असरगंज . हरिद्वार से पधारे स्वामी सुबोधानंद महाराज ने कहा है कि दुर्जनों का संहार, सज्जनों की रक्षा एवं सनातन धर्म की स्थापना के लिए भारतवर्ष की पवित्र धरती पर नारायण समय-समय पर अवतरित होते रहते हैं. वे रविवार को असरगंज नगर पंचायत के दूध बाजार स्थित श्री मायाराम ठाकुरवाड़ी के प्रांगण में आयोजित सात दिवसीय संगीतमय भागवत कथा में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव प्रसंग को सुनाते हुए कही. उन्होंने कहा कि जब-जब अधर्म की वृद्धि और धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान अवतार लेते हैं. श्री कृष्ण जन्म का प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने कहा कि द्वापर युग के अंत में मथुरा के कारागार में दैत्य राज कंस द्वारा बंदी बनाए गए. वसुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ. भाद्र मास कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि बुधवार की मध्य रात्रि में श्रीकृष्ण एक अद्भुत बालक के रूप में प्रकट हुए. किरीट कुंडल पीतांबरधारी भगवान के चारों हाथों में शंख, चक्र, गदा, पद्म सुशोभित थे. तब देवकी व वसुदेव ने स्तुति करते हुए भगवान से प्रार्थना की कि वह साधारण शिशु के रूप में प्रकट हो जाएं और चतुर्भुज रूप को छिपा लें. जिसके बाद वसुदेव जी ने भगवान बाल कृष्ण को रात्रि में ही यमुना पार कर नंद बाबा के यहां पहुंचा दिया. नंद बाबा के यहां पुत्र जन्म के अवसर पर महान उत्सव मनाया गया. इस दौरान भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप की बड़ी सुंदर झांकी प्रस्तुत की गई. जिसे देख श्रद्धालु श्रद्धा में पूरी तरह मग्न नजर आये.
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के विभिन्न घरों में हुआ गायत्री यज्ञ
हवेली खड़गपुर . गायत्री तीर्थ शांतिकुंज हरिद्वार की ओर से आयोजित गृओ गृहे गायत्री महायज्ञ के तहत रविवार को प्रखंड के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लगभग 101 घरों में हवन यज्ञ किया गया. मारवाड़ी टोला, साहू टोला, पश्चिम अजीमगंज, पूरब अजीमगंज, कठौतिया, खैरा, मुजफ्फरगंज, गोबड्डा में हवन यज्ञ संपन्न कराया गया. प्रखंड प्रतिनिधि संजीव कुमार ने कहा कि परिब्राजक अशोक कुमार सिंह, बिंदाचरण सिंह, प्रतिमा भारती, नीलू शर्मा, माला देवी, संजू देवी, मीरा देवी, दिलीप पटेल, आशुतोष शर्मा के ने गृहे गृहे यज्ञ करवाया. बताया गया कि प्राचीन धर्म ग्रंथ वेद है. वेद में कर्मकांड, उपासना कांड और ज्ञान कांड इन तीनों विषयों का वर्णन प्राप्त होता है. वेद माता गायत्री और यज्ञ पिता मानव के लिए श्रेष्यकर है. माता गायत्री सद्बुद्धि की देवी और यज्ञ पिता सत्कर्म की प्रेरणा देते है.
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