तीर्थंकरों की वाणी का श्रवण कर आत्मा को बनाएं पुष्ट : सुशील

श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन भवन स्थित मंदिर में चल रहे दश लक्षण धर्म-पर्युषण महापर्व के पांचवें दिन शुक्रवार को उत्तम सत्य धर्म की पूजा हुई.

By Prabhat Khabar News Desk | September 12, 2024 10:24 PM
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मुंगेर. श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन भवन स्थित मंदिर में चल रहे दश लक्षण धर्म-पर्युषण महापर्व के पांचवें दिन शुक्रवार को उत्तम सत्य धर्म की पूजा हुई. साथ ही मूल वेदी पर विराजमान भगवान श्री पार्श्वनाथ का विधिपूर्वक मार्जन किया गया. जबकि पूजा स्थल सभागार में भगवान शांति नाथ का अभिषेक, शांति धारा व आरती संपन्न की गयी. मध्य प्रदेश से पधारे जैन धर्म के विद्वान भैया सुशील ने उत्तम सत्य धर्म पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला. उन्होंने कहा उत्तम सत्य धर्म का तात्पर्य है सत्य का जीवन में पालन करना. जिसकी वाणी और जीवन में सत्य धर्म अवतरित हो जाता है, उसका संसार रूपी सागर से मुक्ति निश्चित है. यह आत्म जागरण की बेला है. अतः अप्रमत बनकर तीर्थंकरों की वाणी का श्रवण कर शरीर की पुष्ट बनाने के साथ आत्मा को भी पुष्ट बनाएं. ध्यान करने वाला “रहे भीतर जिये बाहर ” को आत्मसात कर लेता है. तभी आनंद की अनुभूति होती है. मालूम हो आत्मा के कल्याण के लिए धर्म, ध्यान व आध्यात्मिक साधना दशलक्षण महापर्व गतिमान है. ऐसा आचरण जो हमें सत्य तक पहुंचने और जीवन के परम सत्य से जोड़ दें उसे सत्य आचरण कहते हैं. मेरी वाणी और व्यवहार ही सत्यचरण है. हृदय में वाणी के स्तर पर सत्य प्रतिष्ठित हो, मन में निश्चलता, निष्कपट और निस्वार्थिता अगर प्रतिष्ठित हो गया तो समझो की सत्य प्रतिष्ठित हो गया. संध्या सत्र में भी आध्यात्मिक भजन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया.

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