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बिहार के नवनिर्माण में श्रीकृष्ण सिंह का योगदान अविस्मरणीय : आयुक्त

श्रीकृष्ण सेवा सदन पुस्तकालय में उनकी पढ़ी बीस हजार से अधिक पुस्तकें सुरक्षित हैं.

– श्रीकृष्ण सेवा सदन में मनायी गयी बिहार केसरी डॉ. श्रीकृष्ण सिंह की 137 वीं वर्षगांठ फोटो संख्या -ं

मुंगेर

बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ श्रीकृष्ण सिंह की 137 वीं जयंती सोमवार श्रीकृष्ण सेवा सदन पुस्तकालय में समारोह पुर्वक मनायी गई. जिसका शुभारंभ मुंगेर प्रमंडल के आयुक्त संजय कुमार सिंह, जिलाधिकारी अवनीश कुमार सिंह, आयुक्त के सचिव अरविंद कुमार, मुंगेर विश्वविद्यालय के कुलसचिव कर्नल विजय कुमार ठाकुर तथा ट्रस्ट सचिव प्रो. प्रभात कुमार द्वारा श्रीकृष्ण सिन्हा की प्रतिमा पर माल्यापर्ण कर किया गया.

आयुक्त ने कहा कि आज का दिन बेहद खास है. आजादी के पहले और आजादी के बाद के बिहार के नवनिर्माण में श्री कृष्ण सिंह का योगदान अविस्मरणीय है. उन्होंने जो कार्य प्रणाली और मानदंड स्थापित किये, वह राजनीति के क्षेत्र में आज भी प्रासंगिक है. भारत के स्वाधीनता आंदोलन में उनकी भूमिका राष्ट्रीय स्तर के नेतृत्वकर्ता की रही है. उनके पदचिन्हों पर चलकर हम बिहार के विकास में अपने योगदान द्वारा उनको सही मायने में याद कर सकते हैं. जिलाधिकारी ने कहा कि श्रीकृष्ण सिंह का जीवन, व्यक्तित्व और कार्यशैली आदर्श व अनुकरणीय है. उनके द्वारा बिहार के विकास के लिए निर्मित परियोजनाओं व उपलब्धियों को आम जनता के बीच प्रसारित करने की जरूरत है. विकास कार्यों के प्रति उनकी निजी संवेदनशीलता और प्रतिबद्धता आज के राजनेताओं के लिए अनुकरणीय है. आयुक्त के सचिव ने कहा कि उन्होंने जितनी स्वाधीनता प्रशासनिक विभाग को दिया, उतनी बड़ी जिम्मेदारी भी सौंपी. वे अधिकारियों से स्वच्छ, पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त शासन में बड़ी भूमिका निभाने की अपेक्षा रखते थे.

पुस्तकालय में उनकी पढ़ी 20 हजार से अधिक पुस्तकें सुरक्षित

श्रीकृष्ण सेवा सदन पुस्तकालय ट्रस्ट के सचिव ने कहा कि श्रीकृष्ण सिंह का कार्यकाल केवल उपलब्धियों का ही कार्यकाल नहीं था, बल्कि वह भेदभाव रहित, सभी तरह की संकीर्णताओं से मुक्त, राजनीति को सेवा भाव से ग्रहण करने वाले लोगों का कार्यकाल रहा है. योग्य लोगों को एक साथ लेकर चलने और विकसित बिहार के लिए कार्य करने का विजन आज की राजनीति में दुर्लभ है. उनके समय में बिहार भारत का सबसे अधिक विकसित राज्य था. जाति, धर्म और सम्प्रदाय जैसे विभाजनकारी भेदभाव उस समय राजनीति की परिधि से बिलकुल बाहर थे. उनके भीतर अध्ययन करने की गजब की भूख थी. श्रीकृष्ण सेवा सदन पुस्तकालय में उनकी पढ़ी बीस हजार से अधिक पुस्तकें सुरक्षित हैं. मौके पर नवल किशोर सिंह, प्रो. ललन कुमार सिंह , प्रो. सुधीर कुमार, डॉ. अवनीश चंद्र पांडेय, प्रो. संतोष कुमार, डॉ. विश्वजीत विद्यालंकार, प्रो. मुनीन्द्र कुमार, प्रो. रवीश कुमार सिंह, प्रो. कृपाशंकर पांडेय, सदानन्द सिंह, संजय सिंह, डॉ. फैजुद्दीन, आदि मौजूद थे.

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बिहार केसरी डॉ. श्रीकृष्ण सिंह की मनायी गयी जयंती

मुंगेर . जिला ब्रह्मर्षि समाज द्वारा कष्टहरनी घाट स्थित श्रीकृष्ण वाटिका एवं जिला परिषद कार्यालय में बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री तथा स्वतंत्रता सेनानी डॉ. श्रीकृष्ण सिंह की 137 वीं जयंती मनायी गयी. जिसकी अध्यक्षता अधिवक्ता सुनील कुमार ने की. कार्यक्रम के पूर्व डॉ. श्रीकृष्ण सिंह के प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराया गया. साथ ही सदस्यों द्वारा उनके प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया. अधिवक्ता ने कहा कि डॉ श्रीकृष्ण सिंह अग्रणी स्वतंत्रता सेनानियों में से एक रहे. इनका सम्पूर्ण जीवन राष्ट्र एवं जन सेवा के लिए समर्पित था. प्रणव कुमार ने कहा कि बचपन से ही उनका जीवन संकल्प दृढ़ता स्वाभिमान एवं ज्ञान अर्जित करने के प्रति आदि गुणों का आभास होने लगा था. अपने युग के मेधावी छात्रों से सर्वथा भिन्न उनकी मनोवृति प्रारंभ से ही सरकारी नौकरी के प्रतिकूल थी. मौके पर मणि शंकर भोलू, नवेंदु कुमार सिंह मुख्य रूप से मौजूद थे.

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