहा कि हम दोनों भाई आपकी सेवा नहीं कर पाए. क्योंकि कंस के भय से हमें आपसे दूर रहना पड़ा. भगवान कृष्ण ने कहा है कि जो पुत्र शरीर और धन से सामर्थ्य होते हुए भी अपने माता-पिता की सेवा नहीं करता, उसे मरने के बाद नरक में जाकर दुख भोगना पड़ता है. भागवत कथा में आसपास के क्षेत्रों के बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे.
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